(धर्मपथ के लिए अनिल कुमार सिंह की रिपोर्ट)–
उदयसिंह देशमुख से भय्यू जी महाराज बने इस व्यक्तित्व का जीवन उनकी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद से ही विवादों के घेरे में आने लगा है .भारत के हाई-प्रोफाइल गृहस्थ आध्यात्मिक संत अपनी गृहस्थी को ले चर्चा में आ गए हैं .ऊपर से ऐन विवाह के समय दूसरी महिला मल्लिका राजपूत द्वारा बयान दिया जाना भय्यू जी महाराज को संदेह के घेरे में खड़ा कर गया अब इसका सच सामने कब तक आता है क्या भय्यू जी महाराज पुनः गृहस्थी बसाने के चक्कर में आध्यात्म को भूल गए या आध्यात्म में वे रचे बसे हुए हैं.अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है की वास्तव में भय्यू जी महाराज की स्थिति क्या है ? तोते को कितनाहूं राम-राम सिखलाओ जब बिल्ली गला पकडती है तो वह टांय-टांय बोलने लगता है या सभी कर्म करते हुए भी अकर्मा की स्थिति में हैं भय्यू जी महाराज.यह आने वाला समय ही बतायेगा .भय्यू जी महाराज नव-विवाह उपरान्त पूजा-पाठ में व्यस्त थे अतः उनके मीडिया-प्रभारी तुषार जी ने उनका पक्ष हमारे समक्ष प्रस्तुत किया एवं जल्द ही भय्यू महाराज से मुलाक़ात का भरोसा दिलवाया .प्रस्तुत हैं तथ्य ….
अपनी पहली पत्मी के देहांत के बाद ये आध्यात्मिक संत गहरे शोक में डूब गए थे एवं सार्वजनिक जीवन से संन्यास की घोषणा कर दी थी.उस समय की जो तस्वीरें इनकी सामने आयीं थीं उनमें ये गहन शोक में डूबे एवं बीमार नजर आये थे यकीन उसके बाद के एक वर्ष में ये उस अवसाद से बाहर आ नव-गृहस्थ पथ पर अग्रसर होने की खबर में चर्चा में आये.इस चर्चा को और हवा दी मल्लिका राजपूत नामक मुम्बई की अभिनेत्री ने .मल्लिका ने जो आरोप लगाए वह उस के लिए कोई नुकसान की बात नहीं थी लेकिन भय्यू जी महाराज के जीवन में यह एक दाग लग ही गया.
भय्यू जी की नव-वधू एवं मल्लिका में समानता
दोनों महिलाओं में एक समानता है की वे भय्यू जी महाराज की भक्त रहीं हैं एवं तुषार पाटिल अनुसार भय्यू जी के पारिवारिक सदस्यों ने ही नव-वधू का चयन किया .सवाल यह खडा होता है जब भय्यू जी को गृहस्थी बसानी ही थी तो अपनी आध्यात्मिक शिष्या ही क्यूं ?मल्लिका का दर्जा भी वाही था जो डॉ अंकिता शर्मा का दोनों भय्यू जी से आध्यात्मिक ऊर्जा लेने उनके दरबार में आयीं लेकिन भय्यू जी की कामना ने उनमें शिष्य की जगह पत्नी खोजी यह तो अब सामने आ ही गया है.गौरवशाली हिन्द के आध्यात्मिक इतिहास में पहले भी ऋषि-मुनियों द्वारा इस तरह के उदाहरण पेश किये गए हैं.अब इस घटना के घटित होने में भय्यू जी महाराज के सिवाय अन्य कोई सफाई नहीं दे सकता है यकीन अब वे नव-वधू को अपना समय देंगे उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी.अभी व्यावसायिक रूप में उनके प्रभारी द्वारा यह मोर्चा थामा गया है.
गौरवशाली पूज्य संत स्वामी-समर्थ की गुरु परंपरा का दावा है भय्यू जी का
तुषार जी ने बताया की श्री मुंगडे गुरु जी जो कोल्हापुर से हैं इनके प्रथम गुरु रहे हैं ,उसके अलावा अक्कलकोट के श्री कृष्ण सरस्वती महाराज जो स्वामी समर्थ जी की गुरु-परंपरा में रहे हैं इनके गुरु रहे .
समाज में सभी ने विवाह को सराहा breaking
तुषार जी ने बताया की अन्ना हजारे जी ने फोन पर् बधाई दी ,इस विवाह में किसी को आमंत्रित नहीं किया गया और न ही किसी के आने पर पाबंदी थी.परिवार जनों की सहमति से इस विवाह का आयोजन हुआ .इस विवाह में कुल एवं गोत्र व्यवस्था को भी दूर किया गया .भय्यू जी का कुल मराठा क्षत्रिय का है और उन्होंने ब्राह्मण कन्या से विवाह किया है.पूछने पर तुषार जी ने बताया की महाराज जी ने समाज के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत किया है .इस विवाह का आग्रह परिवारजनों का था एवं हिन्दू-रीति रिवाजों का इसमें पालन किया गया .
हमारे प्रश्नों के सटीक उत्तर तुषार जी देने में असमर्थ थे अतः हम इस खबर को अगले अंक में सटीक तथ्यों के साथ भय्यू महाराज से चर्चा होने के बाद आगे लिखेंगे ताकि सत्य सामने आ सके …………………………………………