(खुसुर-फुसुर)– मप्र के राजनैतिक हलकों में प्रभारी नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन की कालर भाजपा सांसद द्वारा पकड़ी जाना एवं कांग्रेस द्वारा प्रदर्शन क्या उचित कदम है ?खुसुर-फुसुर यह है की प्रभारी पद को पूर्ण पद मान बैठे बाला-बच्चन ने अपना कद बढाने के लिए मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में हंगामा किया जबकि मुख्यमंत्री ने उनके द्वारा आपत्ति जताए जाने पर उन्हें मंच पर बोलने हेतु आमंत्रित बड़ी शिष्टता से किया था लेकिन बाला-बच्चन अपनी राजनीती चमकाने के मद में शिष्टता भूल बद्तमीजियाँ करने की हद पार कर गए.सांसद द्वारा बाला-बच्चन की कालर पकड़ना किसी के लिए भी स्वाभाविक प्रतिक्रिया होगी जो भाजपा सांसद से हुई.
अब कांग्रेस को यह नीति बाला-बच्चन की समझ आ गयी है और वह इस आन्दोलन से किनारा करने की जुगत में है .उसके नेता दबी जबान में कह रहे हैं की अपना कद बढाने की जुगत में मुख्यमंत्री से अभद्रता करना राजनीति नहीं है .अब तो खुसुर-फुसुर यह है की कहीं बाला-बच्चन को प्रभारी नेता-प्रतिपक्ष पद से भी हाथ न धोना पड जाए.