इलाहबाद-प्राप्त जानकारी के अनुसार अखाड़ा परिषद ने यूपी समेत देश के पांच राज्यों में हो रहे चुनाव से ठीक पहले बीजेपी को समर्थन ना देने का मन बना लिया है। इन लोगो का आरोप है कि हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनावी वादे करने वाले पीएम मोदी की सरकार में भारत से गोमांस का निर्यात और भी बढ़ गया है। महंत नरेंद्र गिरि ने आरोप लगाया कि केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से देश से गोमांस का निर्यात काफी बढ़ गया है। उनका आरोप है कि चुनाव के वक्त भावुकता वाली बातें करने वाले पीएम मोदी भी इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। महंत नरेंद्र गिरि का यह भी दावा है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में साधू-संतों व हिंदूवादी वोटरों ने पीएम मोदी के विकास के मुद्दे पर नहीं बल्कि उनकी हिंदुत्ववादी छवि के आधार पर वोट किया था, क्योंकि सभी को यह उम्मीद थी कि मोदी पीएम बनने के बाद राम मंदिर व दूसरे मुद्दों पर लोगों की भावनाओं के मुताबिक़ काम करेंगे।
अगर अखाड़ा परिषद दूसरे साधू संतों को साथ लेकर अपने इस फैसले को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश करेगा तो बीजेपी को इन चुनावों में बड़ा झटका लग सकता है। आप को बता दें कि, अखाड़ा परिषद के मुखिया ने बीजेपी पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के वायदे से मुकरने का आरोप लगाते हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को वोट नहीं देने और उसके विरोध की तैयारी भी कर ली है। इस बारे में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव स्वामी नरेंद्र गिरि का कहना है कि केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बावजूद बीजेपी राम मंदिर के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। यही नहीं धर्मांतरण, गौ हत्या, गंगा प्रदूषण और धारा 370 समेत बाकी मुद्दों पर भी उसने कोई ठोस पहल नहीं की है और न ही कोई ठोस नतीजा देखने को मिला है। ऐसे में साफ है कि बीजेपी की मंशा मंदिर निर्माण की नहीं है और अब वह इसे सिर्फ चुनावी मुद्दा बनाकर एक बार फिर लोगों की भावनाओं को भड़काकर सिर्फ और सिर्फ वोट हासिल करना चाहती है।
महंत नरेंद्र गिरि के मुताबिक अखाड़ों के साधू-संत बीजेपी के इस रवैये से बेहद निराश और दुखी हैं, इसी वजह से उन्होंने यूपी समेत पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वोट नहीं करने और उसका विरोध करने का फैसला किया है। परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का दावा है कि विरोध के स्वरुप को तय करने और इस चुनाव में आम जनता को भी जागरूक करने की रणनीति तय करने के लिए जनवरी के आखिरी हफ्ते में इलाहाबाद में लगे माघ मेले में अखाड़ों के पदाधिकारियों, दूसरे साधू-संतों व धर्माचार्यों की बैठक भी की जाएगी। महंत नरेंद्र गिरि के मुताबिक साधू-संतों को अब बीजेपी पर कतई भरोसा नहीं रह गया है, इसलिए राम मंदिर निर्माण की पहल से पूर्व वह इस बार न तो उसके वायदे के झांसे में आएंगे और न ही जाति-धर्म के आधार पर वोट पड़ने की किसी मुहिम का समर्थन करेंगे। महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि साधू-संत इस बार विकास के मुद्दे पर वोट करेंगे और जनता से भी यही अपील करेंगे कि वह अपने-अपने राज्य में सबसे बेहतर विकास करने में समझ आने वाली पार्टियों को ही वोट करें, लेकिन मंदिर और हिंदुत्व के दूसरे मुद्दों पर बीजेपी के बहकावे में कतई न आएं।