प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दम एवं राजनैतिक चातुर्य से भारतीय इतिहास में जो चुनाव जीत झंझावात उत्पन्न किया वही कार्य उन्होंने 500 एवं 1000 की कागजी मुद्रा को एकाएक बंद कर महसूस करवाया.मोदी चुनाव जीतने के बाद कुछ ख़ास इस देश के लिए कर नहीं पाए तब आरोपों से निजात पाने के लिए उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का राजनैतिक फायदा उठाया उसी तरह उप्र चुनाव के एकदम पहले देश की अर्थव्यवस्था पर आघात किया है.मोदी क्या कर दिखाना चाहते हैं यह अभी भविष्य की गर्त में हैं लेकिन हाँ यदि ये उनके प्रयोग हैं तब भारत इस भूमिका को कभी माफ़ नहीं कर पायेगा .
जिस दिन मोदी ने इस हेतु घोषणा की तब प्रथम द्रष्टया यह फैसला उचित जान पड़ा लेकिन अब उस पर पड़ी सफलता की धुंध छटने लगी है.भारतीय अर्थव्यवस्था के ढाँचे को मजबूत समझा जाता है और यह बात समय-समय पर सिद्ध हो चुकी है.मोदी ने एक झटके में इस व्यवस्था का मर्दन कर दिया है .
उनका मानना है की नकली नोट एवं अधिकारीयों एवं नेताओं के पास काला धन इस योजना से ख़त्म होगा जो सही भी है .यह धन भारतीय ढाँचे में कितने प्रतिशत है वह कम है लेकिन जो धन परम्परागत व्यवसायिओं,गृहस्थों ,किसानों के पास था वह भी इस झंझावात में ख़त्म हो गया है और यही धन वह धन है जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था हजारों सालों से मजबूत बनी हुई है .संचय पर आधारित इस अर्थव्यवस्था को मोदी ने कुछ पलों में भस्म कर दिया है .
मोदी ने खेत में लगी बीमारी खत्म करने या पडोसी का खेत जलाने की जिद में अपने घर को ही तो कहीं नहीं जला दिया ?जब मोदी सत्ता हासिल करने के बाद भी कुछ सही नहीं कर पाए तब क्या इतना बड़ा फैसला उनका सही दिशा में राष्ट्र को ले जाएगा ?
प्रधानमन्त्री के इस कदम के परिणाम तो भविष्य में देखने को मिलेंगे लेकिन 500 के नए नोट 1000 की जगह 2000 का नोट क्या कालाबाजारी एवं जमाखोरी को बढ़ाएगा नहीं ?
प्रधानमंत्री मोदी जी ने रेल किराए में योजनाबद्ध वृद्धि की जनता को लगा की सुविधाएं भले ही न बढ़ें लेकिन जो हैं व्यवस्थित एवं साफ़ सुथरी होंगीं लेकिन यह सिर्फ कयास निकला.
मंहगाई बढती ही जा रही है ,शासकीय भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं उस पर तुर्रा यह की एकाएक सब कुछ साफ़ कर दिया .यदि मोदी जी ने यह प्रयोग किया है जो राष्ट्र पर है और वह सही हुआ तो भारत को विश्व-शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता लेकिन यदि यह गलत साबित हुआ तब दुर्भाग्य होगा भारत का एवं अपराधी मोदी होंगें इसकी सजा देशद्रोह से भी बढ़कर होगी .
धर्मपथ से अनिल कुमार सिंह