(खुसुर-फुसुर)– कांग्रेस के वर्षों से सत्ता से बाहर रहने के बाद भी माल काटने के आदी नेताजी आजकल परेशान हैं .वे अपना सौभाग्य मानते हैं की जब जहाँ रहे हैं उन्होंने माल काटा है.अभी तक नेताजी ने बीमार-पीड़ितों के धन से अपना भविष्य उज्जवल किया लेकिन उस लोक-कल्याणकारी संस्था से हटते ही माल मिलना बंद हो गया.जिसकी दम पर उन्होंने एक फर्जी अनुबंध करवाया था उसने नेताजी को तो क्या संस्था को भी तय-अनुसार धन का भुगतान नहीं किया.
अब नेताजी मीडिया के माध्यम से उस संस्था की छीछालेदर पर आमादा हैं .कई मीडिया तुर्क वहां जा चुके हैं लेकिन कलम पर ताला लगा कर लौटे हैं .अब नेताजी ने नए लोगों से संपर्क किया है देखना है उनका यह प्रयास क्या गुल खिलाता है.