नई दिल्ली: ऑयल मिनिस्ट्री ने ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और रिलायंस इंडस्ट्रीज के नेचुरल गैस की कीमत बढ़ाकर 6.7 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) करने का प्रस्ताव किया है। मंत्रालय ने इस संबंध में कैबिनेट नोट तैयार किया है। मंत्रालय की तरफ से प्रस्तावित गैस मूल्य पहले के 8-8.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की बढ़ोतरी के अनुमान से काफी कम है। कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति को भेजे नोट में मंत्रालय ने सरकारी कंपनियों के मामले में गैस के दाम तुरंत बढ़ाने का प्रस्ताव किया है, जबकि प्राइवेट सेक्टर की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए अप्रैल 2014 से कीमत में बढ़ोतरी की सिफारिश की है। इस मामले से जुड़े एक शख्स ने यह जानकारी दी।
ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और रिलायंस इंडस्ट्रीज को इस समय गैस की 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की कीमत मिलती है। मंत्रालय ने गैस की कीमत के बारे में रंगराजन समिति की सिफारिशों को मामूली संशोधन के साथ स्वीकार करने का प्रस्ताव रखा है। रंगराजन समिति ने डोमेस्टिक नेचुरल गैस की कीमत इंपोर्टेड एलएनजी और इंटरनेशनल मार्केट के प्रमुख केन्द्रों पर गैस की कीमत के औसत के हिसाब से तय करने का सुझाव दिया है।
रंगराजन समिति ने अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुताबिक गैस की कीमत की हर महीने समीक्षा का सुझाव दिया है, जबकि मंत्रालय ने हर तीन महीने पर ऐसा करने का प्रस्ताव रखा है। इस लिहाज से अप्रैल-जून तिमाही के लिए गैस की औसत कीमत 6.775 डॉलर प्रति 10 लाख एमएमबीटीयू होगी। पहले माना जा रहा था कि नेचुरल गैस की कीमत डबल हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, नेचुरल गैस की कीमत में प्रति इकाई (एमएमबीटीयू) एक डॉलर की बढ़ोतरी से 2.30 करोड़ टन यूरिया का उत्पादन करने वाले फर्टिलाइजर प्लांट्स पर करेंट फिस्कल ईयर के दौरान कुल 3,155 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ेगा। फाइनेंशियल ईयर 2017-18 तक 3.20 करोड़ टन यूरिया का उत्पादन करने पर कंपनियों पर कुल 4,144 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा।
नेचुरल गैस की कीमत में 1 डॉलर की बढ़ोतरी का असर पावर प्लांटों पर भी पड़ेगा। पावर सेक्टर के 28,000 मेगावाट की उत्पादन क्षमता पर इससे 10,040 करोड़ रुपए सालाना का बोझ बढ़ेगा। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय यह भी चाहता है कि गैस की कीमत का नया फॉर्मूला सभी तरह के नेचुरल गैस पर लागू होना चाहिए। परंपरागत गैस, शेल गैस और कोयला खदानों से निकलने वाली सीबीएम गैस सभी पर इसे फॉर्मूले को लागू किया जाना चाहिए। साथ ही, गैस की खपत करने वाले सभी क्षेत्रों पर भी यह कीमत समान रूप से लागू होनी चाहिए।