नरेंद्र मोदी को भाजपा प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करे या नहीं, लेकिन पार्टी में जारी आंतरिक सियासी जंग से इतना तो साफ हो गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी ही भाजपा का चेहरा होंगे।
पार्टी कार्यकर्ताओं और ज्यादातर नेताओं का समर्थन पा रहे मोदी के पक्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी आ गया है। इसलिए अब मोदी को बतौर पार्टी का चेहरा पेश करने का रास्ता लगभग साफ हो गया है।
कभी अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा का चेहरा होते थे लेकिन पिछले चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी को चेहरा बनाने की कोशिश विफल हो गई थी। दूसरी पीढ़ी के नेताओं में मोदी फिलहाल नेतृत्व की जंग जीतते नजर आ रहे हैं।
भाजपा में इस दौर को अटल-आडवाणी युग के समापन के तौर पर देखा जा रहा है। बहरहाल, यह लगभग तय हो चुका है कि चुनाव अभियान समिति की कमान मोदी ही संभालेंगे। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी कह दिया है कि गोवा सम्मेलन में इस समिति का ऐलान हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार मोदी के पक्ष में बढ़ते समर्थन को देख वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी अब नरम पड़ गए हैं।
हालांकि आडवाणी अब भी चाहते हैं कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली आदि राज्यों के लिए चुनाव के लिए अलग से अभियान समिति बने और उसका जिम्मा नितिन गडकरी को दिया जाए। लेकिन गडकरी पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे इस समिति की कमान नहीं थामेंगे।
मोदी बुधवार को दिल्ली में थे। उन्होंने राजनाथ के अलावा आडवाणी से भी मुलाकात की। गुजरात के उप चुनावों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करके मोदी ने पार्टी में अपना कद और भी बढ़ा लिया है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की करारी हार से मायूस पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में लंबे अर्से बाद पटाखे फूटने की आवाज सुनाई दी।
नक्सल समस्या पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने आए मोदी ने ही भाजपा को यह मौका दिया है। मोदी को चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपे जाने के बाद मोदी पूरे देश में दौरा कर पार्टी के पक्ष में माहौल बना सकेंगे। वे पिछड़ी जाति से भी हैं, इसलिए भाजपा उन्हें हिंदूवादी नेता के साथ ही पिछड़ी जाति के नेता के तौर पर पेश करेगी।