नई दिल्लीः मध्य प्रदेश में ईसाइयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक बिशप ने कहा है कि राज्य में ईसाइयों पर हो रही हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए.
इस संबंध में बिशप द्वारा राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यपाल मंगूभाई सी. पटेल को भी संबोधित किया गया है.
बिशप के मुताबिक, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के सदस्य होने का दावा करने वाले लोगों द्वारा मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में चर्चों को ध्वस्त करने की धमकी देने के बाद यह अपील की गई है.
झाबुआ जिले के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट एलएन गर्ग ने द वायर को बताया कि कुछ लोगों के साथ विहिप सदस्यों ने इस महीने की शुरुआत में प्रशासन से संपर्क कर शिकायत की थी कि झाबुआ जिले में चर्च ‘धर्मांतरण रैकेट’ चला रहे हैं.
उन्होंने बताया, ‘हमने उन्हें बताया कि अगर हमें जबरन धर्मांतरण के मामले मिले तो हम इसकी जांच करेंगे. हालांकि, अभी तक हमें ऐसा कोई मामला नहीं मिला है.’
बता दें कि यह मामला सितंबर की शुरुआत में उस समय शुरू हुआ था, जब कुछ लोगों ने जिले के कई चर्चों का दौरा किया था और कहा था कि वे चर्चों के रूप में सभी अवैध ढांचों को ध्वस्त करेंगे.
इन लोगों ने चर्च के पादरियों पर हिंदुओं के जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाया, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था.
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य और यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) के राष्ट्रीय समन्वयक एसी माइकल ने द वायर को बताया, ‘वे झाबुआ के तहसीलदार का समन मिलने पर हैरान रह गए थे, जिसमें चर्च के कई पादरियों को अपनी नियुक्तियों और चर्च के तहत उनके धर्मांतरण के दस्तावेज पेश करने को कहा है.’
माइकल ने कहा कि अल्पसंख्यकों की मदद करने के बजाय तहसीलदार ने ईसाई पादरियों को उनके समक्ष पेश होने और उनकी धार्मिक गतिविधियों के बारे में बताने को कहा है.
कई ईसाई पादरियों को भेजे गए नोटिस में कहा गया है, ‘इस नोटिस के तहत कहा जा रहा है कि अगर किसी ने लाभ के उद्देश्य से जबरन धर्मांतरण किया है या कराया जा रहा है तो कृपया 22 सितंबर को दोपहर 12 बजे मेरे दफ्तर आएं.’
इस नोटिस पर झाबुआ के तहसीलदार के हस्ताक्षर हैं और पादियों को यह प्रमाणित करने को कहा गया है कि क्या उन्हें लालच देकर उनका धर्मांतरण कराया गया है.
बिशप मुनिया, भोपाल कैथोलिक आर्कडियोसीस के पीआरओ फादर मारिया स्टीफन और यूसीएफ के अध्यक्ष डॉ. माइकल विलियम्स ने संयुक्त बयान जारी कर कहा, ‘पादरी के तौर पर उनकी नियुक्तियों का विवरण भी मांगा गया है.’
बता दें कि यूसीएफ ईसाइयों का एक अनौपचारिक संगठन है, जो ईसाइयों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघनों का लेखा-जोखा रखता है.
झाबुआ में प्रोटेस्टेंट शालोम चर्च के ऑक्सीलियरी बिशप पॉल मुनिया ने 17 सितंबर को एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और राष्ट्रपति कोविंद को संबोधित करते हुए तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा.
इस पत्र में कहा गया कि झाबुआ जिले में कई आदिवासी, जिनकी ईसा मसीह में आस्था है, उन्हें बजरंग दल और विहिप जैसे हिंदुत्व संगठनों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है और झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है.
पत्र में कहा गया, ‘इस तरह की धमकियों से इलाके के आदिवासी डर और दबाव में जी रहे हैं.’ पत्र में आगे कहा गया कि अगर ये घटनाएं जारी रही तो सांप्रदायिक तनाव और हिंसा भड़कने से क्षेत्र में व्यापक नुकसान हो सकता है.
उन्होंने राज्य के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने और स्थिति को सामान्य करने की अपील की है.
मुनिया ने बयान में कहा, ‘मध्य प्रदेश में अल्पसंख्यकों पर हमले जारी हैं. विहिप का सदस्य होने का दावा करने वाले लोगों का कहना है कि वे 26 सितंबर को झाबुआ जिले में चर्चों को ध्वस्त करने की तैयारी कर रहे हैं.’
मुनिया ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा, ‘अगर कोई अवैध ढांचा है तो प्रशासन को कार्यवाही करने दीजिए. लोग या संगठन इस तरह की धमकियां क्यों दे रहे हैं?’
उन्होंने पूछा कि क्या यही मानदंड जिले या राज्य में अन्य धार्मिक ढांचों पर भी लागू होंगे?
हालांकि, द वायर ने पुष्टि की कि रविवार दोपहर तक चर्चों पर इस तरह के कोई हमले या विध्वंस की कोई घटना नहीं हुई.
इसके अलावा एसी माइकल का कहना है कि विहिप सदस्य होने का दावा करने वाले लोगों की धमकियों से जिले में ईसाई समुदाय के बीच डर का माहौल बना हुआ है.
झाबुआ के कलेक्टर ने 25 सितंबर को ट्वीट कर कहा था कि जिला प्रशासन क्षेत्र में सामाजाकि सौहार्द बनाने की कोशिश कर रहा है.
झाबुआ जिला पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थित है और इसकी सीमा बड़ौदा से लगती है. क्षेत्र में इसी तरह की अशांति इस साल की शुरुआत में उस समय भी देखी गई थी, जब विहिप के एक स्थानीय नेता आजाद प्रेम सिंह ने इलाके के सभी चर्चों को बंद करने की मांग की थी.
बिशप का कहना है कि झाबुआ और आसपास के आदिवासी बहुल्य जिलों में सांप्रदायिक धमकियां बढ़ने का दुष्परिणाम पूरे देश में पड़ सकता है.
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश जैसे राज्य अधिक असुरक्षित हैं क्योंकि इन राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किए गए हैं.
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित उन चार राज्यों में से एक हैं, जहां धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किए गए हैं.
फादर मारिया स्टीफन ने कहा, ‘ईसाई शांतिप्रिय नागरिक हैं. हम हमारे समाज में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक उपाय की मांग कर रहे हैं. हमें हमारे काम और हमारे कर्मचारियों के आधिकारिक विवरण सरकार से साझा करने में कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते की मंशा सही हो.’
यूसीएफ के माइकल विलियम्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से ईसाइयों के खिलाफ हिंसा को रोकने की अपील की.