Gwalior news : प्रियंका गांधी वाड्रा ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि श्री जेपी अग्रवाल जी, श्री कमलनाथ जी, श्री दिग्विजय सिंह जी, श्री गोविंद सिंह जी, श्री कांतिलाल भूरिया जी, श्री सुरेश पचौरी जी, श्री अरुण यादव जी, श्री अजय सिंह जी, श्री विवेक तन्खा जी, श्री राजमणि पटेल जी, श्री नकुल नाथ जी, श्री नीलांशु चतुर्वेदी जी, श्री सत्यनारायण पटेल जी, श्री जीतू पटवारी जी, श्री जयवर्धन सिंह जी, उपस्थित सभी विधायकगण, नेतागण, महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई और सेवादल के मेरे सभी साथी, सभी कार्यकर्ता, सब भईया-बहनन को हमारी राम-राम।
मोए आज ग्वालियर-चंबल में आइके बड़ी खुशी भई। मैं पहले भी पीतांबरा मईया के दर्शन को आई हती, मोई दादी इंदिरा जी आपके क्षेत्र में आई हतीं, उनने मोए रानी लक्ष्मीबाई की कहानी खूब सुनाई हती, मोए बचपन में तुमए क्षेत्र की वीरता और साहस की कहानियां पतो हैं, इतेक दूर-दूर से आईं मेरी बहनन और भईया, आप सब लोगन को धन्यवाद।
देखिए, मैं यहां ग्वालियर आ रही थी तो मेरे साथियों ने, कई साथियों ने मुझे मुद्दे भेजे कि कौन-कौन से मुद्दे हैं जो ग्वालियर में, मध्यप्रदेश में महत्वपूर्ण हैं और मुझे भाषण में क्या-क्या कहना चाहिए? जब मैं उन मुद्दों को पढ़ रही थी, उन सुझावों को पढ़ रही थी, तो मुझे लगा ज्यादातर नकारात्मक बातें थीं और मेरे मन में ये बात आई कि क्या हमारी राजनीति आज सिर्फ आरोप और प्रत्यारोप में फंस गई है, क्या इससे आगे भी कोई राजनीति हो सकती है? इससे बढ़कर भी हम कुछ ऐसी बातें कर सकते हैं, जो जनता के मतलब की बातें हों।
देखिए भारतीय राजनीति की नींव स्वतंत्रता के आन्दोलन में डली थी। स्वतंत्रता का जो हमारा आन्दोलन था, उसे सत्याग्रह का नाम दिया गया था। तो सत्य की लड़ाई थी, तो हमारी जो पूरी राजनीति की जो नींव है, वो उसी लड़ाई में, तभी डली। तो हमारे देश की एक परंपरा रही है कि हम नेताओं में सभ्यता, सरलता, सादगी और सच्चाई ढूंढते हैं, हम चाहते हैं कि ऐसे नेता हों, जिनमें ये स्वभाव हो और इसी के आधार पर दशकों के लिए हमारी राजनीति चली, लेकिन आज परिस्थितियां बदल गई हैं, आरोप-प्रत्यारोप, एक-दूसरे की बुराई, हम मंच पर आते हैं, आपको गिनवा देते हैं कि इनके क्या गुण हैं और अवगुण हैं, वो हमारे गिनवा देते हैं और मुझे अक्सर लगता है कि इस बीच जो जनता के असली मुद्दे हैं, वो डूब जाते हैं। आज-कल शोहरत, बड़े-बड़े बिजनेस वालों को देश की संपत्ति सौंपने की राजनीति, अहंकार की राजनीति चलती है। मैं भी जब यूपी गई, तो मेरे साथियों ने बोला दीदी बड़ी गाड़़ी में बैठो। मैंने कहा क्यों? कहते हैं भौकाल होना चाहिए, तो आज-कल भौकाल की राजनीति है, शान-शोहरत की राजनीति है और कहीं पर बीच में जो जनता की समस्याएं हैं, जो सत्य है इस देश का, वो डूब रहा है।
यहां खड़े होकर ये कहना बहुत आसान है, दूसरों की आलोचना करना बहुत आसान है। आखिर राजनीतिक सभ्यता को कायम रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी किसकी होती है, प्रधान मंत्री की ही होती है, लेकिन 2 दिन पहले की बात है, विपक्ष की बहुत बड़ी मीटिंग हुई, तमाम विपक्षी दलों के बड़े-बड़े नेता आए। उसी दिन या अगले दिन प्रधान मंत्री जी का एक बयान आया और इस बयान में उन्होंने कहा कि जितने भी विपक्ष के नेता हैं, जितनी भी विपक्ष की पार्टियां हैं, एक झटके में प्रधान मंत्री जी ने जैसे सब धान बाईस पसेरी, सबको चोर बोल डाला।
इतने बड़े नेता, अपने-अपने प्रदेशों के प्रतिनिधि, बड़ी-बड़ी पार्टियों के नेता, जिन्होंने अजीवन देश के लिए संघर्ष किया, जिनका देश-प्रदेश में आदर है, जो जनता के मुद्दे उठा-उठाकर आगे बढ़े राजनीति में, उनका इस तरह का अपमान प्रधान मंत्री जी ने खुद कर दिया और दूसरी तरफ देखिए मणिपुर में 2 महीनों से पूरा प्रदेश जल रहा है, घरों में आग लगाई जा रही है, मार-काट हो रही है आपस में, महिलाओं के साथ भयावह अत्याचार हो रहा है, बच्चों के सर पर छत नहीं रही और हमारे प्रधान मंत्री जी ने 77 दिन के लिए कोई बयान ही नहीं दिया इस पर, वहां पर एक्शन लेना छोड़िए, एक लफ़्ज़ नहीं कहा।
कल मजबूरी में, क्योंकि एक इतना भयावह वीडियो वायरल हुआ कि वो फिर चुप नहीं रह पाए। तो मजबूरी में कल एक बयान दिया उन्होंने, एक वाक्य बोला और उस वाक्य में भी राजनीति घोल दी, उस वाक्य में भी उन्होंने उन प्रदेशों का नाम ले लिया, जिनमें विपक्ष की सरकार है। तो मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि ये जन आक्रोश लिखा है, ये जन आक्रोश किस बात का? ये जन आक्रोश आपके ही मुद्दों पर है कि नहीं है? और यहां खड़े होकर मैं भी इस 30 मिनट के भाषण में 10 मिनट प्रधान मंत्री जी की आलोचना कर सकती हूं, 10 मिनट के लिए मैं ये कह सकती हूं कि कितनी घोषणाएं, नकली घोषणाएं की, कितने घोटाले किए, कितने नाटक करते हैं शिवराज जी और मैं 10 मिनट के लिए सिंधिया जी के बारे में भी बोल सकती हूं कि किस तरह से अचानक उनकी विचारधारा ही पलट गई, लेकिन आज मैं यहां आपका ध्यान भटकाने के लिए नहीं आई हूं, मैं आपके मुद्दों पर बात करने आई हूं और आज जो सबसे बड़ा मुद्दा है आपका, मैं जानती हूं क्या है – महंगाई का मुद्दा है।
सबसे बड़ा मुद्दा आज महंगाई है और मैं सिर्फ सब्जी, फल, आटा, गेहूं, इस सबकी मैं महंगाई नहीं कह रही हूं, ये तो है ही, जब टमाटर 150 रुपए में आप खरीद नहीं सकते तो ये तो है ही, लेकिन इस महंगाई से किस तरह आपकी कमर तोड़ी जा रही है, मैं उसकी बात कर रही हूं, मैं वो बात कर रही हूं कि जब घर में इतनी बारिश हो रही है आज-कल, छत से कुछ पानी गिर रहा है, आपको मरम्मत करवानी है, वो मरम्मत महंगी हो गई है, आपको किसी के घर जाना है, कुछ ले जाना है उनके लिए, वो खरीदना मुश्किल हो गया है, आपके बच्चों की फीस भरना मुश्किल हो गया है, इतनी बारिश में जो बच्चे स्कूल, पाठशाला तक जा रहे हैं, उनके लिए छाता खरीदना मुश्किल हो गया है, आपके पूरे जीवन पर एक बहुत बड़ा बोझ बन गई है ये महंगाई।
तो ये सिर्फ टमाटर के भाव की बात नहीं है, ये बात आपके जीवन की है कि किस तरह आप गुजारा कर पा रहे हैं, मैं समझ नहीं पा रही हूं। मेरी बहनें यहां बैठी हैं, सबसे बड़ा बोझ इन पर है। समाज का बोझ, महंगाई का बोझ मेरी बहनें उठाती हैं, सबसे ज्यादा। आज रसोई के लिए सामान खरीदना है, तेल खरीदना है, वो भी नहीं मिलता, गैस का सिलेंडर मिलता तो था, उसमें गैस भरवाना ही मुश्किल हो गया है, आज आपको खरीदने जाना है तो 1,000 रुपए से कम नहीं मिल रहा है। बच्चों की परवरिश कैसे होगी, सुबह उठकर आप अगले दिन का सामना कैसे करते हैं, कोई बीमार पड़ जाता है तो घबराहट उनकी भी होती है और इस बात की भी होती है कि मैं दवाई कहां से खरीदकर लाऊं, घर पर बीमार पड़ा है, लेकिन इतनी महंगाई है कि दवाई ही नहीं मिलेगी, मैं क्या कहूं, आज ये हैं आपकी परिस्थितियां।
तो इस बीच मुझे उचित नहीं लगता कि यहां आकर मैं फिजूल की बातें करूं, मैं दूसरों की बार-बार आलोचना करती रहूं। मुझे ये उचित लगता है कि हर चुनाव में, हर प्रदेश में, हर गांव में, हर मोहल्ले में जब कोई नेता जाता है, तो उसे जनता के मुद्दों पर बात करना पड़ेगा, उसको बताना पड़ेगा कि ये महंगाई क्यों है? महंगाई के साथ-साथ इतनी बेरोजगारी क्यों है? एक ऐसी सरकार क्यों है आज हमारे देश में, जिसने पूरी की पूरी देश की संपत्ति एक या दो बड़े-बड़े बिजनेस वालों को बेच दी, जहां से आपको रोजगार मिलता था, उन कंपनियों को जब इन्होंने अपने मित्रों को सौंपा, तो उनको मालूम होगा कि आप बेरोजगार होंगे। आपको रोजगार कहां से मिलता था – पीएसयू से मिलता था, बड़ी-बड़ी जो सरकारी कंपनी थीं, उनसे मिलता था, आपको रोजगार खेती की कमाई से मिलता था, आपको रोजगार सेना से मिलता था, आपको रोजगार छोटे-छोटे व्यापार से मिलता था। आज परिस्थितियां क्या हैं – जो बड़ी-बड़ी कंपनियां हैं, वो तो सारी सौंप दीं इन्होंने अपने दोस्तों को, सेना की भर्ती का क्या किया, अग्निवीर का आप जानते हैं। आपका ये जो क्षेत्र है, ग्वालियर का क्षेत्र, रानी लक्ष्मीबाई जी का क्षेत्र है। यहां से तमाम वीर जवान जाकर हमारी सरहद पर खड़े होते हैं। आप जानते हैं, सबसे अच्छी तरह कि जबसे अग्निवीर की स्कीम आई और 4 साल की सेना में भर्ती कराई गई, तब से क्या स्थिति है।
मैं कुछ हरियाणा के नौजवानों से मिली, उन्होंने मुझे बताया कि ट्रेनिंग से लोग वापस जा रहे हैं घर। तो कहते हैं कि हम इतनी ट्रेनिंग, इतनी कड़ी ट्रेनिंग कर किसलिए रहे हैं? हम इतनी कड़ी ट्रेनिंग इसलिए कर रहे हैं कि 4 साल बाद हम बेरोजगार होकर वापस आ जाएं और जब घर आएंगे, तो सरकार ने ये परिस्थितियां बना दी हैं कि घर पर भी किसानी से चाहे जितनी भी मेहनत कर लो, इतनी महंगाई है, इतनी मुश्किलें हैं कि किसानी से भी कमा नहीं पाएंगे। तो घर आकर क्या करेंगे? वहाँ भर्ती के लिए तमाम नौजवान पढ़ाई करते हैं, मां-बाप मेहनत की कमाई से उनके लिए पैसे इकट्ठे करते हैं, कोई 10 हजार के ट्यूशन, कोई 20 हजार के ट्यूशन करता है और फिर देखिए पटवारी के इम्तिहान में किस तरह से घोटाला हो गया।
तो इन चीजों का समाधान क्या है। आज शर्म की बात है कि सिर्फ मात्र सरकारी जो नौकरियां हैं, मात्र 21 दी गई हैं पिछले तीन सालों में। 2018 में जब हमारी सरकार बनी थी, तब इन्होंने सरकार गिराई। उससे पहले इनकी सरकार 10 सालों से चल रही थी। उससे ज्यादा आज 18 सालों से इनकी सरकार है और ये परिस्थितियां हैं। तो चुनाव के पहले ये कहने का क्या फायदा है कि हम फलां स्कीम बनाएंगे, हम महिलाओं को कुछ देंगे, हम नौजवानों को रोजगार देंगे, क्या फायदा है, 18 साल से तो आप सरकार में रहे हैं, तब तो आपने कुछ दिया नहीं।
तो ये परिस्थितियां हैं, ये सच्चाई है। आपके मुद्दे क्या हैं- महंगाई है, बेरोजगारी है। जिस तरह से ये घोटाले पर घोटाला होता जा रहा है, जिसकी बड़ी लिस्ट है यहाँ मेरे पास। निकालती हूं, क्योंकि इतनी लंबी है कि इतने सारे याद भी नहीं रह पाते। खैर, निकाल कर बाद में बताऊंगी, दिख नहीं रही। तो इन्होंने इतने सारे घोटाले किए, कुछ नहीं छोड़ा। सड़कें नहीं छोड़ी, कुछ नहीं छोड़ा, भगवान की मूर्तियां नहीं छोड़ी महाकाल में।
देखिए, दो बातें हैं – इंसान की जो नींव होती है, उसी तरह की नीयत होती है और उसी तरह से जो सरकार होती है, उसकी जो नींव होती है, उसी तरह की नीयत होती है। ये जो सरकार इन्होंने हमारी सरकार गिराकर बनाई, इसकी नींव ही गलत थी। पैसों से खरीदी सरकार है, तो इसकी नीयत, इसका नतीजा क्या है कि इसकी नीयत ही खराब है। शुरु से सिर्फ लूट, सिर्फ घोटाले में ध्यान रहा है, ऊपर से 18 साल से सरकार चली आ रही है। अब आप बताइए कि 18 सालों के लिए जिसके पास सत्ता होती है, उसको क्या होता है। 18 सालों से सत्ता में रहने से अहंकार होता ही होता है और इस कदर होता है कि जो आस-पास के अधिकारी होते हैं, जो साथी होते हैं, वो भी सच्चाई नहीं बताते। तो 18 सालों में नेताओं की ये आदत अक्सर हो जाती है कि वो सोचने लगते हैं कि सत्ता तो हमेशा ही उनके साथ रहेगी और जब हमेशा सत्ता साथ रहेगी, तो काम करने की क्या जरुरत है भईया? कोई पूछने वाला तो है नहीं। जब समय आएगा, ध्यान भटका देंगे। जब समय आएगा दूसरी बातें कर लेंगे, जिससे जनता के जज्बात जुड़े हुए हैं। फिर से जनता भूल जाएगी कि महंगाई है। जनता भूल जाएगी कि बेरोजगारी से मर रही है। जनता भूल जाएगी कि किसान खेती नहीं कर पा रहा, कुछ खरीद नहीं पा रहा, पेट्रोल, डीजल के दाम इतने बढ़ गए हैं और फिर से हमें वोट मिल जाएगा। 18 साल क्या, 5 साल हम और सत्ता में रहेंगे, हमें कुछ करने की जरुरत है और आज मध्यप्रदेश में ये परिस्थितियां हैं। सत्ता की वजह से अहंकार है, सत्ता की वजह से आलस है और सुन लीजिए सत्ता का स्वभाव है कि वो इंसान की भी असलियत उभार देती है। ये सत्ता का स्वभाव है, आप सत्ता को एक नेक इंसान के हाथ में दो, वो भलाई करेगा, आपकी सेवा करेगा। आप सत्ता को गलत इंसान के हाथों में दे दो, तो इसी तरह की लूट मचेगी, जो आपके प्रदेश में आज मच रही है।
महंगाई, बेरोजगारी से समाज में तनाव बढ़ता है। जब समाज में तनाव बढ़ता है तो अत्याचार बढ़ते हैं और अत्याचार हमेशा उन्हीं पर होते हैं, जो ज्यादा कमजोर हैं। आप सबने देखा कि आदिवासियों के साथ किस तरह की हरकतें की जा रही हैं। आपने देखा कि इनके शासनकाल में दलितों के साथ कितने अत्याचार हो रहे हैं। महिलाओं की तो हम बात ही ना करें, हर रोज बलात्कार होता है। एक तरफ आपके अखबारों में बड़े-बड़े इश्तिहार हैं इनकी सरकार के और दूसरी तरफ ये खबरें कि किसी भाजपा के नेता के बेटे ने किसी का बलात्कार किया है, उसका आरोपी है या फिर किसी महिला के साथ छेड़छाड़ की है। तो ये परिस्थितियां हैं।
अब आपको समझाना जरुरी भी है, लेकिन मैं जानती हूं कि सबसे ज्यादा विवेक जनता में होता है, सबसे ज्यादा और मेरी समझ ये है कि जनता कभी गलत निर्णय नहीं लेती। जो भी निर्णय है, उसका आदर लोकतंत्र को करना पड़ता है। तो अब समय आ गया है कि आप अपने लिए, अपने भविष्य के लिए एक बहुत बड़ा निर्णय करने वाले हैं। ये निर्णय क्या है कि अगले 5 सालों में क्या आप यही चाहते हैं, जो आपने पिछले 5 सालों में देखा और इस विषय में मैं आपसे पूछना चाहती हूं, मेरे नौजवान भाई-बहन बताइए, आपमें से कितनों को रोजगार मिला है (श्रीमती गांधी ने जनसभा से पूछा), (जनसभा ने कहा किसी को नहीं)। मेरे किसान भाई-बहन यहाँ हैं, आपकी जिंदगी बेहतर हुई है कि नहीं, 5 सालों में आपकी तरक्की हुई है कि नहीं? (जनसभा ने नहीं में उत्तर दिया) यहाँ व्यापारी होंगे, छोटे दुकानदार भी होंगे, रेहड़ी-पटरी वाले भी होंगे, क्या आपके जीवन में तरक्की आई है कि नहीं? आप कितनी मेहनत से कमाते हैं, कुछ नहीं बचता आपके पास और जो आप पर सत्ता है, जिनके पास सत्ता है, जो आप पर राज कर रहे हैं, आलस के बावजूद घोटाले पर घोटाले कर-करके कमा रहे हैं। बड़े-बड़े आलीशान महल हैं उनके, बड़े-बड़े बिजनेस वालों के साथ घूमते फिरते हैं। लेकिन आपके पॉकेट में, आपकी जेब में एक पाई नहीं भेजते। आज ये अभाव है, तो इसलिए है क्योंकि आप जागरुक नहीं बन रहे हैं। मैं आपको ही दोषी ठहराऊंगी कि आपकी जागरुकता में कमी है। आप नेताओं से सही सवाल कर नहीं रहे हैं। आप नेताओं से पूछिए कि ये इतने घोटाले क्यों हो रहे हैं कि आपने 22 हजार घोषणाएं की, उसमें से क्या आपने 2,000 भी पूरी की? आप क्यों नहीं पूछ रहे हैं कि ये 20, 25 घोटाले, इनकी जो लिस्ट है, ये हर रोज बढ़ती कैसे चली जा रही है? आप ये नहीं पूछते कि आपके लिए इतनी महंगाई और इस देश के जो बड़े-बड़े उद्योगपति हैं, जिनको इन सरकारों ने आपकी संपत्ति दे दी है, उनकी कितनी कमाई है? मैं बताती हूं, 1,600 करोड़ रुपए एक उद्योगपति एक दिन में कमा रहा है, जिसको इस देश की संपत्ति दे चुके हैं। 1,600 करोड़ रुपए एक दिन में और इस देश का किसान एक दिन में 27 रुपए नहीं कमा पा रहा।
तो आज मैं आपसे पूछना चाहती हूं, बदलाव चाहते हैं कि नहीं चाहते हैं? आप एक ईमानदार सरकार चाहते हैं कि नहीं चाहते हैं? आप इस सरकार को हटाकर एक ऐसी सरकार बनाना चाहते हैं, जो आपके लिए दिन-रात एक करके काम करे कि नहीं? 1,600 युवाओं ने बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या की है। युवा जो होता है, वो आशा रखता है, महत्वाकांक्षाए होती हैं उसकी, मां-बाप के लिए कुछ करेगा, कमाएगा। घर में जो बच्चे हैं, उनकी परवरिश करेगा, आज वो सारे सपने तोड़ दिए हैं। क्या आप ऐसी सरकार चाहते हैं जो रोजगार दिलवाए, जो आपको मजबूत बनाए, जो मध्यप्रदेश के नौजवानों को अपने पैरों पर खड़ा करे कि नहीं?
मैंने उत्तर प्रदेश में एक नौजवान से पूछा कि बेटा, ये जो राशन की बोरी तुम्हें दी जाती है, तुम्हें ये चाहिए कि तुम्हें नौकरी चाहिए? मैं सबसे पूछती थी, एक ऐसा नौजवान नहीं था, जिसने कहा कि मुझे राशन की बोरी दो, एक नहीं था। जितने भी नौजवान थे, चाहे जितने गरीब हों, चाहे छोटे – छोटे से घर में रहते हों, वो सब कहते थे हमें रोजगार चाहिए, हमें नौकरी चाहिए, हम अपने पैरों पर खड़े होकर अपने परिवार के लिए खुद कमाना चाहते हैं और इस सरकार ने आपको निर्भर बनाने का काम किया है। आपको राशन पर निर्भर करेंगे या आपको अपनी फालतू की स्कीमों पर निर्भर करेंगे, जिसमें आपको कुछ मिलता भी नहीं है, लेकिन आपको रोजगार नहीं दिलवाएंगे, आपको अपने पैरों पर खड़े होने का काम नहीं करने देंगे। इसलिए कांग्रेस जो है, वो आपके लिए कुछ वायदे, कुछ गारंटी लाई है।
जब मैं कहती हूं कि कांग्रेस गारंटी देगी, तो मैं इस आधार पर कहती हूं कि हमारी जहाँ-जहाँ सरकारें हैं, वहाँ – वहाँ हमने जो गारंटी दी, वो निभाई जा रही है। चाहे आप कर्नाटका में, चाहे आप हिमाचल प्रदेश में, चाहे आप राजस्थान में देंखे, तो जो वायदे किए थे, वो निभाए जा रहे हैं। राजस्थान में, छत्तीसगढ़ में, हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन की स्कीम लागू है। जब आप सरकारी नौकरी लेने जाते हैं, तो उसमें सबसे बड़ी चीज क्या होती है – जीवन के लिए सुरक्षा, मतलब कि 20, 25 साल नौकरी करने के बाद आपको पेंशन मिलेगी। आपको एक सहारा मिलेगा, वो सहारा आज नहीं मिलता सरकारी कर्मचारियों को। सरकार कहती है पैसे नहीं हैं इसके लिए। तमाम सरकारी कर्मचारी परेशान हैं। इनके पास बड़े-बड़े उद्योगपतियों के लोन माफ करने के पैसे हैं, आपको पेंशन देने के लिए पैसे नहीं हैं। इसलिए जहाँ-जहाँ कांग्रेस की सरकार है, वहाँ-वहाँ पुरानी पेंशन आज लागू है। क्योंकि हम आपका आदर करते हैं, हम समझते हैं कि जो सरकारी कर्मचारी हैं, जो दिन-रात सालों के लिए सेवा करता है, उसके लिए बुढ़ापे में भी सहारा होना चाहिए और यहाँ पर भी एक घोषणा ये है, गारंटी कि पुरानी पेंशन यहाँ भी लागू होगी।
मेरी बहनों के खातों में हर महीने सीधे 1,500 रुपए डाले जाएंगे। जो गैस का सिलेंडर आज आपको हजार रुपए से कम में नहीं मिल रहा है, आपको 500 रुपए में दिलवाया जाएगा। 100 यूनिट बिजली आपको माफ होगी, मुफ्त में मिलेगी और 200 यूनिट पर बिजली बिल आधे किए जाएंगे। जो किसानों के कर्ज माफ करने का काम हमने 2018 में शुरु किया था, वो नई सरकार अगर कांग्रेस की बनेगी, तो उसे पूरा करेगी।
आज छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है, 2,600 रुपए धान मिल रहा है, 2,600 रुपए आपको मिलते हैं धान के लिए। जहाँ पर हिमाचल में हमारी सरकार है, वहाँ जो वायदे किए थे, उनको पूरा करने का काम शुरु है। कर्नाटका में कहा था कि महिलाओं को बस में यात्रा मुफ्त में मिलेगी, आज महिलाएं मुफ्त में यात्राएं कर रही हैं।
तो इस बार मध्यप्रदेश में मुझे लगता है कि प्रचंड बदलाव की लहर है और मैं आपसे आग्रह करती हूं कि प्रचंड बहुमत से आप इस बार कांग्रेस को जीताइए। एक ऐसी मजबूत सरकार बनाइए, जो ना खरीदी जा सके, ना गिराई जा सके। जो 5 सालों के लिए दिन-रात आपके लिए काम करे और आपके ही भविष्य को मजबूत बनाए। एक ऐसी राजनीति लाइए अपने प्रदेश में जो आपके भविष्य को मजबूत बनाने के लिए, आपकी समस्याओं को सुलझाने का काम करे। आपकी जितनी भी छोटी-छोटी समस्याएं हैं और जितनी बड़ी समस्याओं से आप जूझ रहे हैं, उनको सुलझाने का काम पहले दिन से शुरु होना चाहिए और कमलनाथ जी से मैं अपनी तरफ से एक छोटी सी मांग करना चाहती हूं। अभी रास्ते में मैं यहाँ आ रही थी, तो कुछ मुझे दिव्यांग लोग मिले, उन्होंने कहा कि उनकी पेंशन सिर्फ मात्र 600 रुपए है। तो मैं आपसे आग्रह करती हूं कि जब आपकी सरकार बनेगी, तो उनकी पेंशन भी जरुर बढ़ाइएगा (श्री कमलनाथ की ओर इशारा करते हुए बोला)।
- देखिए, ये ग्वालियर-चंबल की धरती है, जैसे मैंने कहा, झांसी की रानी की धरती है, बड़े-बडे़ यहाँ से महापुरुष हुए, अपने क्षेत्र के लिए, अपने देश के लिए, अपनी जनता के लिए जी-जान एक की। ग्वालियर-चंबल में अबकी बारे जे मामा की भ्रष्ट सरकार बदलबे बारी है, बोलो बदलबे बारे है ना? ठीक बोल रही हूं? और बोलूं आपकी भाषा में, एक बार हमए संगे जोर से बोलो, भाजपा जाए बे बारी है, कांग्रेस आए बे बारी है। भाजपा जाए बे बारी है, कांग्रेस आए बे बारी है और आप सबको धन्यवाद देना चाहती हूं कि इतने समय से आपने मेरा इंतजार किया, मेरी बातों को आपने ध्यान से सुना। मैं आशा रखती हूं कि आप इन बातों को भूलेंगे नहीं और चाहे जिस भी पार्टी का नेता आपके सामने आए, मंच पर खड़ा हो, आप उससे ये जरुर पूछिए कि आपके मुद्दों पर बात करे और आपके लिए वो क्या करेंगे।