भोपाल-राज्य विधानसभा चुनाव जीतने वाले 18 पूर्व मंत्री इन दिनों बेचैन हैं। इसकी वजह मंत्रिमंडल में स्थान मिलने या न मिलने को लेकर संशय है। दरअसल, भाजपा के बड़े नेता बार-बार यह संकेत दे रहे हैं कि मध्य प्रदेश में भी पार्टी गुजरात माडल लागू कर सकती है। ऐसे में कई पूर्व मंत्री परेशान हैं कि उन्हें अब शायद ही मंत्री बनने का अवसर मिले।
बता दें कि गुजरात में सितंबर, 2021 में बनी सरकार में ”नो रिपीट” फार्मूले पर जोर दिया गया था। 25 मंत्रियों की कैबिनेट में से केवल तीन ही पहले मंत्री रह चुके थे, बाकी नए थे। इधर, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आने वाले कई पूर्व मंत्रियों को भी चिंता सता रही है कि पिछली बार तो कमल नाथ सरकार गिराने के एवज में वे मंत्री बन गए थे, लेकिन इस बार भाजपा के ऐतिहासिक बहुमत के बाद उन्हें मंत्री बनाया जाए, यह मजबूरी नहीं है।
गुजरात के सफल प्रयोग ” नो रिपीट फार्मूला” को देखते हुए भाजपा मप्र में भी यह प्रयोग आजमाने पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि भाजपा ने इस विधानसभा चुनाव में 47 नए चेहरे उतारे थे, इनमें से 34 विधायक बन गए। पार्टी इस तैयारी में है कि नए विधायकों का विधायक दल में 22 प्रतिशत है, इसे देखते हुए नई कैबिनेट में कम से कम सात-आठ नए चेहरे शामिल किए जाने का विचार बन रहा है।