भोपाल, 17 मई- मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर सीट से भाजपा विधायक जालम सिंह पटेल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर कहा है कि जब उन्हें अप्रैल में कोविड-19 हुआ तो उन्हें भी नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाये गये, जिससे उनकी तबीयत और बिगड़ गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन आपूर्ति का भुक्तभोगी, प्रत्यक्षदर्शी एवं पीड़ित हूं।’’जालम सिंह पटेल केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल के छोटे भाई हैं।उन्होंने अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री चौहान से मांग की है कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले की जांच केन्द्रीय जांच दल से करायें।
जालम सिंह पटेल ने चौहान को 15 मई को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘मेरी दमोह उपचुनाव में ड्यूटी थी। चुनाव के दौरान कोरोना वायरस की चपेट में आ गया था। मैं अस्पताल में भर्ती हुआ। खून एवं सीटी स्कैन जांच की रिपोर्ट में चार से छह प्रतिशत फेफड़ों में संक्रमण का पता चला। मुझे 17 अप्रैल 2021 से 22 अप्रैल 2021 तक छह रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाया गये। इंजेक्शन लगाने के बाद भी मुझे खांसी-बुखार आती रही एवं ऑक्सीजन का स्तर घटता रहा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं दोबारा अस्पताल में भर्ती हुआ। 25 अप्रैल को खून एवं सीटी स्कैन जांच की रिपोर्ट में फेफड़ों में 14 से 16 प्रतिशत तक संक्रमण बढ़ा हुआ आया। डॉक्टर टीम द्वारा मुझे पुन: छह रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाये गये।’’
पटेल ने कहा, ‘‘मुझे कुल 12 रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाये गये, जबकि मुझे कोविड-19 के अलावा कोई दूसरी बीमारी नहीं है। मैं पूर्ण स्वस्थ था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पहली बार जो छह इंजेक्शन लगे हैं वे नकली इंजेक्शन थे। पहली बार इंजेक्शन लगने के बाद मेरे फेफड़ों में संक्रमण चार से 16 प्रतिशत तक बढ़ गया, जबकि डॉक्टर के मुताबित फेफड़ों का संक्रमण घटना था।’’
पटेल ने बताया कि जबलपुर स्वास्थ्य की दृष्टि से बड़ा केन्द्र है। जबलपुर से लगे हुए लगभग 15 जिलों के लोग इलाज कराने जबलपुर केन्द्र पर आते हैं। जबलपुर के आसपास के सभी जिलों में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति हुई है। इन जिलों में अनेकों कोरोना मरीजों की रेमडेसिविर इंजेक्शन लगने के बाद मौतें हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी का लाभ उठाते हुए धन पशुओं ने मौत का यह खेल खेला है। इस गोरख धंधे में अनेक राजनैतिक व्यक्ति, निजी, सिटी हॉस्पिटल जबलपुर का प्रबंधन एवं शासकीय अधिकारी शामिल हैं।’’
पटेल ने कहा, ‘‘मान्यवर मैं इस नकली इंजेक्शन आपूर्ति का भुक्तभोगी, प्रत्यक्षदर्शी एवं पीड़ित हूं।’’
उन्होंने कहा कि मेरे परिवार के दिनेश पटेल (42) की मृत्यु भी कोरोना से हुई है।
पटेल ने कहा, ‘‘जबलपुर संभाग में हजारों रेमडेसिविर इंजेक्शन एक मुश्त उपलब्ध कराये गये हैं। उक्त रेमडेसिविर कौन-कौन मद से, किन-किन कंपनियों द्वारा, किस व्यक्ति, मेडिकल स्टोर्स, अस्पताल प्रबंधन या मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) द्वारा उपलब्ध कराये गये हैं? उक्त रेमडेसिविर इंजेक्शन नकली तो नहीं थे? क्या उनकी आड़ में या आगे-पीछे आने वाले इंजेक्शन नकली थे? किन-किन जिलों में इसकी आपूर्ति हुई होगी? ’’
उन्होंने कहा, ‘‘अनेक मरीजों को छह रेमडेसिविर इंजेक्शन लगने के बाद भी लाभ नहीं हुआ। अनेकों मरीजों की मौत हो गई। मैं स्वयं इसका उदाहरण हूं।’’
पटेल ने कहा, ‘‘सिटी हॉस्पिटल जबलपुर एवं अन्य सहयोगियों द्वारा मरीज भर्ती होने से पहले एक लाख रूपये से पांच लाख रूपये तक जमा कराया जाता है। कितने दिन में कौन सा मरीज मृत होगा, यह अस्पताल प्रबंधन तय करता था। महोदय जबलपुर के इस रैकेट को आपने धाराशाई कर मौत के खेल को बंद किया है। इसलिए आपको सादर प्रणाम।’’
उन्होंने आगे लिखा, ‘‘महोदय नकली इंजेक्शन के कारण अविश्वास का वातावरण बना हुआ है। अनेक प्रदेशों से नकली इंजेक्शन आपूर्ति हुए हैं। इसीलिए केन्द्रीय जांच टीम का सहयोग लिया जाये एवं पैसों की खातिर निर्दोष व्यक्तियों की मौतों की निष्पक्ष जांच एवं पीड़ित व्यक्तियों को सिटी हॉस्पिटल प्रबंधन एवं दोषियों से पांच-पांच लाख रूपये की राशि वसूल करके मुआवजा के रूप में प्रदान की जाये एवं दोषियों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाये।’’
जब उनसे सवाल किया गया कि क्या मुख्यमंत्री चौहान ने उनके पत्र का जवाब दे दिया है, तो इस पर पटेल ने बताया, ‘‘मैंने यह पत्र दो दिन पहले ही लिखा है। कल रविवार था। मुझे जवाब मिल जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के गोरख धंधे को चलाने वालों को कठोर दंड दिलाने के लिए मैं आखिरी दम तक अपनी लड़ाई लडूंगा। मैं अदालत भी जाऊंगा और मृतकों के परिजन को मुआवजा दिलाने के लिए विधानसभा में मुद्दा भी उठाउंगा।’’
पटेल ने बताया, ‘‘मैं इस संबंध में जबलपुर के पुलिस महानिरीक्षक एवं संभागीय आयुक्त को पहले ही कार्रवाई करने के लिए लिख चुका हूं।’’