भोपाल-राज्य में राज्यसभा की तीन सीटें प्रभात झा, दिग्विजय सिंह और सत्यनारायण जटिया का कार्यकाल खत्म होने से रिक्त हुई हैं। इन सीटों के लिए 19 जून को मतदान होने वाला है। इसके लिए कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और दलित नेता फूल सिंह बरैया को उम्मीदवार बनाया है, वहीं दूसरी ओर भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और अभी हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा डॉक्टर सुमेर सिंह सोलंकी को मैदान में उतारा है।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के अंदर एक ऐसा धड़ा है जो दिग्विजय सिंह के स्थान पर फूल सिंह बरैया को राज्यसभा में भेजने की पैरवी कर रहा है और आगामी समय में होने वाले उपचुनाव के लिहाज से जरूरी भी मान रहा है। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पिछले दिनों एक बैठक भी की थी और उस बैठक में प्रस्ताव पारित कर पार्टी हाईकमान को सुझाव दिया गया था कि बरैया को राज्यसभा उम्मीदवारी की प्राथमिकता में पहले स्थान पर रखा जाए।
बैठक में शामिल एक कांग्रेस नेता का कहना है कि, बरैया को राज्यसभा में भेजने पर ग्वालियर-चंबल अंचल में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में पार्टी को लाभ मिल सकता है, क्योंकि इस क्षेत्र में आरक्षित वर्ग के मतदाताओं की संख्या चुनावी नतीजों को प्रभावित करने वाली है। वहीं दूसरी ओर यह इलाका सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र भी है। इसलिए बरैया को राज्यसभा में भेजकर पार्टी खुद का दलित व आरक्षित वर्ग का हिमायती होने का प्रमाण दे सकती है।
कांग्रेस यह मानने को तैयार नहीं है कि उसे सिर्फ एक सीट ही मिलने वाली है। पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का दावा है कि “कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार राज्यसभा का चुनाव जीतेंगे।” मगर यह खुलासा नहीं करते कि आखिर जीतेंगे कैसे।
विधानसभा में विधायकों की स्थिति पर गौर करें तो सदन की सदस्य क्षमता 230 है। इनमें से 22 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं और दो विधायकों का निधन हुआ है। कुल मिलाकर 24 स्थान रिक्त हैं। वर्तमान में 206 विधायक हैं, इनमें भाजपा के 107 कांग्रेस के 92 इसके अलावा बसपा सपा और निर्दलीय के कुल सात विधायक हैं।
हमने कांग्रेस के कई जमीनी युवा कार्यकर्ताओ से बात की नाम न छापने की शर्त पर उन्होने बताया अब दिग्विजय सिंह को सक्रिय राजनीति से दूर रखना चाहिए ,मप्र मे सरकार गिरने की छीछालेदर के चलते पार्टी का बड़ा युवा तबका दिग्विजय सिंह के विरोध में आ खड़ा हुआ है अब देखना यह है की दिग्विजय सिंह अपनी व्यक्तिगत राजनैतिक जमीन बचा पाते हैं या पार्टी हिट में राज्यसभा सीट छोड़ते हैं।