अनिल सिंह (भोपाल)– कांग्रेस का संगठन मध्यप्रदेश में ख़त्म हो चुका है ,कांग्रेसी नेताओं के अनुसार कोई भी एैसा तंत्र नहीं बचा है जो प्रतिनिधित्व कर सके और आंदोलन को सम्भाल सके ,आये हुए मौकों को आपसी तालमेल कि कमी के चलते खो देना पिछले विधानसभा चुनाव कि टीस से कार्यकर्ता अभी तक नहीं उबर सके हैं।
व्यापम घोटाले के विरुद्ध आंदोलन दिशाहीन एवं कमजोर
व्यापम घोटाला एक ऐसा अस्त्र है जो कांग्रेस के लिए मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन का काम करता लेकिन उसके बड़े नेताओं खासकर दिग्विजय सिंह ने यह मौका लपकना रुकवा दिया ,अब यदि कोई प्रदर्शन कर भी रहा है तो उसे दिशा और गति नहीं मिल रही है,संगठन रूप में कांग्रेस क्षत्रपों पर आश्रित है न कि कार्यकर्ताओं पर।
युवा विधायक नहीं आतें आन्दोलनों मेँ
कांग्रेस के युवा विधायक जो अपनॆ पिताओँ कि जायदाद पर काबिज हुए हैं वे वही ऱाजनीति कर रहे हैं जो उनके पुरखे करते आये ,क़ोई नयापन नहीँ आया,इनकी राजनीति सिर्फ महलों और बैठक कक्षों तक ही है और वे यहाँ से ही उड़ान भरना चाहते हैं ,आम जनता से इन्हे कोई लगाव नहीं ये संगठन को अपना गुलाम मानते हैं।
जमीनी कार्यकर्ता हतोत्साहित हो रहे हैं
कांग्रेस के मोटे नेताओं जिनकी चर्बी कई पुश्तों तक अकाल पड़ने पर भी न कम हो ऐसे नेताओं कि बात हो रही है और केन्द्र कि देश एवं समाज विरोधी नीतियों से जनमानस में आक्रोश है ,कांग्रेस कि भेदभाव पूर्ण नीतियों से देश पतन कि और जा रहा है ,समुदायों के लिए दो आँख करने कि नीति ने देश को बारूद के ढ़ेऱ पर खड़ा किया हुआ है ,देश विरोधी तत्वो को शरण ,आतंकवाद के पक्ष में बोलना इनके क्षत्रपों का शगल रहा है ये वही कर रहे जो अंग्रेजों ने किया इन सबसे इस पार्टी के विरुद्ध संशय कि स्थिति बन गयी है ,कितनी भी गरीबी हो लेकिन देशभक्ति कि भावना प्रबल होती है आज कांग्रेस कि नीतियां उसे देशद्रोही कि पंक्ति में खड़ा कर रही हैं इस वजह से युवा और जनमानस दुसरे दलों को वोट दे रहा है।