भोपाल- मध्य प्रदेश वित्त विभाग ने केंद्र को लगभग डेढ़ महीने पहले कर्ज लेने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे केंद्र ने मंजूरी दे दी है। अब मोहन सरकार 5000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है, जिसे दो किस्तों में लिया जाएगा। पहला कर्ज 2500 करोड़ रुपये का 11 साल के लिए लिया जाएगा, वहीं दूसरा 2500 करोड़ रुपये का कर्ज 21 साल के लिए लिया जाएगा।
मध्य प्रदेश सरकार का बजट करीब 4 लाख करोड़ का बजट है और उससे ज्यादा कर्ज पहुंच गया है। राज्य सरकार औसतन हर महीने 2000 करोड़ का कर्ज ले रही है। मध्य प्रदेश की वित्तीय स्थिति पहले ही चिंताजनक है अब एक और नया कर्ज, एमपी सरकार के वित्तीय संकट के दलदल में फंसने का इशारा कर रहा है।
पिछले दिनों संसद में दिए गए जवाब के हिसाब से मध्यप्रदेश पर मार्च 2024 के हिसाब से कर्ज बढ़कर 4 लाख 18 हजार 056 करोड़ पहुंच गया है। राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम के हिसाब से मध्यप्रदेश सरकार राज्य सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत लोन ले सकती है।
हाल ही में CAG ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के बढ़ते राजकोषीय घाटे पर चिंता जताते हुए कहा था कि सरकार को ज्यादा कर्ज लेने के बजाय राजस्व बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, नुकसान उठा रहे उपक्रमाें के कामकाज की समीक्षा कर उनमें सुधार की रणनीति बनाई जाना चाहिए। बजट तैयार करने की प्रक्रिया ऐसी हो, ताकि बजट अनुमान और वास्तविक बजट के बीच के अंतर को काम किया जा सके।