भोपाल- मध्य प्रदेश में फसल की खरीद हो और इसका सीधा फायदा वास्तविक किसान को मिले, इसके लिए शिवराज सरकार जल्द ही एक नया कदम उठाने जा रही है। इसके तहत अब किसान अपनी फसल जब उपार्जन केंद्र पर बेचने जाएंगे। तो उनकी पहचान बायोमेट्रिक सिस्टम से की जाएगी। साथ ही आधार नंबर के माध्यम के उनका सत्यापन किया जाएगा।
दरअसल, मप्र में गेंहूं, धान सहित अन्य फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदारी तेजी से की जा रही है। पिछले साल 129 टन गेंहूं खरीदकर प्रदेश ने पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया था। धान की भी रिकॉर्ड खरीदारी की गई है। लेकिन इसी बीच कई लोगों ने खरीदारी में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक भी इसकी शिकायत पहुंची थी। जिसके बाद उन्होंने कलेक्टरों से इसकी जांच भी कराई थी। जांच में दतिया, सागर सहित कई जिलों में अनियमितता के मामले सामने आए थे।
कई जिलों में तो अन्य राज्यों से उपज को लाकर उपार्जन केंद्रों पर बेचा जा रहा था। ऐसे में अब पाइंट ऑफ सेल्स मशीन का उपयोग इन खरीद केंद्रों पर किया जाएगा। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए आपूर्ति निगम ई-उपार्जन पोर्टल में दर्ज किसानों की जानकारी का मिलान किया जा रहा है। इस काम को करने के लिए मध्य प्रदेश इलेक्ट्रानिक्स डेवलपमेंट कार्पोरेशन को जिम्मदारी सौंपी गई है।
वहीं इस मामले पर खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार भी चाहती है कि समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीद का लाभ वास्तविक किसान को मिले। यही कारण है कि धीरे-धीरे व्यवस्थाओें को ऑनलाइन किया जा रहा है। अब किसानों को उपज का भुगतान भी सीधे उनके खातों में किया जाता है। साथ ही जो पंजीकृत किसान हैं उन्हीं से फसल की खरीद की जाती है। किसान अब गिरदावरी एप में पहले से ही अपनी जानकारी दर्ज करा देते हैं। वे राजस्व विभाग को बता देते हैं कि उन्होंने कौन सी फसल कितने क्षेत्र में बोई है।
बतादें कि केंद्र सरकार ने किसान सम्मान निधि के लिए किसानों से पूरी जानकारी जुटाई है। अब प्रदेश सरकार इसी जानकारी से मिलान करेगी। जिसके आधार पर तय किया जाएगा की कौन किसान अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जन केंद्रों पर बेचेजा और कौन नहीं। यानी कौन किसान सही है कौन फर्जी ये बायोमेट्रिक सिस्टम से पता चल जाएगा।