बॉलिवुड में सीक्वल का सीजन खूब चल निकला है। इसी कड़ी में तिग्मांशु धूलिया ने अपनी पिछली फिल्म ‘साहेब, बीवी और गैंगस्टर’ का सीक्वल बनाया है। इसमें पिछली फिल्म के मुकाबले कई ऐसे मसाले फिट किए गए हैं, जो बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म को 100 करोड़ के क्लब में शामिल करने का दम रखते हैं।
पॉलिटिक्स, पैसा और पावर के संघर्ष को तिग्मांशु ने ऐसे अंदाज में पेश किया है जो दर्शकों की हर क्लास को बांध सकता है। कहानी की रफ्तार कहीं धीमी नहीं पड़ती। पिछली फिल्म के मुकाबले सीक्वल के गर्मागर्म दृश्यों पर इस दफा सेंसर की कैंची खूब चली, इसलिए इस बार माही गिल के ज्यादा हॉट सीन्स देखने की चाह में थिएटर जाने वाले अपसेट होंगे।
कहानी: गैंगस्टर रिटर्न्स की शुरुआत वहीं से होती है, जहां पहली फिल्म खत्म हुई थी। पिछली फिल्म में बुरी तरह से घायल राजा आदित्य प्रताप सिंह (जिम्मी शेरगिल) अब व्हील चेयर पर है। वहीं उसकी बीवी माधवी (माही गिल) अपने पति के दमखम पर चुनाव जीतकर एमएलए तो बन चुकी है, लेकिन साहेब की मर्जी के बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाती। सारी सत्ता माधवी नहीं, साहेब के इशारों पर चलती है। माधवी दिन-रात शराब के नशे में डूबी रहती है। प्रिंस इंद्रजीत सिंह (इरफान खान) के पूर्वजों को आदित्य के पूर्वजों ने मारा था, सो अब प्रिंस का मकसद आदित्य की बर्बादी और अपने पूर्वजों के खून का बदला लेना है।
साहिब की बहन उसका वंश आगे बढ़ाने के लिए उसकी दूसरी शादी कराना चाहती है। राजा जी (राज बब्बर) की बेटी रंजना (सोहा अली खान) की तस्वीर देखकर साहिब उससे किसी भी सूरत में अपना बनाना चाहता है। दूसरी ओर, रंजना इंद्रजीत सिंह से प्यार करती है। साहिब जब रंजना के पिता पर अपनी बेटी की शादी अपने साथ करने के लिए दबाव डालता है तो राजा जी एक चाल चलते हैं, राजा जी अपने वफादार इंद्रजीत सिंह को साहिब को बर्बाद करने के लिए उसे कुछ भी करने की छूट देते हैं, इंद्रजीत अब साहिब की बर्बादी के बदले अपनी शादी रंजना के साथ करने की राजा जी से डील करता है। कहानी में ट्विस्ट उस वक्त आता है जब इंद्रजीत सिंह माधवी को साहिब के खिलाफ साजिश में अपने साथ शामिल करने में कामयाब होता है।
ऐक्टिंग: साहिब के किरदार में जिम्मी शेरगिल की परफॉर्मेंस का जवाब नहीं। माही गिल के किरदार को पिछली फिल्म में उनके रोल का एक्सटेंशन ही कहा जाएगा। फिल्म के सेकंड हाफ में सोहा अली ने प्रभावित किया। प्रिंस इंद्रजीत सिंह को देख लगता है कि जैसे इसे इरफान खान के लिए ही लिखा गया था। राज बब्बर ठीक-ठाक रहे।
डायरेक्शन: तिग्मांशु की फिल्म पर पहले से आखिरी सीन तक पकड़ है। उन्होंने हर किरदार से अच्छा काम लिया। दमदार स्क्रिप्ट के चलते तिग्मांशु फिल्म और किरदारों पर अपनी पूरी पकड़ रखने में अंत तक कामयाब रहे हैं।
संगीत: मुग्धा का आइटम नंबर बेवजह ठूंसा गया लगता है। ऐसी स्क्रिप्ट पर बनी फिल्म में संगीत कहानी की गति रोकने का ही काम करता है।
क्यों देखें: साहिब का बदला रूप, राजनीति, पैसे का ऐसा खेल जिसे तिग्मांशु ने बेहतरीन ढंग से फिल्माया है। अगर फिल्म का पहला पार्ट देखा है, तो यह मिस न करें। सशक्त निर्देशन, दमदार ऐक्टिंग फिल्म के प्लस पॉइंट हैं।