भूत होते हैं, किसी भी मौके पर कहीं भी देखे जा सकते हैं और जिस तरह के भूतों से मिलना चाहें मुलाकात हो सकती है। अभी और यहीं उन्हें देखा और उनसे संपर्क किया जा सकता है।
लेकिन सिर्फ आप ही उन्हें देख मिल सकते हैं या आप जैसी स्थिति वाले कुछ और लोगों को भी वे दिखाई दे सकते हैं। कोलंबिया के भौतिक विज्ञानी डा. अब्राहम बेवर ने कोई तीस साल पहले अपनी पुस्तक अनसिन डायमेशंन ऑफ एक्जिस्टेंस में यह बात रखी तो विद्वानों ने इस विचार की खिल्ली उड़ाई।
लेकिन इसी वर्ष मार्च के महीने मे मनोविज्ञानी एविन कोलिंस के पर्चे ने इस बात की पुष्टि की। लिस्बन मे हुई पेरासाइकोलाजी कांफ्रेंस में उन्होंने अपने एक अध्ययन, प्रयोग और निष्कर्षों के आधार पर कहा कि सूक्ष्म जगत में अस्तित्व रखने वाली चीजों को हर कोई अनुभव नहीं कर सकता। आप जो अनुभव करते हैं, वह आपकी मनःस्थिति पर निर्भर करता है।
इसका यह अर्थ नहीं है कि कोई चीज आप अनुभव करते हैं और दूसरे लोग नहीं कर पा रहे तो उसका वजूद ही नहीं होता। कलर ब्लाइंडनेस का उदाहरण देते हुए कोलिंस ने कहा कि कोई व्यक्ति बैंगनी रंग के प्रति अधंत्व का शिकार है तो इससे कहां साबित होता है कि बैंगनी रंग होता ही नहीं।
सूक्ष्म जगत की वस्तुओं के अनुभव को इसी तरह खारिज नहीं किया जा सकता। किसी को या बहुत से लोगों को वायवीय शक्तियों का अनुभव नहीं होता तो उन्हें नकारने की बजाय वैज्ञानिक ढंग से सोचना चाहिए। सिरे से उसे रद्द कर देना उस क्षेत्र में ज्ञान की संभावनाओं को खत्म कर देता है। खुले मन से उस दिशा मे सोचकर तो देखिए।