भोपाल – माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति कुठियाला जी इस समय शासन द्वारा फरार घोषित होने के मुहाने पर हैं,मुद्दा यह उठता है की क्या कुठियाला जी स्वयं ही भ्रष्ट थे या अपने सपनों को पूरा करने में सत्ता पक्ष के प्रति उन्होंने जो निष्ठा प्रदर्शित की उसकी ये सजा भुगत रहे हैं ? इसे समझने हम उनके कार्यकाल में कुछ झांकें उनकी कार्यविधि को पहचानने का प्रयास करें तब हम जान पाएंगे वे सही थे या गलत.
कुठियाला जी अय्याश जिंदगी जीने के आदी थे इससे सब परिचित हैं ,अरेरा कालोनी में किराए के घर में स्वीमिंग पूल का निर्माण एवं उसका उचित प्रयोग,इस तरणताल में उनकी महिला मित्रों के साथ वे जल-क्रीड़ा करते थे जिसकी चर्चा आम थी लेकिन सत्ता के उनके रहनुमाओं ने इस पर ध्यान नहीं दिया या देना नहीं चाहा,रहनुमाओं को यह चिंता नहीं थी की इसका विश्विद्यालय के छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ेगा ,कुठियाला उनके लिए इस लिए महत्वपूर्ण थे क्योंकि उनकी प्रत्येक जायज-नाजायज मांग को पूरा करने में कुठियाला जी सिद्धहस्त थे,सत्ता से जुड़े आकाओं के सेवकों को येन केन प्रकारेण नियुक्ति दिलवाने के आरोप भाजपा शासन काल में इन पर लगे लेकिन सत्ता – पक्ष का वरद- हस्त इन पर बना रहा.
माखनलाल में हुयी आर्थिक अनियमितताएं ,छात्रों में गुटबाजी ,शिक्षकों के विवाद को बढ़ावा देने के चलते विश्वविद्यालय के शैक्षिक स्तर को गिराने में कुठियाला जी ने महती भूमिका निभायी , शिक्षकों की भर्ती में योग्यता का पैमाना इन्होने संघ समर्थित उम्मीदवार रखे ,आरएसएस से नजदीकी लोगों या नियमित संघ की शाखा में जाने वाले उम्मीदवारों को विश्वविद्यालय में नौकरी दी गयी ,छात्रों को पत्रकारिता की बारीकियां समझाने की बजाय गौपालन और संवर्धन पर ध्यान देने को कहा गया. देश को पत्रकारिता के योग्य छात्र देने की बजाय पत्रकारिता को ख़त्म करने के एजेंडे पर कुठियाला जी ने भरपूर कार्य किया।
जब कुछ सूचना के अधिकार के कार्यकर्ताओं ने इनका खुलासा किया तब अयोग्य होते हुए भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ आरएसएस के लोगों के दबाव में पुनः कार्यकाल में बढ़ोत्तरी कर दी यह जानते हुए भी की कुठियाला शिक्षा के खलनायक हैं चूंकि कुठियाला जी आरएसएस एवं भाजपा के कर्ता -धर्ताओं के यस मैन थे एवं उनके एजेंडे को अक्षरशः पूरा करने को कमर कसे रहते थे अतः यह अयोग्य कुलपति सत्ता पक्ष का सुयोग्य कुलपति सिद्ध हुआ ,आरोप लगते रहे ,सबूत प्रस्तुत होते रहे लेकिन कुठियाला जी के कुकर्मों पर संघ एवं भाजपा ने आखें बंद की हुयी थी ,किसी को पत्रकारिता अध्ययन की गुणवत्ता से मतलब नहीं था सिर्फ सत्ता पक्ष के एजेंडे को फलीभूत करने में सहयोग मिले चाहे उसका रास्ता गलत ही क्यों न हो संघ एवं भाजपा इससे आँखें मूंदे रही.
कुठियाला जी का अय्याश व्यक्तित्व इस यही माहौल में खूब फला-फूला ,पूर्व वामपंथी ये नायक समय की धार को देख बदला और पक्का संघी बन गया.संघ के लोगों और फायदा उठाने वाले तत्वों ने कुठियाला जी की कमजोरी का फायदा उठाया और मनमानी करते हुए योग्य छात्रों के भविष्य को सांगठनिक वैचारिकता एवं अय्याशी के पैरों तले खूब रौंदा ,अब देखना यह है की वर्तमान न्यायिक प्रक्रिया कुठियाला जी के साथ क्या न्याय करती है लेकिन उन सैकड़ों पत्रकारिता छात्रों के भविष्य का क्या करोगे हुजूर जिसे आप बर्बाद कर चुके हैं .
अनिल कुमार सिंह (धर्मपथ के लिए)