मथुरा: उत्तर प्रदेश में मथुरा के वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर के सामने प्रस्तावित कॉरिडोर (गलियारा) के निर्माण के खिलाफ व्यापारियों, पुजारियों और निवासियों ने मंगलवार को मंदिर के पास प्रस्तावित मानचित्रों को जलाकर अपना आंदोलन तेज कर दिया है.
उन्होंने वृंदावन की विरासत को बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खून से लिखे 108 पत्र भी भेजे.
बांके बिहारी व्यापारी संघ के अध्यक्ष अमित गौतम ने बताया, ‘एक तरफ हम शीर्ष अदालत से निवारण की मांग कर रहे हैं और दूसरी तरफ आंदोलन धीरे-धीरे तेज किया जा रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘वृंदावन की विरासत को बचाने के अनुरोध के साथ रक्त से लिखे गए 108 पत्र प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजे गए हैं.’
बांके बिहारी मंदिर की ओर जाने वाला बाजार मंगलवार की दोपहर में लगातार तीसरे दिन बंद रहा, यहां तक कि गोस्वामी परिवार की महिलाएं भी आंदोलन में शामिल हो गई हैं.
धरने में शामिल 85 वर्षीय शकुंतला देवी गोस्वामी ने कहा, ‘कॉरिडोर के निर्माण से न केवल वृंदावन की विरासत बर्बाद होगी, बल्कि हम बेघर भी हो जाएंगे.’
राज भोग सेवा अधिकारी ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने कहा, ‘जब हमें बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है तो हम हाथ पर हाथ रखकर कैसे बैठ सकते हैं.’
स्थानीय निवासी मेघ श्याम ने कहा कि 12 जनवरी से विरोध जारी है और अधिक समर्थन जुटाने की कोशिश की जा रही है.
प्रस्तावित कॉरिडोर के निर्माण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की गई है और अदालत ने अगली सुनवाई के लिए इसे 23 जनवरी को सूचीबद्ध किया है.
कांग्रेस नेता प्रदीप माथुर ने कहा, ‘जब करीब 300 परिवारों के बेघर होने और हजारों व्यापारी अपने कर्मचारियों के साथ बेरोजगार होने की कगार पर हैं, तो उनकी पार्टी मूकदर्शक बनी नहीं रह सकती है.’
माथुर ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद और कपिल सिब्बल को पूरे प्रकरण के बारे में बताया था. दोनों ने आंदोलन में अपना पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया था, क्योंकि यह वृंदावन के निवासियों के हित में नहीं है.
पिछले साल जन्माष्टमी की रात मंगला आरती के दौरान दो श्रद्धालुओं की मौत और छह अन्य लोगों के घायल होने के बाद सरकार ने घटना की जांच करने और उपचारात्मक उपाय सुझाने के लिए पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह के नेतृत्व में एक समिति गठित की थी.
हाईकोर्ट के 20 दिसंबर 2022 के एक आदेश के बाद 17 जनवरी को बांके बिहारी मंदिर के सामने प्रस्तावित कॉरिडोर की विकासात्मक योजना सरकार को सौंपे जाने और जिला प्रशासन द्वारा सर्वेक्षण कार्य को गति दिए जाने के बाद इस परियोजना का विरोध शुरू हो गया है.
एनडीटीवी के मुताबिक, राज्य सरकार प्रतिष्ठित मंदिर के आसपास पांच एकड़ भूमि का अधिग्रहण करेगी, जिसमें लगभग 300 मंदिर और आवासीय भवन हैं, जहां लोग सैकड़ों वर्षों से रह रहे हैं. कॉरिडोर बनने पर इन 300 इमारतों को गिराए जाने की सूचना है.
विरोध कर रहे निवासियों का कहना है कि वे सैकड़ों वर्षों से अपने घरों में मंदिर बनाकर भगवान की पूजा करते आ रहे हैं और अगर उन्हें तोड़ा गया तो उनकी आस्था को ठेस पहुंचेगी.
कॉरिडोर पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद मथुरा के जिलाधिकारी ने आठ सदस्यीय कमेटी का गठन कर मंदिर के आसपास की 200 से अधिक इमारतों का सर्वे किया और उन्हें चिह्नित किया. 20 दिसंबर 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कॉरिडोर के लिए सर्वे का आदेश दिया था.
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन में सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, जो मथुरा से 20 किमी दूर है, जिसे कई लोग भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मानते हैं.
सरकार का कहना है कि कॉरिडोर आवश्यक है, ताकि अधिक लोगों को मंदिर में समायोजित किया जा सके और भक्तों के लिए वहां तक पहुंचना आसान हो जाए.
साल 2022 में यूपी सरकार द्वारा कॉरिडोर और आसपास के क्षेत्र के पुनर्विकास के प्रस्ताव पर चर्चा की गई थी और उन घरों और प्रतिष्ठानों की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण किया गया था, जिन्हें तोड़ने की आवश्यकता हो सकती है.
मथुरा से लोकसभा सांसद भाजपा की हेमा मालिनी ने रविवार को कहा था कि कॉरिडोर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के लिए द्वार खोलेगा, जिससे तीर्थयात्रियों को बिना किसी परेशानी के भगवान के दर्शन करने में सुविधा होगी.
व्यापारियों, पुजारियों और निवासियों की चिंताओं को स्वीकार करते हुए उन्होंने आश्वासन दिया था कि सभी हितधारकों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा. हेमा मालिनी ने कहा था, ‘अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लगातार आगमन से रोजगार का भी मार्ग प्रशस्त होगा.’