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 मणिपुरः महिला अधिकारी का आरोप, मुख्यमंत्री ने ड्रग तस्कर को छोड़ने के लिए दबाव बनाया | dharmpath.com

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मणिपुरः महिला अधिकारी का आरोप, मुख्यमंत्री ने ड्रग तस्कर को छोड़ने के लिए दबाव बनाया

July 19, 2020 11:23 pm by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on मणिपुरः महिला अधिकारी का आरोप, मुख्यमंत्री ने ड्रग तस्कर को छोड़ने के लिए दबाव बनाया A+ / A-

नई दिल्ली- मणिपुर में नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बॉर्डर ब्यूरो (एनएबी) की एक वरिष्ठ अधिकारी ने राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और राज्य में भाजपा के एक शीर्ष नेता पर ड्रग्स तस्करी में गिरफ्तार शख्स पर लगे आरोप हटाने का दबाव डालने का आरोप लगाया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एनएबी की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थोउनाओजम बृंदा ने 13 जुलाई को इम्फाल हाईकोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में यह आरोप लगाए हैं.

ड्रग्स तस्करी को लेकर की गई यह छापेमारी जून 2018 में की गई थी और पुलिस ने जब्त किए गए नशीले पदार्थों और नकदी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब 28 करोड़ रुपये से अधिक आंकी थी.

बृंदा के हलफनामे के मुताबिक, इस मामले में मुख्य आरोपी लुखाउसी जू है, जिसे ड्रग्स कार्टेल का सरताज माना जाता है. वह चंदेल जिले में भाजपा का एक स्थानीय नेता भी है.

इस मामले पर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा, ‘अभी यह मामला विचाराधीन है. इस पर बात करना कानूनी रूप से उचित नहीं होगा लेकिन यह सभी को पता है कि कोई भी शख्स न्यायिक कार्यवाही या अदालती मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. न्याय के लिए कानून अपना काम करेगा.’

उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार के लिए ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी और इसमें शामिल किसी भी शख्स को फिर चाहे वह दोस्त हो या रिश्तेदार, उसे बख्शा नहीं जाएगा.’

बृंदा के हलफनामे के मुताबिक, उनके नेतृत्व में 19-20 जून 2018 की दरम्यानी रात को एनएबी की टीमों की इम्फाल में की गई छापेमारी और कथित तौर पर आठ लोगों के कब्जे से ड्रग्स और नकदी बरामदी को लेकर की गई गिरफ्तारियों को लेकर विवाद गहराया हुआ है.

उनके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट 1985 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस के मुताबिक, इस छापेमारी के दौरान 4,595 किलोग्राम हेरोइन, 2.8 लाख से अधिक की 28 किलोग्राम वर्ल्ड की योर्स एम्फैटेमिन टैबलेट और अन्य सामान जब्त किया गया था.

पुलिस ने कहा, ‘नकदी के साथ जब्त की गई कुल ड्रग्स का मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब 28 करोड़ रुपये है.’

बृंदा के मुताबिक, ‘जू के राजनीतिक कद और सीमावर्ती शहर मोरेह में उनके मजबूत सामुदायिक आधार की वजह से उनकी गिरफ्तारी को लेकर इतनी सनसनी फैल गई.’

हलफनामे में कहा गया है कि गिरफ्तारी के समय वह चंदेल जिले में पांचवें स्वायत्त जिला परिषद के चेयरमैन थे. वह कांग्रेस के टिकट पर जून 2015 में स्वायत्त जिला परिषद (एडीसी) के लिए चुने गए थे.

सिंतबर 2015 में वह चंदेल जिले से एडीसी के चेयरमैन बने थे और बाद में अप्रैल 2017 में वह भाजपा में शामिल हो गए थे.

बृंदा का कहना है कि गिरफ्तारी के बाद से वे और उनका विभाग जू के खिलाफ मामला रफा-दफा करने को लेकर दबाव में है.

इस छापेमारी पर बृंदा ने कहा, ‘उस वक्त हमने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया था, उनमें से एक ने हमें बताया कि जू के ड्राइवर के साथ ड्रग्स थी. जब हमने उसकी तलाश की तो जू ने कहा कि उनका ड्राइवर गुवाहाटी में है. उन्होंने हमें उनके घर की तलाशी लेने से मना कर दिया.’

‘हमने सघन तलाशी के बाद उनके ड्राइवर को पकड़ा. उसने हमें बताया कि जू के घर पर ड्रग्स थीं. जब हम वापस गए तो जू ने घर की तलाशी लेने से मना कर दिया. एनएबी की टीम और उनके लोगों के बीच झड़प हुई. हमने आखिरकार उनके घर की तलाशी ली और हमने उनके घर से ड्रग्स बरामद की.’

मार्च 2019 में जू को जमानत मिल गई थी, जिसके बाद वह म्यांमार भाग गए. उन्होंने इस साल फरवरी में आत्मसमर्पण किया और उनकी जमानत पर सुनवाई इम्फाल हाईकोर्ट में हुई, जहां जज ने कहा कि दोषी साबित होने तक सभी निर्दोष हैं.

बृंदा ने पिछले महीने इम्फाल हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के पास जज के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.

बृंदा ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक तौर पर जज की आलोचना की थी, जिसके बाद उन्हें इसी महीने अवमानना का नोटिस भेजा गया था, जिसके जवाब में उन्होंने 13 जुलाई को हलफनामा दायर किया.

बृंदा ने इस छापेमारी से सिर्फ तीन महीने पहले ही मार्च 2018 में एनएबी ज्वॉइन किया था. उन्होंने कहा, ‘यह एनएबी के लिए बहुत बड़ी कामयाबी थी. हाल ही में मेघालय के जोवाई में हुई छापेमारी में बड़ी मात्रा में डब्ल्यूवाई टैबलेट जब्त की गई.’

उन्होंने कहा, ‘मेघालय में छापेमारी के दौरान लोगों ने मणिपुर के आरोपियों की ओर इशारा किया था, जो एक ही ड्रग्स कार्टेल का हिस्सा थे. ड्रग्स को लेकर वर्चस्व की लड़ाई 2018 में दोबारा उठनी शुरू हुई थी. बीते कुछ सालों में अफगानिस्तान-पाकिस्तान के रास्ते ड्रग्स की तस्करी कम हुई है और इसके बजाए यह मणिपुर-म्यांमार सीमा पर बढ़ा है. देश के ड्रग माफिया अब इसी मार्ग को तरजीह दे रहे हैं और इसी रास्ते बड़ी संख्या में ड्रग्स बाजार में आ रहा है और यहीं से ड्रग्स पूरे देश में सप्लाई होता है.’

उन्होंने कहा, ‘हम इसे ही खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. सभी पहाड़ी जिले अफीम की खेती से पटे पड़े हैं. बीते 30 सालों में मणिपुर की सरकार के पास यह आंकड़ा तक नहीं है कि अफीम की खेती से कितना क्षेत्र पटा पड़ा है.’

बृंदा मणिपुर पुलिस सेवा में 2012 बैच की अधिकारी हैं. उन्हें राज्य सरकार की ओर से ड्रग्स तस्करी रोकने के लिए उनके साहसिक कार्य के लिए राज्य पुलिस के वीरता पदक से सम्मानित किया जा चुका है.

मुख्यमंत्री ने 100 करोड़ रुपये ड्रग्स तस्करी की जब्ती को लेकर एनएबी की टीम को दस लाख रुपये का इनाम दिया था.

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