मथुरा। आया सावन, पड़े हिंडोले, धूम मची मल्हारों की। जी हां, ब्रज के सावन की छटा ही निराली है। यहां तो भगवान श्रीकृष्ण-राधा जी स्वर्ण-रजत के हिंडोलों में न सिर्फ झूला झूलते हैं, बल्कि तरह-तरह की घटाओं का भी आनंद लेते हैं। ब्रज के सावन का आनंद लेने के लिए 33 करोड़ देवता भी लालायित रहते हैं। श्रावण मास के पहले दिन ही मंगलवार को मंदिर द्वारिकाधीश में स्वर्ण-रजत के झूले सज गए और कान्हा राधा जी के संग झूला झूलते रहे।
द्वारिकाधीश मंदिर में चांदी और सोने का हिंडोला, नंदगांव के नंदबाबा मंदिर में चांदी का और मुखारबिंद मंदिर में दर्पण का हिंडोला सावन में लगाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि व सप्त देवालयों समेत अनेक मंदिरों में हरियाली तीज से तरह-तरह के हिंडोले सजेंगे। वृंदावन का शायद ही कोई ऐसा मंदिर हो, जिसमें हिंडोले न पड़ते हों। हिंडोले के आसपास मानव आकार की सोने-चांदी की सखियां होती हैं। आसपास का वातावरण भी हरीतिमा से भरा होता है। मथुरा स्थित मंदिर द्वारिकाधीश में हिंडोले सजने के साथ ही यहां का वातावरण ‘राधे झूलन पधारौ जुरि आईं सखियां और सघन कुंज पर परयो हिंडोरो सब सखि मिलि जुरि गाई’ जैसे मल्हारों से गूंजने लगा है। इस क्षण का आनंद लेने लेने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालुओं की भीड़ यहां देर शाम तक लगी रही।
मंदिर के सेवायत गोस्वामी श्री-श्री 108 बृजेश कुमार महाराज के निर्देशानुसार मंदिर में हिंडोले और
घटाओं के दर्शन होंगे। मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी के अनुसार, पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं ने हिंडोले के दर्शन किए।
बदल-बदल कर डाले जाते हिंडोले
ब्रज के अधिकतर मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण जी की सेवा बाल स्वरूप में होती है। यही वजह कि प्रभु का झूला कलात्मक बनाया जाता है, इसे ही हिंडोला कहते हैं। सोने-चांदी के साथ-साथ जरी, फूल-पत्ती आदि के हिंडोले सजते हैं। भाव यही कि राधा और गोपियां भगवान श्रीकृष्ण को इसमें झुलाएंगी।
आईने के झूले में भाव का झूला झूलेंगे गिरिराज प्रभु
गोवर्धन। आसमान पर काली घटाएं, रिमझिम फुहार, चारों ओर नजर आती हरियाली, खुशनुमा वातावरण में परिक्रमा लगाते लाखों श्रद्धालु। सावन के महीने में कुछ ऐसा ही नजारा गिरिराज तलहटी को अलौकिक बनाएगा। सात कोस में विराजमान अचल गिरिराज प्रभु के विराट स्वरूप को अनूठे तरीके से झूला झुलाया जाएगा। तलहटी के सभी प्रमुख मंदिरों में गिरिराज महाराज के विराट स्वरूप का विशेष श्रृंगार किया जायेगा। मौसम के अनुरूप विभिन्न घटाओं के मेल खाती हुई पोशाक धारण कर उनके सामने आईने का झूला बनाया जाएगा और आईने में प्रभु की सलोनी मूरत दिखाई देते ही भक्त समुदाय कतारबद्ध होकर दिल में उमड़ते भाव से प्रभु को धीरे-धीरे झूला झुलाएंगे। मनमोहक झांकी के बीच आईने के झूले में विराजे गिरिराज प्रभु की तिरछी चितवन मानो प्रभु प्रसन्न मुद्रा में झूले का आनंद उठा रहे हों। हरियाली तीज से पूर्णिमा तक प्रभु को प्रेम के यही झोटे लगाने के लिए लाखों भक्त गोवर्धन आते हैं। हरियाली तीज से सभी छोटे-बड़े मंदिरों में हिंडोले सजाकर राधाकृष्ण को झूला झुलाया जाता है।