मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने सोमवार को सितंबर मालेगांव विस्फोट मामले (Malegaon blast case) में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (Lt Col Prasad Purohit) को आरोप मुक्त करने की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि बम धमाके की घटना में संलिप्तता के दौरान वह सरकारी कार्य नहीं कर रहे थे. इस धमाके में 6 लोगों की जान गई थी.जस्टिस ए.एस.अधिकारी और .जस्टिस प्रकाश नाइक की पीठ ने 24 पन्नों के आदेश में सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के अभाव में मामला नहीं चल सकने के आधार पर आरोप मुक्त करने की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह आरोपी के इस तर्क को स्वीकार नहीं करती कि वह अपनी ड्यूटी कर रहे थे और तब सवाल उठता है कि उन्होंने क्यों धमाके को रोकने की कोशिश नहीं की.
29 सितंबर 2008 में हुए विस्फोट के मामले में पुरोहित और बीजेपी की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत 6 अन्य आरोपी कठोर गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे का सामना कर रहे हैं. पुरोहित की वकील नीला गोखले ने कहा कि जिस दिन कथित अपराध हुआ, उस दिन वह सरकारी अधिकारी थे और कानूनी तरीके से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे थे, इसलिए अभियोजक एजेंसी को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेनी चाहिए.
पीठ ने कहा, अपीलकर्ता (पुरोहित) को कथित संगठन के लिए कोष जमा करने और उसकी गैर कानूनी गतिविधियों के लिए हथियार व विस्फोटक खरीदने के लिए उक्त धन वितरित करने की भी अनुमति नहीं दी गई थी. मौजूदा अपराध में अपीलकर्ता मुख्य साजिशकर्ता है.