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 महाशिवरात्रि कल: इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा | dharmpath.com

Tuesday , 26 November 2024

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महाशिवरात्रि कल: इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा

mahashivratriमहाशिवरात्रि (इस बार 10 मार्च, रविवार) के दिन भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। जो व्यक्ति इस दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत रखता है, उसे अक्षय पुण्य मिलता है। धर्म शास्त्रों में महाशिवरात्रि व्रत के संबंध में विस्तृत उल्लेख है।

शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन व्रती (व्रत करने वाला) सुबह जल्दी उठकर स्नान-संध्या करके मस्तक पर भस्म का त्रिपुंड तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण कर शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करें। इसके बाद श्रद्धापूर्वक व्रत का संकल्प इस प्रकार लें-
शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येहं महाफलम्।
निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते।।
यह कहकर हाथ में फूल, चावल व जल लेकर उसे शिवलिंग पर अर्पित करते हुए यह श्लोक बोलें-
देवदेव महादेव नीलकण्ठ नमोस्तु ते।
कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव।।
तव प्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति।
कामाद्या: शत्रवो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि।।

रात्रिपूजा
व्रती दिनभर शिवमंत्र (ऊँ नम: शिवाय) का जप करे तथा पूरा दिन निराहार रहे। (रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते हैं।) धर्मग्रंथों में रात्रि के चारों प्रहरों की पूजा का विधान है। सायंकाल स्नान करके किसी शिवमंदिर में जाकर अथवा घर पर ही (यदि नर्मदेश्वर या अन्य कोई उत्तम शिवलिंग हो) पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके तिलक एवं रुद्राक्ष धारण करके पूजा का संकल्प इस प्रकार लें-

ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये
व्रती को फल, पुष्प, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य से चारो प्रहर की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारो प्रहर के पूजन में शिवपंचाक्षर (नम: शिवाय) मंत्र का जप करें। भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान्, भीम और ईशान, इन आठ नामों से पुष्प अर्पित कर भगवान की आरती व परिक्रमा करें। अंत में भगवान से प्रार्थना इस प्रकार करें-
नियमो यो महादेव कृतश्चैव त्वदाज्ञया।
विसृत्यते मया स्वामिन् व्रतं जातमनुत्तमम्।।
व्रतेनानेन देवेश यथाशक्तिकृतेन च।
संतुष्टो भव शर्वाद्य कृपां कुरु ममोपरि।।
अगले दिन सुबह पुन: स्नान कर भगवान शंकर की पूजा करके पश्चात व्रत खोलना चाहिए।

पूजन के शुभ मुहूर्त
सुबह 8:10 से 9:40 बजे तक (चर)
सुबह 9:40 से 11:08 बजे तक (लाभ)
सुबह 11:08 से दोपहर 12:30 बजे तक (अमृत)
दोपहर 2:06 से 3:35 बजे तक (शुभ)
शाम 6:32 से रात 8:00 बजे तक(शुभ)
रात 8:00 से 9:30 बजे तक (अमृत)
रात 9:30 से 11:00 बजे तक (चर)

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