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 मध्यप्रदेश ने जनजातीय धरोहर को सराहनीय रूप से सहेजा | dharmpath.com

Monday , 21 April 2025

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मध्यप्रदेश ने जनजातीय धरोहर को सराहनीय रूप से सहेजा

cm-janjateeyaराष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा जनजातीय संग्रहालय का लोकार्पण

राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि मध्यप्रदेश ने जिस कुशलता और शिद्दत से जनजातीय धरोहर को सहेजा है, वह सराहनीय है। राष्ट्रपति आज यहाँ श्यामला हिल्स पर नव-निर्मित जनजातीय संग्रहालय का लोकार्पण कर रहे थे।

राष्ट्रपति ने यह लिखा विजिटर बुक में
मुझे मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आकर और इस अंचल के जनजातीय लोगों की कला और परम्पराओं का अद्भुत प्रदर्शन देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई। श्यामला हिल्स पर जो खुली प्रदर्शनी लगाई गई है, उसमें समकालीन जनजातीय आवासों को पूर्ण आकार में मॉडल के रूप में दर्शाया गया है, जिन्हें देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ।
मध्यप्रदेश की जनजातीय परम्पराओं के इतने अधिक पक्षों को संरक्षित और संवर्धित करने के साथ-साथ उनके विषय में जानकारी का प्रसार करने के लिये मैं मध्यप्रदेश सरकार को बधाई देता हूँ। अपने आप में यह अनूठा संग्रहालय शोधकर्ताओं, विद्वानों तथा जनजातीय संस्कृति और उनके दैनिक जीवन के विषय में शोध करने वाले विद्यार्थियों के लिये एक अच्छा संसाधन केन्द्र होगा। भविष्य में आपके द्वारा किए जाने वाले रचनात्मक प्रयासों के लिये मेरी शुभकामनाएँ।
राष्ट्रपति ने कहा कि मध्यप्रदेश में जनजातीय जनसंख्या काफी अधिक है और यह 7 राज्य का पड़ोसी है। इसके कारण मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर बहुत समृद्ध है। लिहाजा जनजातीय जीवन के सभी पहलुओं को प्रदर्शित करने के लिये यहाँ जनजातीय संग्रहालय स्थापित किया जाना सर्वथा समीचीन है। यहाँ प्रदर्शित कलाकृतियाँ अद्भुत रूप से सुन्दर और अत्यधिक विविधता लिये हुए हैं। प्रत्येक जनजाति और उप जनजाति की अपनी अलग विशिष्टताएँ हैं, जिनको पहचान कर और अध्ययन कर मानव-सभ्यता के विकास के विभिन्न चरणों को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।

श्री मुखर्जी ने कहा कि इस संग्रहालय के माध्यम से ऐसे सामाजिक आयोजन किये जा सकते हैं, जिससे जनजातीय और गैर-जनजातीय समाज एक-दूसरे को भली-भाँति समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि औद्योगिकीकरण की अंधाधुध प्रक्रिया में अनेक जनजातीय संस्कृतियाँ विलुप्त हो गईं हैं। वस्तुतः जनजातियाँ उन संस्कृतियों और सभ्यताओं से किसी भी तरह से कमतर नहीं हैं, जिन पर हम गर्व करते हैं। जनजातियों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित की है। श्री मुखर्जी ने कहा कि उन्हें पूरी आशा है कि समूचे देश से लोग यहाँ जनजातीय सांस्कृतिक समृद्धि को देखने आएंगे। मध्यप्रदेश सरकार ने इस संग्रहालय की स्थापना कर बड़ा रचनात्मक कदम उठाया है। इस क्षेत्र में मध्यप्रदेश निश्चय ही देश में सबसे आगे होगा। उन्होंने सभ्यता के विकास के विभिन्न चरण को समझने की दिशा में इस संग्रहालय की स्थापना को एक महत्वपूर्ण घटना बताया। राष्ट्रपति ने संग्रहालय की दीर्घाओं का अवलोकन भी किया।

राज्यपाल

राज्यपाल श्री रामनरेश यादव ने कहा कि जनजातीय संग्रहालय में आदिवासियों की संस्कृति, जीवन-शैली, आस्थाओं और रीति-रिवाजों सहित उनके सम्पूर्ण जीवन के विभिन्न पक्ष को उत्कृष्ट तरीके से दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय न केवल मध्यप्रदेश बल्कि विश्व में एक श्रेष्ठ संस्थान के रूप में स्थापित होगा।

मुख्यमंत्री की सराहना

राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषण की शुरूआत जनजातीय संग्रहालय की स्थापना के लिये मुख्यमंत्री श्री चौहान की सराहना से की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इतने अद्भुत संग्रहालय की स्थापना के उद्घाटन के लिये उन्हें आमंत्रित किया, जिसके लिये वे आभारी हैं।

मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जनजातियों का जीवन सहज और अकृत्रिम है। जनजातीय लोग प्रकृति का शोषण नहीं, उसका सदुपयोग और संरक्षण पूरी निष्ठा से करते हैं। उन्होंने संग्रहालय को अनूठा स्वरूप देने में जनजातीय कलाकारों के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि शीघ्र ही एक बड़ा आयोजन कर इन कलाकारों का अभिनंदन किया जायेगा। इस संग्रहालय में जनजातीय जीवन को उसकी परिपूर्णता में दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि तथाकथित असभ्य समाज सिर्फ वन्य-प्राणियों और वनों के संरक्षण के बारे में सोचता है, लेकिन आदिवासी भाई-बहन उसका सचमुच संरक्षण करते हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया कि वन्य-प्राणी संरक्षण अधिनियम के कारण आदिवासी क्षेत्रों का विकास अवरूद्ध हो रहा है। वहाँ विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। श्री चौहान ने कहा कि शेरों और उद्योगों का संरक्षण जरूरी है, लेकिन यह आदिवासियों की कीमत पर किया जाना उचित नहीं है। मुख्यमंत्री ने संग्रहालय के उद्घाटन का समय देने के लिये राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के प्रति आभार व्यक्त किया।

संस्कृति मंत्री

प्रारंभ में संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकान्त शर्मा ने संग्रहालय की विशेषताओं के बारे में संक्षेप में बताया और कहा कि पूरे एक वर्ष तक जनजातीय कलाकारों ने रात-दिन मेहनत कर इसे अद्भुत स्वरूप दिया है। श्री शर्मा ने राष्ट्रपति का अभिनंदन किया और उन्हें आदिवासी पगड़ी पहनाई।

इस अवसर पर सांसद श्री कैलाश जोशी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री सुरेश पचौरी, मुख्य सचिव श्री आर. परशुराम, प्रमुख सचिव अनुसूचित जनजाति कल्याण श्री पी.सी. मीणा तथा जाने-माने संस्कृतिकर्मी और विशेषज्ञ उपस्थित थे। सचिव संस्कृति श्री पंकज राग ने आभार व्यक्त किया।

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