इंदौर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने दिसंबर 2020 की सांप्रदायिक हिंसा की कुछ घटनाओं को लेकर राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह और कांग्रेस नेता द्वारा दायर जनहित याचिका पर सोमवार को राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
ये घटनाएं अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कथित तौर पर चंदा जुटाने के अभियान से जुड़ीं रैलियों के दौरान राज्य के पश्चिमी हिस्से (उज्जैन, इंदौर और मंदसौर) में हुई थीं.
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और जस्टिस सुजय पॉल ने सिंह की याचिका पर प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के आला अधिकारियों को छह हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है.
इनमें प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक के साथ ही पुलिस और प्रशासन के इंदौर, उज्जैन और मंदसौर जिलों में पदस्थ अधिकारी शामिल हैं, जहां पिछले साल दिसंबर में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं.
याचिका पर 20 जुलाई को अगली सुनवाई हो सकती है.
इस याचिका में तीनों जिलों की हिंसक घटनाओं के वीडियो प्रस्तुत करते हुए सिंह की ओर से आरोप लगाया गया है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा जुटाने की आड़ में कुछ संगठनों के हथियारबंद सदस्यों ने अल्पसंख्यक समुदाय के इलाकों में अपना दबदबा दिखाने की खातिर भड़काऊ नारेबाजी की और इस समुदाय को निशाना बनाते हुए सांप्रदायिक सद्भाव भंग किया.
याचिका में दावा किया गया है कि सांप्रदायिक हिंसा की इन घटनाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोग घायल हुए थे और उनकी अचल संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा था.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने अपनी याचिका में स्पष्ट किया है कि वह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पवित्र कार्य का समर्थन करते हैं.
इस बीच सिंह के वकील रवींद्र सिंह छाबड़ा ने कहा, ‘मेरे मुवक्किल ने अपनी जनहित याचिका में शीर्ष अदालत की एक अहम नजीर का हवाला दिया है और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से ऐसे उचित निर्देश जारी करने की गुहार की है, जिनके पालन से किसी भी धर्म-संप्रदाय के संगठन द्वारा भविष्य में कोई रैली निकाले जाने के दौरान राज्य में सार्वजनिक शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बरकरार रह सके.’
याचिका के अनुसार, अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित इंदौर, उज्जैन और मंदसौर के पीड़ित व्यक्तियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जनवरी 2021 के पहले सप्ताह में भोपाल में दिग्विजय सिंह से संपर्क किया था.
सिंह ने बाद में प्रमुख सचिव (गृह) को जांच की मांग करते हुए एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था. मध्य प्रदेश के डीजीपी को भी पत्र लिखा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
इसके बाद फरवरी 2021 में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को उज्जैन, मंदसौर और इंदौर में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को दोहराते हुए एक और आवेदन दिया गया.
हालांकि, 1 मार्च को दिग्विजय सिंह को प्रमुख सचिव (गृह) से जवाब आया, जिसमें याचिकाकर्चा के सवालों का जवाब देने के बजाय मामले की स्थिति और दर्ज मुकदमों की संख्या बताई गई थी.