जबलपुर -मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वे भोपाल एम्स में कैंसर से जूझ रहे भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मुफ्त इलाज मुहैया कराएं.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की पीठ ने भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन की याचिका पर ये आदेश दिया है.
इस मामले को लेकर रिटायर्ड जज जस्टिस विवेक अग्रवाल के नेतृत्व में हाईकोर्ट द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमेटी ने 16 अगस्त 2021 को अपनी 17वीं रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें कहा गया है कि गैस त्रासदी के कैसर पीड़ितों को प्राइवेट अस्पताल में भेजा जा रहा है और वहां उन्हें मुफ्त इलाज नहीं मिल रहा है.रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि किसी मरीज को इलाज से इनकार नहीं किया जा सकता है और राज्य सरकार सभी को मुफ्त इलाज मुहैया कराए.
इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त इलाज दिया जाना है, वहां स्टाफ और इन्फ्रास्ट्रक्चर की काफी कमी है.
इसके जवाब में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील विक्रम सिंह ने कहा कि विभिन्न पदों पर मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती के लिए पहले ही विज्ञापन निकाले जा चुके हैं. उन्होंने यह भी कहा स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए आउटसोर्सिंग सुविधाएं लेने की भी कोशिश की गई थी.
मॉनिटरिंग कमेटी की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि कमेटी को एक बार फिर से जांच करनी चाहिए और विशेषकर इस संबंध में रिपोर्ट देनी चाहिए कि भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, जहां भोपाल गैस पीड़ितों का इलाज चल रहा है, को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को दिए जाने के बाद से क्या वहां की सूरत बदली है.
इन दलीलों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई आठ अक्टूबर 2021 के लिए टाल दी.
हालांकि इस बीच कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए भोपाल गैस त्रासदी के कैंसर पीड़ितो को मुफ्त इलाज सुविधा दिया जाए.