भोपाल: आखिर मप्र भाजपा की प्रतीक्षित दूसरी सूची जारी कर दी गयी,पहली सूची में जो नाम चौंकाने वाले थे ,दूसरी में पुनः भाजपा संगठन ने नया प्रयोग किया ,इन नामों से यह तो स्पष्ट हो ही गया की मप्र में भाजपा के सर्वे में जो 50 सीटें आने का दावा था वह सत्य है,भाजपा के रणनीतिकार इस सर्वे से घबराये हुए हैं,वहीँ कांग्रेस का पचास प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप भाजपा पर असरकारक दिखा,पहले भी शिवराज सिंह को हटाने के कई प्रयास हुए लेकिन इतने बेइज्जत ढंग से हटाने का किसी ने सोचा भी नहीं था.भाजपा के रणनीतिकारों को भले ही अपनी योजना में दम नजर आ रहा हो लेकिन शिवराज को दरकिनार करना भाजपा के लिए महंगा साबित होगा यह तय है.
शिवराज को यह अंदेशा था इसलिए उन्होंने अपने तरकश के तीरों के बहाने मोदी टीम के सामने चुनौतियों की इतनी बड़ी दीवार खड़ी कर दी जिसे पार कर पाना मोदी टीम के लिए नामुमकिन है.लाड़ली बहना योजना के माध्यम से शिवराज ने अपना कद अवश्य बड़ा किया लेकिन इस नामुमकिन योजना का लाभ तभी भाजपा टीम ले पाती जब शिवराज का चेहरा सामने रहता,अब जनता में भाजपा के प्रति अविश्वास पैदा होगा एवं पहले से कांग्रेस के पक्ष में और इजाफा होगा।
विधानसभा चुनाव 2023 इसलिए दिलचस्प हो गया है क्योंकि इस चुनाव में सांसद और केंद्रीय मंत्री भी मैदान में उतर गए. मोदी सरकार में मध्य प्रदेश का दब दबा रहा है. मोदी सरकार में मध्य प्रदेश के सांसदों को बड़ी संख्या में मंत्री पद मिले हैं. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलदस्ते को विधानसभा चुनाव में उतार दिया गया है. अब मध्य प्रदेश से दो और मंत्री बचे हैं, जिन्हें भी मैदान में उतरने की अटकल तेज हो गई है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को ग्वालियर-चंबल संभाग से पार्टी चुनाव लड़ा सकती है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक को भी इस बार विधानसभा चुनाव में राजनीति के रण में उतारा जा सकता है.
वहीँ मप्र कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का बायां सामने आया है ,की 19 वर्ष सत्ता के भाजपा की यह आंतरिक हार है.