बचपन से हम सुनते आ रहे हैं कि जिंदगी का सफर क्षणभंगुर है। एक पल हंसी-खुशी और अगले पल में गम, यही तो है जिंदगी की सच्ची हकीकत। ऐसी क्षणभंगुर जिंदगी को याद करते समय हमारे मन में समय-समय पर विचार आ जाते हैं कि इस क्षणभंगुर जीवन में हम क्या करें और क्या न करें? क्षणभंगुर जिंदगी के बारे में अगर हम ज्यादा सोचते रहे और हर पल ही इस बारे में चिंता करते रहे तो यह बात निश्चित है कि हम दुखी हो जाएंगे। इसलिए यह हकीकत जानते हुए भी कि जीवन क्षणभंगुर है, अगर आप इस जिंदगी का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो केवल यह ध्यान रखें कि प्रति पल इस जीवन यात्र में जिंदगी का आनंद लेते जाइए। आप न तो आने वाले कल की चिंता करें और न बीते हुए समय का गम करें। केवल वर्तमान लम्हे को समग्रता से जिएं। तब हमें लगेगा कि जिंदगी वास्तव में प्रभु का उत्तम उपहार है। जब हमारे मन में यह बात बैठ जाती है कि वास्तव में जीवन क्षणभंगुर है तो ऐसे में हम केवल पैसे की लालसा को हटा दें और अपने जीवन को सृष्टि के उन कार्यो की तरफ मोड़ दें जहां मिलता है सच्च आनंद। हमें इसी आनंद की ओर बढ़ना चाहिए।
यह स्थिति तब आएगी जब आप और हम केवल नि:स्वार्थ भावना से समाज के लोगों पर उपकार करने की वृत्ति अपनाने में संलग्न हो जाएंगे। अत: जीवन यात्र को क्षणभंगुर मानते हुए प्रतिक्षण केवल आनंद प्राप्त करने की लालसा रखें। वहीं पैसे की तरफ थोड़ी लालसा कम करें। साथ ही यह सोचें कि जब जिंदगी की सच्चाई यही है कि अगले पल का किसी को पता नहीं है तो ऐसे में क्यों नहीं हम अपनी बची हुई जिंदगी को थोड़ा समाज की तरफ और थोड़ा परिवार के सदस्यों की तरफ समर्पित करें। इसके अलावा थोड़ा-सा वक्त स्वयं के विकास, ध्यान एवं चिंतन में लगाएं। अगर यह सोच रहेगी तो इस क्षणभंगुर जिंदगी के बारे में हम सोचना बंद कर देंगे और हमारा जीवन सकारात्मक चिंतन के बल पर सुखी होगा।