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 हम भयभीत न हों सतर्क रहें- गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर औघड़ गुरुपद संभव राम जी का आशीर्वचन | dharmpath.com

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हम भयभीत न हों सतर्क रहें- गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर औघड़ गुरुपद संभव राम जी का आशीर्वचन

July 25, 2021 9:36 am by: Category: धर्म-अध्यात्म Comments Off on हम भयभीत न हों सतर्क रहें- गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर औघड़ गुरुपद संभव राम जी का आशीर्वचन A+ / A-

वाराणसी-प्रति वर्ष इस अवसर पर बहुत दूर-दूर से आकर काफी संख्या में लोग एकत्रित होते थे। कोरोना के इस काल में गत वर्ष से लोग नहीं आ पा रहे हैं, इसका दुःख है। लेकिन उनका जीवन बचा रहे, वो रहें और चीजों को जानें-सीखें, इसकी एक ख़ुशी भी है कि हम अपने-आप को बचा के रखे हैं। बहुत ज्यादा भय भी फैलाया जा रहा है और भय से भी हमारी प्रतिरोधक क्षमता का ह्रास होता है। हमें भयभीत नहीं होना है हमें सतर्क रहना है। जैसे चिकित्सकों ने बताया कि यह रोग मानवकृत है, वैसे ही अनेकों कुकृत्य समाज में मानवकृत ही हैं, खाद्यान्नों में मिलावट, मार-काट, भ्रष्टाचार के माध्यम से धन इकठ्ठा करना आदि। यह धन तो वेश्या के पास भी होता है, चोर के पास भी होता है, देशद्रोही और समाजद्रोही के पास भी होता है। ऐसे स्थानों पर आकर हमारी दृष्टि खुलती है कि हमारा धन क्या है? हमारा धन है- वह मानवता जिसमें ईमानदारी, प्रेम, श्रद्धा, करुणा, मैत्री, दया, हमारा सद्व्यवहार, सदाचरण। इस धन से धनी होने से एक ऐसी संपत्ति एकत्रित होती है जो इस जन्म में या आने वाले जन्मों में हमारे लिए अवश्य ही फलवती होती है और जिससे हमारा अच्छे कुल परिवार में जन्म होता है, संत-महात्माओं का सान्निध्य प्राप्त होता है। लेकिन हमारा समाज जिस धन के पीछे भाग रहा है वह क्षणिक है। यह जीवन भी क्षणभंगुर ही है। कब किसका जीवन समाप्त हो जाय, कहा नहीं जा सकता। अच्छे कर्मो और संत- महापुरुषों की वाणियों पर चलने वालों का समय कैसे बीत जाता है, पता नहीं लगता। लेकिन कुकृत्य करने वाले मनुष्यों का समय कटता नहीं, उनका एक-एक क्षण एक-एक महीना या साल के बराबर होता है। तो हम अधोगति की ओर ले जाने वाली सम्पदा इकठ्ठा कर रहे हैं या हम सद्गति की ओर ले जाने वाली सम्पदा को इकठ्ठा कर रहे हैं, इस पर अवश्य विचार करें। कभी-कभी मैं देखता हूँ कि ऐसी जगह आकर भी हमारी दृष्टि नहीं खुलती है। आसानी से मिलने वाली चीजों का हम मूल्य नहीं समझते। मेहनत से प्राप्त चीज का मूल्य हम समझते हैं और उसको सुरक्षित भी रखते हैं। हमारे आश्रमों में यही चीजें सिखाई जाती हैं कि हम जागरूक हों अपने मूल्यों के प्रति। आजकल कई नौजवानों को देखता हूँ की कोई नशा करता है, शराब, सिगरेट आदि का सेवन करके अपना लीवर, हृदय और किडनी खराब करके अनेक बीमारियों का शिकार हो जा रहे हैं। इस दुर्लभ मनुष्य-योनि जिसमे ही हमें मोक्ष भी लेना है, लेकिन ऐसे ही कुकृत्यों को करके इसे हम व्यर्थ गवां देते हैं। हर मनुष्य के अन्दर एक विद्युत् तरंग होती है जिसे हम अपने अच्छे कर्मो से उपलब्ध करके उस प्रकाश को प्राप्त कर सकते हैं। दूर रहकर भी लोग अपने प्रयत्न से उन चीजों को प्राप्त कर लेते हैं, अपेक्षाकृत नजदीक रहने वालों के। हमें अपने उद्धार के प्रति जागरूक होना होगा। उटपटांग लोगों से मिलने-जुलने, वार्तालाप करने से हमारी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है जो हमारी अनेक पीडाओं और दुःख, तकलीफ का कारण है।
यह बातें श्री सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष पूज्यपाद औघड़ गुरुपद संभव राम जी ने शनिवार, दिनांक 24 जुलाई 2021 को श्री सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम् पड़ाव, वाराणसी में गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर आयोजित सायंकालीन पारिवारिक विचार गोष्ठी में शिष्यों/श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए अपने आशीर्वचन में कहीं।
गोष्ठी में अन्य वक्ताओं में डॉ० वी.पी. सिंह, डॉ. आर. के. सिंह, भोलांनाथ त्रिपाठी, श्याम सिंह देव, अशोक पाण्डेय, दामोदर नाथ शाहदेव व हरेन्द्र मिश्रा थे। गोष्ठी का शुभारम्भ ओमप्रकाश तिवारी द्वारा मंगलाचरण से हुआ। धन्यवाद ज्ञापन आश्रम के व्यवस्थापक हरिहर यादव और सञ्चालन डॉ० अमरज्योति ने किया।

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