जीवनमंत्र. हिन्दू धर्म में पान के पत्ते का विशेष महत्व है। किसी भी पूजा-अनुष्ठान में पान का पत्ता रखना शुभ माना जाता है। पुराणों के अनुसार, केवल एक ही पान के पत्ते में सम्पूर्ण संसार के देवी- देवताओं का वास होता है। इसलिये इसे पूजा साम्रगी में रखना शुभ माना जाता है।
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि, पान के पत्ते के ठीक ऊपरी हिस्से पर इन्द्र और शुक्र देवता विराजमान है। मध्य हिस्से में मां सरस्वती का वास है तथा मां महालक्ष्मी इस पत्ते के ठीक नीचे वाले हिस्से पर बैठी हैं जो अंत में तिकोना आकार लेता है।
इसके अलावा ज्येष्ठा लक्ष्मी पान के पत्ते के जुड़े हुए भाग पर बैठी है। यह वह भाग है जो पत्ते के दो हिस्सों को एक नली से जोड़ता है। विश्व के पालनहार भगवान शिव पान के पत्ते के भीतर वास करते हैं। भगवान शिव और कामदेव जी का स्थान इस पत्ते के बाहरी हिस्से पर है।
मां पार्वती एवं मंगल्या देवी पान के पत्ते के बाईं ओर रहती हैं तथा भूमि देवी पत्ते के दाहिनी ओर विराजमान है। अंत में भगवान सूर्य नारायण पान के पत्ते के सभी जगह उपस्थित होते हैं।
पान हवन पूजा की महत्वपूर्ण साम्रगी है। हिन्दू धर्म में विशेष माने जाने वाले स्कंद पुराण में भी पान के पत्ते का उल्लेख किया है। बताया गया है कि देवताओं द्वारा समुद्र मंथन के समय पान के पत्ते का प्रयोग किया गया है। तभी से पान का प्रयोग पूजा-अनुष्ठान में किया जाने लगा।