Moringa oleifera-भारतीय रसोई में सदियों से इस्तेमाल होने वाले मोरिंगा (Moringa oleifera) या सहजन के औषधीय गुण भारतीयों के लिए नए नहीं हैं। आयुर्वेद सहजन वृक्ष के प्रत्येक हिस्से के औषधीय गुण बताता है। कैंसर और डायबिटीज सहित कई रोगों से बचाने में सहजन की उपयोगिता भी मालूम हुई, लेकिन जो कमी थी वो यह कि अब तक हम यह नहीं जानते थे कि सहजन के इन चमत्कारी औषधीय गुणों के वैज्ञानिक कारण क्या हैं। आइए प्रस्तुत आलेेेेख ‘सहजन/मुनगा के फायदे – मोरिंगा के औषधीय गुणों के राज’ में जानते हैं सहजन/मुनगा के छिपे औषधीय गुणों के राज क्या हैं।
सहजन/मुनगा के फायदे – सहजन के गुण
बेंगलुरू के नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च (NCBS) के वैज्ञानिकों ने यूनिवर्सिटी ऑफ ट्रांस-डिसिप्लिनरी हेल्थ साइंसेंज एंड टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर सहजन के ऊपर दुनिया का पहला ऐसा रिसर्च किया है जिससे सहजन के औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार बायोकेमिकल कारकों की पहचान हुई।
सहजन पर हुए दुनिया के इस पहले रिसर्च में सहजन के पेड़ के विभिन्न अंगों- पत्ते, फूल और फल में 5 औषधीय गुण वाले अणु (Molecules) खोजे गए।
सहजन/मुनगा के गुणों के राज – सहजन के पाए जाने वाले 5 औषधीय Molecules-
1.Moringin (मोरिंजिन)
यह वसा (lipid) के मेटाबॉलिज्म में मदद करता है जिससे शरीर का वजन कम होता है, शरीर में हॉर्मोनों का संतुलन सुधरता है और इससे डायबिटीज नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।
2.Kaempferol (कैंफेरोल)
यह एक कैंसर-रोधी पदार्थ है जो शरीर के किसी भी अंग के कैंसर-ग्रस्त होने की संभावना को कम करता है।
3.Quercetin (कोर्सिटीन)
शरीर के मेटाबॉलिज्म यानी शरीर के अंदर होने वाली जैव-रासायनिक क्रियाएं (चयापच) को दुरुस्त रखता है।
4.Oleanolic acid &
5.Ursolic acid
ये दोनों पदार्थ कैंसर-रोधी, अल्सर-रोधी और एंटी-वायरल गुणों से युक्त हैं। Oleanolic acid जैतून के तेल में भी पाया जाता है।
सहजन/मोरिंगा
बेंगलुरु के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध में सहजन के RNA के व्यवहार का स्टडी किया गया। इस अध्ययन में सहजन की जड़, तना, पत्ती, फूल और बीज के टिश्यू से प्राप्त आरएनए शामिल किया गया। इन पांच टिश्यूज (ऊतकों) में से कुल 36 जीन पहचाने गए।
इस रिसर्च टीम की प्रमुख और NCBS की कॉम्प्युटेशनल बायोलॉजिस्ट आर. सौदामिनी द्वारा डेकन हेरल्ड पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू के अनुसार सहजन के औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार एंजाइमों की खोज से जीनोमिक्स के महत्व का पता चलता है। इनका इस्तेमाल यदि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाए तो सहजन की पत्तियों से वाटर प्यूरिफिकेशन किया जा सकता है और इस तरह बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इस सहजन की बड़ी भूमिका हो सकती है।
सहजन स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने वाले गुणों का खजाना है। विदेशों में इसे ‘सुपर फुड’ कहा जा रहा है। ऐसी कोई अन्य कुदरती खाद्यपदार्थ नहीं है जिसमें इतने सारे विटामिन और मिनरल एक साथ पाए जाएं। इसमें कुछ मात्रा में कर्बोहाइड्रेट, फाइबर, प्रोटीन और फैट तो थोड़ी-थोड़ी मात्र में है ही लेकिन जो सबसे बड़ा खजाना इसके पास है वह विभिन्न प्रकार के विटामिन और मिनरल्स का।
सहजन/मुनगा के फायदेमंद तत्व – USDA- युनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीलकल्चर के न्यूट्रीशन डेटाबेस के अनुसार-
सहजन में भारी मात्रा में विटामिन A, विटामिन B1, विटामिन B2, विटामिन B3, विटामिन B5, विटामिन B6, विटामिन B9, विटामिन C, विटामिन E के अलावा भरपूर कैल्सियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक पाए जाते हैं।
इन सभी पोषक तत्वों की मात्रा सहजन की फली की तुलना में इसकी पत्तियों में अधिक पाई जाती है। सहजन की पत्तियों में पालक की तुलना में 40 गुना अधिक आयरन और 100 गुना अधिक कैल्सियम पाया जाता है।