बेंगलुरु: कर्नाटक में अभी तक लगभग 4500 हाथ से मैला ढोने वालों का पुनर्वास नहीं हो सका है ,लेकिन सामाजिक रूप से बहिष्कृत इस समुदाय को एकमुश्त नकद सहायता (ओटीसीए), डायरेक्ट लोन और अन्य सुविधा देने के लिए एक एक्शन प्लान को मंजूरी दे दी है.
कर्नाटक राज्य सफाई कर्मचारी विकास निगम (KSSKDC) के प्रबंध निदेशक के.बी. मल्लिकार्जुन ने इस सप्ताह की शुरुआत में दिप्रिंट को बताया, “एक्शन प्लान को मंजूरी दे दी गई है. एकमुश्त नकद एक प्रकार का सहायता है जो हम हाथ से मैला ढोने वालों को देते हैं. हमने लगभग 4,500 लोगों को इसके भीतर रखा है, जिसमें लगभग 18 करोड़ रुपये तक खर्च आएगा. डायरेक्ट लोन और अन्य योजनाओं का कुल मूल्य लगभग 12 करोड़ रुपये है. पूरा खर्च लगभग 30 करोड़ रुपये है.” KSSKDC राज्य के कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है. मैनुअल स्केवेंजर्स शब्द का उपयोग सार्वजनिक सड़कों से मलमूत्र हटाने, सेप्टिक टैंक, गटर और सीवर की सफाई के पेशे में लगे लोगों के लिए किया जाता है. 1993 से पूरे देश में हाथ से मैला ढोने की प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. हालांकि, यह अभी भी जारी है, जिसका मुख्य कारण ग्रामीण और यहां तक कि शहरी केंद्रों में अपर्याप्त बुनियादी ढांचा है. साथ ही पहले से मौजूद जाति-आधारित विभाजन भी इसके लिए जिम्मेदार है. इसपर पहले से ही कई रिपोर्ट की जा चुकी है.