भोपाल(अनिल कुमार सिंह)– covid_19 के खतरे के चलते जहां नवनियुक्त मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस चुनौती से निबटने में व्यस्त हैं वहीं कांग्रेस के नेता फुर्सत में हैं अतः उन्होने कमलनाथ के नेतृत्व में आगामी उपचुनावों की तैयारी शुरू कर दी है.कांग्रेस हाईकमान ने दोबारा कमलनाथ पर भरोसा जताया है और उपचुनाव लडऩे का जिम्मा उनके हाथ में दे दिया है। ऐसे में कमलनाथ इन सीटों पर अभी से उम्मीदवार तलाशने में जुट गए हैं।कमलनाथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपने हारे हुये दिग्गजों को इन सीटों से लड़वा सकते हैं।
230 सदस्यों वाली विधानसभा में फिलहाल 25 सीटें खाली हैं जिनमें 24 पर चुनाव होने हैं और एक सदस्य मनोनीत होगा। वर्तमान में 106 सदस्यों के साथ भाजपा बहुमत में है, जबकि 92 सीटों के साथ कांग्रेस विपक्ष में है, लेकिन उपचुनावों के बाद बहुमत का आंकड़ा एक बार फिर 115 हो जाएगा यानी भाजपा को इन 24 सीटों में कम से कम 5 सीटें तो जीतनी ही पड़ेंगी, क्यंोंकि जरूरत पडऩे पर 4 निर्दलीय उसे समर्थन दे सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश भाजपा को इतनी सीटें जीतने से रोकना है क्योंकि जिन सीटों पर चुनाव होना है उनमें 22 सीटें पिछले चुनाव में कांग्रेस के पास थीं.
जिन 24 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से अधिकांश सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल के तहत आती हैं। यह वो अंचल है , जहां पर पूर्व कांग्रेस नेता और अब भाजपाई ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव माना जाता है। उनके अपने समर्थक विधायकों के साथ दलबदल करने की वजह से ही कांग्रेस को डेढ़ दशक बाद मिली प्रदेश की सत्ता से हाथ धोना पड़ रहा है।सिंधिया को टक्कर देने और उनके ही गढ़ में मात देने के लिए कांग्रेस अब इसी अंचल के किसी नेता को उनके समकक्ष खड़ा करने की रणनीति पर काम कर रही है। इसी वजह से माना जा रहा है कि पार्टी नेता प्रतिपक्ष पद पर अंचल के दिग्गज नेता और अजेय विधायक गोविंद सिंह को यह पद सौंप सकती है।
वे 24 सीटें जिन पर उपचुनाव होने हैं उसमें से कांग्रेस छोडऩे वाले 15 पूर्व विधायकों के क्षेत्र इसी अंचल मे है। वहीं, जौरा के विधायक बनवारीलाल शर्मा तथा आगर मालवा के मनोहर ऊंटवाल के निधन से रिक्त हुई दो सीटों में जौरा सीट भी ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की है। इस तरह ग्वालियर-चंबल संभाग में 16 सीटों पर उप चुनाव होना है जो कोरोना संकट के बाद इस साल के अंत तक होने की संभावना है।ये सीटें हैं,ग्वालियर पूर्व, मुरैना, अंबाह, भांडेर, अशोक नगर, डबरा, सांची, सांवेर, पोहरी, बमोरी, मेहगांव, गोहद, दिमनी, करैरा, सुरखी, सुवासरा, ग्वालियर, मुगावली, बदनावर, अनूपपुर, सुमावली, हाटपिपल्या, आगर, जौरा।
कांग्रेस से गए विधायकों का अपना व्यतिगत वोट बैंक भी है जो उनके साथ ही रहेगा ये चुनाव दिलचस्प होंगे एवं भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए करने मरने का सवाल होंगे ,वैसे भाजपा के बारे में मशहूर है की एक बार यदि सत्ता उसके हाथ आ गयी तो उसे वह छोड़ती नहीं है,ऊपर से 15 वर्ष मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की राजनैतिक मेहनत से सभी परिचित हैं।
इन चुनावों को जीतने केसंकल्प में मप्र कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने स्वयं मोर्चा संभाल रखा है। तैयारियों के तहत ही उनके द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग कर हर दिन संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में आईटी सेल के लोगों से चर्चा कर फीडबैक लिया जा रहा है। इसी आधर पर एनके द्वारा अन्य नेताओं और पदाधिकारियों से चर्चा की जाएगी। पार्टी सूत्रों की माने तों जब तक लॉकडाउन खुलने के बाद स्थितियां सामान्य नहीं होती हैं, तब तक कमलनाथ उपचुनावों की तैयारियों पर पूरा फोकस रखेंगे। पहले चरण में सिर्फ आईटी सेल के नेताओं को ही जोड़ा गया था लेकिन अब पार्टी के जिला अध्यक्षों और विधायकों को भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से जोड़ा जा रहा है।कमलनाथ के पास अपने जीवन की सबसे बड़ी राजनैतिक हार को जीत में बदलना एक सपना है जिसे वे शायद अपनी राजनीति के अंतिम पड़ाव में विजय में देखना चाहेंगे।