बोध गया के महाबोधि मंदिर में हुए सिलसिलेवार धमाकों ने मंदिर परिसर में व्याप्त आध्यात्मिक शांति और आस्था की नींव को हिलाने का प्रयास किया। यह किन लोगों की हरकत थी, यह तो सुरक्षा एजेंसियां बताएगी।
लेकिन जो भी आस्था की नींव हिलाने का नापाक मंसूबा लेकर आए थे उनके मुंह पर धर्म और आस्था ने जोरदार तमाचा मारा है क्योंकि धमाके के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था कम नहीं हुई और परंपरागत तौर पर नियमित पूजा जारी रही।
लेकिन इस धमाके ने अधर्म को उसके नाश की ओर एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। क्योंकि जैसे जैसे पाप बढ़ रहा है वैसे वैसे भगवान के कल्कि अवतार लेने की घड़ी नजदीक आती जा रही है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि ‘यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
अर्थात ‘जब जब संसार में धर्म की हानि होने लगती है और अधर्म प्रबल होने लगाता है तब तब धर्म की स्थापना के लिए और संतजनों की रक्षा के लिए मैं अवतार लेता हूं।’ महाबोधि मंदिर में हुए धमाके से फिर धर्म की हानि हुई। इससे पहले भी दहशतगर्द कई बार आस्था की नींव हिलाने की नापाक कोशिश कर चुके हैं। अपने पाप पूर्ण इरादों को अंजाम देने के लिए इन्होंने धर्म नगरी बनारस में कई बार विस्फोट किए।
कलयुग में यहां अवतार लेंगे भगवान
इनके निशाने पर मंदिर ही नहीं मस्जिद भी होती हैं। हैदराबाद की मक्का मस्जिद, अजमेर की दरगाह, दिल्ली की जामा मस्जिद, मालेगांव की नूरानी मस्जिद में हुए धमाके इसके गवाह हैं कि दहशतगर्दो का मकसद किसी व्यक्ति या संप्रदाय को नुकसान नहीं पहुंचाना नहीं है, ये समूचे धर्म का नाश करना चाहते हैं।
इतिहास साक्षी है कि जब-जब अधर्म ने धर्म को नुकसान पहुचाने का प्रयास किया है तब-तब भगवान ने अवतार लिया है। भगवान वराह, नृसिंह, राम और कृष्ण का अवतार इसके प्रमाण हैं।
वर्तमान स्थिति भी इस ओर संकेत कर रही है कि भगवान जल्दी ही अवतार लेकर अधर्म का नाश करेंगे और धर्म को पुर्नस्थापित करेंगे।� लेकिन इस बार भगवान का शत्रु असुर नहीं है बल्कि असुर प्रवृति वाला मनुष्य है जो छिपकर धर्म की जड़ काटने में लगा है। इसलिए भगवान को कृष्ण से भी अधिक चतुर और चालाक बनकर अवतार लेना होगा।