जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन की उस टिप्पणी का स्वागत किया है कि जिसमें उन्होंने कहा है कि वह नहीं चाहते कि नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। शरद ने कहा कि वह प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के विचारों से सहमत हैं।
उन्होंने कहा कि मैं बयान का स्वागत करता हूं। अगर वह नहीं होते, तब भाजपा के साथ हमारा गठबंधन नहीं टूटता। अमर्त्य सेन ने सोमवार को कहा था कि भारत के नागरिक के तौर पर वह मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते।
नरेन्द्र मोदी के आर्थिक मॉडल को नामंजूर करते हुए उन्होंने कहा था, उन्होंने (मोदी ने) अल्पसंख्यकों को सुरक्षित महसूस करने की दिशा में पर्याप्त काम नहीं किया। बहरहाल, शरद ने गुजरात के मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और किसानों की दुर्दशा जैसे ज्वलंत विषयों से लोगों का ध्यान बांटने के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि दोनों बड़ी पार्टियां कांग्रेस और विपक्षी भाजपा गैर मुद्दों पर वाकयुद्ध में लगी है।
जदयू अध्यक्ष ने कहा कि गुजरात से इस व्यक्ति के राष्ट्रीय मंच पर आने के बाद इस तरह का नाटक शुरू हो गया है। हालांकि, शरद ने बिहार में मध्याहन भोजन हादसे में साजिश का संकेत दिये जाने के बारे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रदेश के मानव संसाधन मंत्री पी के शाही के बयान से अपने को अलग करते हुए कहा, जांच पूरी होने के बाद ही कोई निष्कर्ष निकाला जाना चाहिए।
शरद ने कहा कि नीतीश या शाही ने क्या कहा कि इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार ऐसे हादसों में कुछ नहीं कर सकती थी क्योंकि राज्य में ऐसी घटना पहली बार सामने आई है। शरद ने भाजपा के उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि जदयू उनकी पार्टी के असंतुष्ट विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशिश का रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा को अपना घर संभालना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम बिना किसी समर्थन के बहुमत प्राप्त पार्टी हैं। हमें दूसरे दलों को तोड़ने की जरूरत नहीं है। वे (विधायक) भाजपा से खुश नहीं हैं और यह उनके बयान से स्पष्ट है।