पटना।। बीजेपी और जेडी(यू) की राहें अब अलग-अलग होती दिख रही हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने से नाराज नीतीश कुमार ने पार्टी के सीनियर नेताओं से एनडीए में बने रहने पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। मंगलवार देर रात तक नीतीश पार्टी अध्यक्ष शरद यादव और दूसरे नेताओं के साथ मंत्रणा करते रहे।
प्रदेश के कृषि मंत्री और जेडी (यू) नेता नरेंद्र सिंह ने बताया, ‘हम लोगों ने कोर कमिटी में निर्णय ले लिया है। बीजेपी अब एक दागी के हाथ में है। हम लोगों को दंगाई आदमी मंजूर नहीं है। समझिए की गठबंधन टूट चुका है, बस औपचारिक ऐलान बाकी है।’ हालांकि, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने इसे नकारते हुए कहा कि अभी पार्टी ने कोई फैसला नहीं लिया है। उन्होंने 2-3 दिनों में फैसले की उम्मीद जताई।
दूसरी तरफ, बीजेपी ने भी साफ कर दिया है कि वह बिहार में अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। पार्टी के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि जेडी(यू) के नेता कह रहे हैं कि अब बीजेपी के साथ रहना मुश्किल है, तो वह फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। बिहार में बीजेपी के सबसे ताकतवर नेता और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी कहा है कि पार्टी बिहार में हर परिस्थिति में चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि अगला लोकसभा का चुनाव पार्टी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ेगी और अभूतपूर्व सफलता हासिल करके केंद्र में सरकार बनाएगी।
बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी ठाकुर ने कहा कि गठबंधन तोड़ने से पहले नीतीश कुमार को इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि बिहार की जनता ने अलायंस को वोट दिया था। प्रदेश के पशुपालन मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा, ‘मोदी कोई आज बीजेपी में नहीं आए हैं। वह 2002 में भी बीजेपी में थे, जब नीतीश केंद्र में मंत्री बने हुए थे।’ गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार की जनता इसका जवाब देगी।
नीतीश के सियासी अंदाज को करीब से जानने वालों का कहना है कि उन्होंने बीजेपी से अगल होने का मन बना लिया है। वह इसकी घोषणा किसी भी वक्त कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि नीतीश ने पार्टी नेताओं से बातचीत के दौरान बीजेपी से संबंध टूटने की स्थिति में प्रदेश सरकार को बचाने के लिए बहुमत के आंकड़े की व्यवस्था पर भी चर्चा की। एक नेता ने बताया कि निर्दलीय और कांग्रेस विधायकों से समर्थन लिया जा सकता है। पार्टी के सभी विधायकों को भी पटना पहुंचने के निर्देश दे दिए गए हैं।
243 सदस्यीय विधानसभा में जेडी(यू) के 118 और बीजेपी के 91 विधायक हैं। बीजेपी से दोस्ती टूटने की स्थिति में सरकार को बचाने के लिए जेडी(यू) को चार विधायकों के समर्थन की जरूरत है। इसके लिए पार्टी की नजरें कांग्रेस के चार और छह निर्दलीय विधायकों पर हैं। जेडी(यू) लगातार निर्दलीय विधायकों पवन जयसवाल, विनय बिहारी, सोम प्रकाश सिंह, दुलाल चंद गोस्वामी, दिलीप वर्मा और ज्योति गोस्वामी के संपर्क में हैं।
दूसरी तरफ बीजेपी भी अब नरेंद्र मोदी पर किसी की बात सुनने को तैयार नहीं है। सुशील मोदी ने जेडी(यू) को जवाब देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी लोकसभा चुनाव में अभूतपूर्व सफलता हासिल करेगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में हम हर स्थिति में चुनाव लड़ने को तैयार हैं। 23 जून को राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह पटना आ रहे हैं। वहां पार्टी के ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ताओं की बैठक होने वाली है।
नरेंद्र मोदी के मसले पर नीतीश कुमार के सख्त रवैये को लेकर जेडी (यू) से बगावत के सुर सुनाई पड़ने लगे हैं। जेडी(यू) विधायक छेदी पासवान ने कहा कि बीजेपी-जेडी(यू) का रिश्ता टूटेगा, तो इसका बीजेपी से अधिक जेडी(यू) पर असर पड़ेगा। उन्होंने नीतीश से सवाल किया कि बीजेपी से उस समय क्यों नहीं नाता तोड़ लिया था, जब गोधरा कांड हुआ था।
पासवान ने कहा, ‘नीतीश कुमार तब रेल मंत्री बने रहे और अब दिखाई दिया है कि नरेंद्र मोदी दंगाई हैं। वह आज नरेंद्र मोदी का विरोध केवल अल्पसंख्यकों को अपनी तरफ करने के लिए कर रहे हैं। बिहार को विशेष दर्जा दिलाने की मुहिम उन्होंने तब क्यों नहीं छेड़ी थी, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे?’