वृंदावन। हरियाली तीज और जन्माष्टमी पर ब्रज के मंदिरों में उत्साह की हरियाली होती है। ठाकुर जी के लिए विशेष इंतजाम होते हैं। इस मौके पर बांकेबिहारी मंदिर, जन्मभूमि, प्रेम मंदिर तथा बिरला मंदिर में ठाकुर जी का शाही पहनावा होगा। वहां ठाकुर जी करीब 25 लाख लागत की पोशाकें पहनकर भक्तों को दर्शन देंगे।
वृंदावन, मथुरा, नंदगांव, बरसाना, गोकुल, बल्देव समेत ब्रज के अन्य मंदिरों में भी प्रभु कीमती पोशाकें, मुकुट धारण कर श्रंगार करेंगे। मौसम के मुताबिक, आरामदायक, हल्की और आकर्षक तथा भगवान के स्वरूपों को दिव्य-भव्यता प्रदान करने वाली पोशाकों के लिए भक्तों ने दिल्ली के नामचीन कारोबारियों को ऑर्डर बुक कराए हैं। इस बार अधिकांश भक्तों ने हरियाली तीज के साथ जन्माष्टमी पर्व के लिए भी ठाकुरजी के लिए पोशाक, मुकुट व श्रंगार तैयार करा लिया है। बांकेबिहारी तथा अन्य मंदिरों के ठाकुरजी कौन सी तथा किस भक्त द्वारा अर्पित की गई पोशाक धारण करेंगे, यह अभी तय नहीं हुआ है। क्योंकि ठाकुरजी को नई पोशाक अर्पित करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या अधिक है, जबकि प्रत्येक मंदिर में ठाकुरजी सुबह-शाम पोशाक बदलते हैं। इस लिहाज से एक मंदिर में महज दो श्रद्धालुओं की पोशाकों को ठाकुरजी धारण कर सकेंगे। शेष भक्तों को आगामी त्योहारों का इंतजार करना होगा। इस बार हरियाली तीज पर बांकेबिहारी मंदिर को भव्य रूप दिया जाएगा। झांकी और उससे जुड़े स्थल को आकर्षक बनाने के लिए नए पर्दे स्थापित किए जाएंगे। बांकेबिहारी मंदिर में ठाकुरजी के साथ उनकी अष्ट सखियां विशाखाजी, ललिताजी, सुदेवीजी, रंगदेवीजी, चित्रदेवीजी, चम्पतलताजी, इंदूलेखाजी, तुंगविद्याजी भी आकर्षक रूप में दिखेंगी, इनके लिये लाखों रुपये लागत की पोशाक तैयार कराई गई हैं। छटीकरा मार्ग स्थित अक्षयपात्र मंदिर में भगवान के स्वरूप करीब एक लाख रुपये की पोशाक धारण करेंगे, जबकि प्रेम मंदिर, बिरला मंदिर, इस्कॉन मंदिर और अन्य मंदिरों में ठाकुरजी को अर्पित करने के लिये भक्तों ने नामचीन कारोबारियों और कारीगरों से पोशाक, मुकुट और श्रंगार के आइटम तैयार कराए हैं।
दिल्ली के पोशाक कारोबारी राकेश गोटेवाले ने बताया कि ब्रज क्षेत्र के प्रमुख मंदिरों में ठाकुरजी को अर्पित करने के पोशाक तैयार कराई गई हैं। बांकेबिहारी मंदिर कमेटी के पदाधिकारी गौरव गोस्वामी का कहना है कि हरियाली तीज और जन्माष्टमी पर्व की तैयारियां शुरू हो गई हैं। ठाकुरजी को भव्य-दिव्य रूप दिया जाएगा।
पोशाक कारोबारी राकेश गोटेवाला का कहना है कि इन पोशाक में बेशकीमती कुंदन, अमेरिकन जरकिन, हीरे व मोती की टंकाई होती है। सिलाई सोने-चांदी के तारों से की जाती है। कारीगरी काफी महीन होती है, इसलिये पोशाक तैयार करने में दो माह तक का समय लग जाता है।
लाखों की पोशाक पहन स्वर्ण-रजत हिंडोले में झूलेंगे बांकेबिहारी-
घटाओं का श्रंगार, आइना का झूला
हरियाली तीज से पांच दिन तक गोवर्धन महाराज के श्रंगार के लिए घटाएं सजायी जाती हैं। गिरिराज प्रभु के साथ मंदिर परिसर को भी एक ही रंग का दर्शाया जाता है। एक ही रंग के पर्दे, पोशाक, जेवरात के साथ ठोड़ी पर सजा लाल रंग का हीरा प्रभु की झांकी को एकटक निहारने पर मजबूर करता है।
श्रंगार में उसी रंग के जेवरात प्रयोग में लाये जाते है। चकाचौंध रोशनी से घटा का रंग न बदले इसका खास खयाल रखा जाता है। अचल गिरिराज प्रभु को झूला झुलाने के लिए भक्तों ने भाव को तरजीह देते हुये आइने का झूला तैयार किया, गिरिराज प्रभु के सामने आइने का झुला बनाया जाता है।