आज के जमाने में लोग न जाने कितने व्रत और संकल्प करके मोक्ष की आस करते हैं। वहीं पुरी के भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने से ही मोक्ष मिल जाता है। जी हां, आज ही आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि है। परंपरानुसार आज उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होगी।
भगवान का भव्य और विशाल रथ तीन किलोमीटर की यात्रा करके गुंडिचा मंदिर पहुंचेगा। भगवान के साथ उनकी बहन सुभद्रा और दाऊ बलराम भी अपने शाही रथ पर सवार होकर यात्रा करेंगे।
मान्यता है कि गुंडिचा मंदिर भगवान जगन्नाथ जी की मौसी का घर है। एक अन्य मान्यता के अनुसार विश्वकर्मा ने इसी स्थान पर लकड़ी से जगन्नाथ जी प्रतिमा का निर्माण किया था।
गुंडिचा मंदिर में एक हफ्ता बिताने के बाद भगवान जगन्नाथ वापस अपने घर यानी जगन्नाथ मंदिर लौट आएंगे। रथ यात्रा के विषय में कथा है कि एक बार सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण से नगर भ्रमण की इच्छा प्रकट की। बहन की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान श्री कृष्ण बड़े भाई दाऊ जी के साथ सुभद्रा को नगर भ्रमण करवाने लेकर जाते हैं। इसी उपलक्ष्य में हर साल रथ यात्रा निकाली जाती है।
रथ खींचने से मिलता है मोक्ष
खास बात ये है कि भगवान जगन्नाथ के रथ को पशु या कारिंदे नहीं बल्कि भक्तगण मिलकर खींचते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति जगन्नाथ जी के रथ को खींचता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। उसे फिर से जन्म लेकर धरती का सुख-दुःख नहीं भोगना पड़ता। इसी मान्यता के कारण रथ यात्रा के दौरान भक्तगण रथ खींचने का सौभाग्य पाने के लिए लालायित रहते हैं।