bhopal-मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले के सहजपुरी गांव के सुनील धुर्वे ने कहा कि उनकी पत्नी जमनी बाई ने मंगलवार (13 जून) को पास के एक सरकारी अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया, लेकिन शिशु कमजोर होने के कारण मामले को जबलपुर में सरकार द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज में रिफर कर दिया गया.
बच्चे के शव को बैग में रखे हुए धुर्वे ने एक बस स्टैंड के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘मेरे बच्चे को जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 15 जून को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. अस्पताल ने शव को मेरे निवास स्थान तक ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध नहीं कराया. आर्थिक तंगी के कारण मुझे शव को बैग में लेकर बस से यात्रा करनी पड़ रही है.’
वे करीब पांच घंटे तक शव वाहन का इंतजार करते रहे.
धुर्वे ने कहा कि निजी वाहन संचालक शव को गांव ले जाने के लिए 4,000 से 5,000 रुपये मांग रहे थे और हम इसे वहन करने में सक्षम नहीं थे.हमने डॉक्टर से हमें शव वाहन देने का अनुरोध किया, लेकिन हमारे अनुरोध को ठुकरा दिया गया.’उन्होंने कहा, ‘चूंकि हम गरीब हैं, हम आने-जाने के लिए किसी अन्य साधन की व्यवस्था नहीं कर सकते. हमने बच्चे के शव को एक बैग में रखा और बस स्टॉप गए.’
वहीं राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने हड़कंप मचने के बाद कहा कि जबलपुर के सरकारी अस्पताल से छुट्टी मिलने के समय बच्चा जीवित था.
अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें संदेह है कि माता-पिता को सौंपे जाने के बाद बच्चे की मौत ‘अत्यधिक गर्मी से डिहाइड्रेशन के कारण’ हो सकती है.स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि वे बच्चे की मौत की परिस्थितियों की जांच करेंगे.