ईरान में देश का नया राष्ट्रपति चुनने के लिए जनता शुक्रवार को मतदान करेगी। मुख्य मुकाबला सईद जलीली, हसन रूहानी और अली अकबर विलायती के बीच है। सुधार समर्थक प्रत्याशी जहां एकजुटता दिखा रहे हैं वहीं कट्टरपंथी बंटे हुए हैं।
कट्टरपंथी माने जाने वाले मौजूदा राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद का उत्ताराधिकारी चुनने के लिए होने वाले मतदान से एक दिन पहले प्रचार अभियान खत्म हो गया। विशेषज्ञों का मानना है कि पहले दौर के मतदान में किसी भी प्रत्याशी को 50 फीसद से ज्यादा वोट मिलने की उम्मीद नहीं है। इसके चलते 21 जून का दूसरा दौर बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। सुधारवादी मौलाना हसन रूहानी दौड़ में फिलहाल आगे चल रहे हैं। रूहानी की रैलियों में उमड़ रही भीड़ भी यही कहानी बयां करती है। रूहानी चुनाव कोई भी जीते लेकिन कट्टरपंथी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अल खामनेई से टक्कर लेने की कूबत किसी में नहीं है। विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम के अलावा सभी बड़े मुद्दों पर रणनीतिक फैसले खामनेई ही करते हैं। पूरी दुनिया की नजर पश्चिमी ताकतों से परमाणु मुद्दे पर वार्ता करने वाले सईद जलीली पर है। चूंकि खामनेई कभी ईरान के बाहर नहीं जाते इसलिए जलीली दुनियाभर के देशों की आशंकाओं को दूर करने के प्रयास कर सकते हैं। हालांकि, वह भी अहमदीनेजाद की तरह कट्टरपंथी ही हैं।
2009 में अहमदीनेजाद के दोबारा राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों को खामनेई फिर नहीं देखना चाहते। इसलिए चुनाव को साफ सुथरा बनाने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। पूर्व विदेश मंत्री विलायती खामनेई के सलाहकार हैं। इसलिए पश्चिमी देश उन्हें जीतते नहीं देखना चाहते।
रफसंजानी ने की मतदान की अपील
तेहरान। पूर्व ईरानी राष्ट्रपति अकबर हाशिमी रफसंजानी ने देश की जनता से चुनाव में मतदान करने की अपील की है। हाशिमी को चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किए जाने के बाद से बड़ी संख्या में देश के उदारवादी लोगों ने चुनाव बहिष्कार की बात कही है। वर्ष 2009 के राष्ट्रपति चुनावों के बाद अहमदीनेजाद सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर कठोर कार्रवाई की थी जिसका हाशिमी ने खुला विरोध किया था। इस वजह से हाशेमी का कद देश के उदारवादियों में तेजी से बढ़ा है।