संप्रग-2 सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर आज मनाए जा रहे जश्न पर हैरानी जताते हुए भाजपा ने कहा कि सरकार ने देश को जिस कथित उदासी, निराशा और नकारात्मकता के माहौल में धकेल दिया है, उसके लिए उसे खुशियां मनाने की बजाय मुल्क से माफी मांगनी चाहिए थी।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संप्रग की उपलब्धि का पैमाना बस यही है कि, इसने सत्ता में चार साल पूरे कर लिए। लेकिन इतिहास सत्ता में बने रहने के वर्षों के आधार पर अपना निर्णय नहीं देगा। देश को इस शासन ने जो क्षति पंहुचाई है, उसके आधार पर वह बहुत कठोर फैसला देगा। किसी की पहचान उसकी लंबी उम्र से नहीं, बल्कि इस बात से बनती है कि उसने क्या छाप छोड़ी।
जेटली ने कहा कि इस सरकार की केवल एक उपलब्धि है, कि सीबीआई के दुरुयोग से इसने चार वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है, अन्यथा बाहर से समर्थन दे रहे सपा और बसपा जैसे दल इसे नहीं बचाते और आज यह सरकार नहीं होती। सीबीआई ही नहीं, इस सरकार ने हर संस्था के डायरेक्टर को मैनेज किया है।
सुषमा ने कहा कि संप्रग के नेतत्व का मॉडल ही संरचनात्मक रूप से दोषपूर्ण है। इसमें शक्ति प्रधानमंत्री के पास नहीं है। शासन की शक्ति सरकार के बाहर बैठे संविधानेतर लोगों :सोनिया गांधी: के पास है। इससे यह शासन निर्णाय लेने में अक्षम है।
उन्होंने कहा कि शासन की नीतियों में अंतिम शब्द संप्रग अध्यक्ष का होता है, प्रधानमंत्री का नहीं। भविष्य को लेकर भी कांग्रेस के कैडर कांग्रेस पार्टी के प्रथम परिवार के उत्तराधिकारी (राहुल गांधी) की ओर देखते हैं, प्रधानमंत्री की तरफ नहीं।
स्वराज ने कहा कि सरकार किस बात का जश्न मना रही है, आम आदमी को त्रास का या उसके साथ किए गए विश्वासघात का या फिर निराशा के माहौल का। जेटली ने कहा कि समूचे देश में नकारात्मक और निराशा का माहौल है। संप्रग के शासन में प्रधानमंत्री पद इतना छोटा और बौना हो गया है कि इससे पहले इसका कोई उदाहरण नहीं दिखाई देता।
राजनीति और नीति के मामले में प्रधानमंत्री कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ झांकते हैं तो भविष्य के नेतृत्व के लिए किसी और की तरफ तांकते हैं। प्रधानमंत्री का पद हंसी और व्यंग्य का सबब बनकर रह गया है।
दोनों नेताओं ने कहा कि इस सरकार के पास न राजनैतिक समर्थन बचा है और न ही नैतिक। भाजपा इसे उखाड फेंकने के लिए हर स्तर पर लडाई जारी रखेगी और 27 मई से 2 जून तक पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जेल भरो आंदोलन में भाग लेकर इस सरकार के खिलाफ बन रहे माहौल को और व्यापक बनाएगी।
स्वराज ने कहा कि संप्रग दो सरकार अर्थव्यवस्था से लेकर विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और महिलाओं की सुरक्षा जैसे तमाम मोर्चों पर विफल रही है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था केवल आंकडों से ही नहीं, माहौल से भी चलती है।
उन्होंने कहा कि विदेश नीति का यह हाल है कि मालदीव जैसा देश भी भारत को आंख दिखा रहा है। पड़ोस में भारत की कोई भूमिका नहीं है। यदि चीनी प्रधानमंत्री को भारत यात्रा पर नहीं आना होता, तो लद्दाख में घुसपैठ का मामला नहीं सुलझता।
लोकसभा में विपक्ष की नेता ने कहा कि सरकार ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त करने में कोई कसर नहीं छोडी है। केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति से शुरू हुए विवाद का सफर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य की नियुक्ति तक पहुंच गया है।