फिच के अलावा इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 11.8 प्रतिशत की गिरावट आएगी. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है. यह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट के सबसे ऊंचे आंकड़ों में से एक है.
नई दिल्ली- दो रेटिंग एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट का अनुमान लगाते हुए आंकड़े जारी किए हैं. फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 प्रतिशत की भारी गिरावट का अनुमान लगाया है. वहीं इंडिया रेटिंग्स जीडीपी में 11.8 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है.
बीते 31 जुलाई को राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों में बताया गया था कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी में 23.9 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है.
इस कड़ी में रेटिंग एजेंसी फिच ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर -10.5 प्रतिशत कर दिया. इससे पहले फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था.
फिच ने कहा कि देश में कोविड-19 संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. इसके चलते देश के विभिन्न हिस्सों में टुकड़ों में लॉकडाउन लगाना पड़ रहा है, जिससे आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट के सबसे ऊंचे आंकड़ों में से एक है.
हालांकि, फिच का मानना है कि अर्थव्यवस्था अब खुल रही है, जिससे जुलाई-सितंबर की तिमाही में इसमें उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल सकता है. इसके साथ ही उसने कहा कि इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार सुस्त और असमान रहेगी.
वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर अपने सितंबर के अपडेट में फिच ने कहा कि सबसे अधिक मंदी भारत, ब्रिटेन और स्पेन जैसे देशों में देखने को मिल रही है. फिच ने कहा कि इन देशों में लॉकडाउन काफी सख्त और लंबा (अप्रैल-जून) रहा है. इन देशों के खुदरा और अन्य क्षेत्रों में आवाजाही सबसे अधिक प्रभावित रही है.
फिच ने कहा कि लघु और मध्यम अवधि में कई चुनौतियों हैं, जिनसे वृद्धि में सुधार रुका हुआ है.
फिच की ओर से कहा गया, ‘कोरोना वायरस के नए मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसकी वजह से कुछ राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को प्रतिबंधों को फिर से सख्त करना पड़ा है. महामारी के लगातार फैलने तथा देशभर में छिटपुट बंदी की वजह से धारणा कमजोर हुई है और आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं.’
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि गतिविधियों में भारी गिरावट से परिवारों और कंपनियों की आय भी बुरी तरह प्रभावित हुई है. इस दौरान वित्तीय समर्थन भी सीमित रहा है. इसके साथ ही वित्तीय क्षेत्र की संपत्ति की गुणवत्ता नीचे आ रही है, जिससे बैकों के कमजोर पूंजी बफर के बीच ऋण प्रावधान पर असर पड़ेगा.
फिच ने कहा कि मुद्रास्फीति ऊंची रहने से परिवारों की आय पर दबाव बढ़ा है और आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है. उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी से कीमतें बढ़ रही हैं. हालांकि, उसका अनुमान है कि कमजोर मांग, आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं समाप्त होने तथा मानसून अच्छा रहने से मुद्रास्फीति नीचे आएगी.
फिच ने कहा, ‘हमने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के अपने अनुमान को संशोधित कर -10.5 प्रतिशत कर दिया है. जून में जारी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट के अनुमान को पांच प्रतिशत अंक बढ़ाया गया है. हमारा अनुमान है कि हमारे कोराना संकट आने के पहले के अनुमान की तुलना में 2022 की शुरुआत तक गतिविधियों में करीब 16 प्रतिशत की गिरावट आएगी.’
फिच का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी (जुलाई-सितंबर) तिमाही में जीडीपी में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आएगी. तीसरी (अक्टूबर-दिसंबर) तिमाही में अर्थव्यवस्था 4.8 प्रतिशत नीचे आएगी. वहीं जनवरी-मार्च की चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 4 प्रतिशत रहेगी.
फिच ने कहा कि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 11 प्रतिशत रहेगी. 2022-23 में अर्थव्यवस्था 6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी.
फिच ने कहा कि चीन को छोड़कर अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में यह महामारी काफी तेजी से फैल रही है. इस समय कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक मामले ब्राजील, रूस और भारत जैसे देशों में हैं.
फिच ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था दो अंकीय वृद्धि दर्ज करेगी. इसकी मुख्य वजह पिछले वित्त वर्ष का आधार प्रभाव होगा.
फिच ने कहा, ‘हमारा मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था जनवरी-मार्च, 2022 से पहले महामारी से पूर्व का स्तर हासिल नहीं कर पाएगी.’
चालू वित्त वर्ष में भारत के जीडीपी में आएगी 11.8 प्रतिशत की गिरावट: इंडिया रेटिंग्स
घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 11.8 प्रतिशत की भारी गिरावट आएगी.
इंडिया रेटिंग्स ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के अपने अनुमान को संशोधित कर -11.8 प्रतिशत कर दिया है. पहले उसने भारतीय अर्थव्यवस्था में 5.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था.
हालांकि, रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था 9.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी. हालांकि इसकी मुख्य वजह पिछले वित्त वर्ष का कमजोर आधार प्रभाव होगा.
रेटिंग एजेंसी ने रिपोर्ट में कहा, ‘इंडिया रेटिंग्स का जीडीपी में 11.8 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान देश के इतिहास में अर्थव्यवस्था का सबसे कमजोर आंकड़ा होगा. देश में जीडीपी के आंकड़े 1950-51 से उपलब्ध हैं.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह छठा मौका होगा जब देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी. इससे पहले वित्त वर्ष 1957-58, 1965-66, 1966-67, 1972-73 और 1979-80 में अर्थव्यवस्था में गिरावट आई थी. इससे पहले अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी गिरावट वित्त वर्ष 1979-80 में दर्ज हुई थी. उस समय अर्थव्यवस्था 5.2 प्रतिशत नीचे आई थी.
एजेंसी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट, तिमाही जीडीपी आंकड़ों की श्रृंखला में पहली गिरावट है. यह श्रृंखला वित्त वर्ष 1997-98 की पहली तिमाही से उपलब्ध है.
इंडिया रेटिंग्स का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को 18.44 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-21 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत पर रहेगी. वहीं थोक मुद्रास्फीति शून्य से 1.7 प्रतिशत नीचे रहेगी.