भारत में मीडिया की व्यापकता कितनी है यह साक्षरता के प्रतिशत से समझ आता है.पारम्परिक रूप से एक प्रजातांत्रिक देश में मीडिया की सबसे प्रमुख भूमिका ‘वॉचडॉग’ यानि प्रहरी की होती है।अर्थात मीडिया कार्यकारिणी, व्यवस्थापिका तथा न्यायप्रणाली के बीच संतुलन एवं नियंत्रण की प्रमुख भूमिका अदा करता है,मीडिया ‘वॉचडॉग’ की भूमिका खोजपरक पत्रकारिता द्वारा या सही समय पर सही एवम् उपयुक्त सूचना लोगों तक पंहुचाकर कर सकता है। इससे आम नागरिक सत्ता से जुड़े लोगों एवं संस्थाओं के क्रियाकलापों की अप्रत्यक्ष निगरानी कर सकते हैं। भारत में डिजिटल मीडिया की उपयोगिता अभी शैशव काल में है उस पर से विदेशी निवेश को 26 प्रतिशत मंजूरी देना सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करता है,की यह प्रतिबन्ध है या छूट,जानकार इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
रचनात्मक होने के नाते, डिजिटल मीडिया की समझ, और वेब के लिए प्रोग्राम और डिज़ाइन करने की क्षमता, इस करियर क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण कौशल हैं। एक स्वयंसेवक या एक प्रशिक्षु के रूप में, यहां तक कि डिजिटल मीडिया में नौकरी करने की आपकी क्षमता को भी प्रदर्शित करेगा।डिजिटल मीडिया फोटोग्राफर के रूप में भी कैरियर आगे बढ़ाया जा सकता है,यदि सोशल मीडिया की समझ आपकी विशेषज्ञता है, तो आप सोशल मीडिया विशेषज्ञ बनने पर विचार कर सकते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग विपणन और ब्रांड विकास में एक प्रेरणा शक्ति है। संगठन घटनाओं का विज्ञापन करने, कर्मचारियों की भर्ती करने, नए उत्पादों की घोषणा करने और जनता को शिक्षित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। डिजिटल मीडिया में इस करियर के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की गहन समझ आवश्यक है। अधिकांश प्रमुख कंपनियों को इस पद के लिए स्नातक की डिग्री की आवश्यकता होती है। आप अपने प्रमुख के लिए जनसंपर्क, संचार, व्यवसाय या विपणन से चुन सकते हैं।
डिजिटल सम्पादक के रूप में कैरियर स्थापित किया जा सकता है ,एक वीडियो संपादक फुटेज का आयोजन करता है और एक शक्तिशाली कहानी बताने के लिए विशेष प्रभाव, संवाद, संगीत और एनीमेशन जोड़ता है। फुटेज को फॉर्मेट करने के अलावा, एक वीडियो एडिटर प्रोजेक्ट को डीवीडी, मोशन पिक्चर, या वेब-आधारित वीडियो जैसे माध्यमों में कॉन्फ़िगर करता है। अधिकांश वीडियो संपादक स्वतंत्र ठेकेदारों के रूप में काम करते हैं, लेकिन बड़ी उत्पादन कंपनियों में कर्मचारियों पर पूर्णकालिक संपादक हो सकते हैं। डिजिटल मीडिया में इस कैरियर के लिए स्वतंत्र रूप से काम करने की क्षमता, रचनात्मक होने और वीडियो संपादन उपकरण और सॉफ्टवेयर का मजबूत ज्ञान होना आवश्यक है।
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एफडीआई में 26 प्रतिशत छूट के मौके पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ” अभी अमेरिका से एक टीम आई थी. उसने बताया कि अमेरिका में 200 कंपनियां हैं, जो भारत में प्रॉडक्शन बेस बनाना चाहती हैं. हम उनसे अक्टूबर में बात करेंगे.” ” डिजिटल मीडिया में 26 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है क्योंकि प्रिंट मीडिया में भी इतना ही एफडीआई मंजूर है.” उन्होंने कहा डिजिटल मीडिया भी प्रिंट मीडिया की तरह काम करता है.समाचार चैनलों में 49 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है।
भारत में 75 प्रतिशत युवा इंटरनेट से अनजान हैं,65 प्रतिशत के पास कम्प्यूटर नहीं है ,24 प्रतिशत के पास मोबाइल नहीं है 60 प्रतिशत के पास इंटरनेट कनेक्शन नहीं है,इन आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में डिजिटल मीडिया को बढ़ावा और उसके लिए विदेशी निवेश व्यावहारिक नहीं प्रतीत होती,विदेशी समूह यदि निवेश करेंगे भी तो अंग्रेजी भाषा संस्थानों में अधिक क्योंकि इंटरनेट पर अंग्रेजी पाठक अधिक है,इस माध्यम से सरकार की नीयत पर लोग ऊँगली उठा रहे हैं लोगों का कहना है कि यह छूट है या प्रतिबन्ध?
भारत में फेसबुक, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम सहित सोशल प्लेटफॉर्म लोगों की पढ़ने और देखने की आदत तेजी से बदल रहे हैं और इनका असर खासतौर से युवा पीढ़ी पर ज्यादा है। महानगरों में अब लोग अखबार पढ़ने और टीवी देखने और डिजिटल प्लेटफार्म में 3-4 साल पहले की तुलना में ज्यादा वक्त बिता रहे हैं। देश के अग्रणी उद्योग मंडल एसोचैम की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। एसोचैम द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के निष्कर्ष में कहा गया है, ‘यह सही है कि भारतीय समाचार उद्योग अच्छी हालत में है और करीब 6.2 करोड़ अखबार प्रकाशित हो रहे हैं और आम घरों में अभी भी सुबह-सुबह अखबार खरीदा जा रहा है। लेकिन परिवारों में अखबार पढ़ने के वक्त में तेजी से कमी आई है और फेसबुक पर लोग ज्यादा वक्त बिता रहे हैं। खासतौर से युवा पीढ़ी में यह चलन तेजी से उभरा है।’ सोशल मीडिया पर ढेरों फर्जी खबरें और झूठ भी बड़े पैमाने पर प्रसारित हो रहे हैं। हालांकि जैसे-जैसे नई मीडिया परिपक्वता की तरफ विकसित होगी, उम्मीद है कि यूजर्स भी इंटरनेट से जानकारी हासिल करने के मामले में ज्यादा समझदार बनेंगे।’
बहुत सारा ट्रैफिक खासकर टीवी देखने वाले दर्शकों का स्मार्टफोन, टैब की तरफ जा रहा है, जहां नेटफ्लिक्स,यूट्यूब, अमेजॉन जैसे कई विकल्प हैं जो युवाओं को खासतौर से लुभा रहे हैं। फेसबुक इसमें सबसे आगे रहने का दावा करता है और भारत में उसके कुल 20 करोड़ यूजर्स हैं, जो फेसबुक के कुल यूजर्स का 10वां हिस्सा है। पूरी दुनिया में फेसबुक के 2 अरब यूजर्स हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अभी इंटरनेट की पहुंच महज 40-45 फीसदी आबादी तक ही है। वहीं, टीवी की पहुंच 90 फीसदी आबादी तक है। लेकिन सरकार डिजिटल इंडिया अभियान चला रही है और भारत नेट के तहत गांव-गांव तक इंटरनेट पहुंचाने में जुटी है। इससे सोशल मीडिया का और विस्तार होगा तथा लोगों का खबरों, विचारों आदि तक पहुंचने का जायका बदलेगा। मार्केटिंग रणनीतियों को भी बदलना होगा और डिजिटल विज्ञापन और मार्केटिंग पर जोर देना होगा।
अमरीका में प्रिंट मीडिया का स्थान डिजिटल मीडिया ने ले लिया है,भारत में सत्ता के समक्ष डिजिटल मीडिया चुनौती के रूप में उभरा है,सरकारें बड़े संस्थानों पर तो अंकुश लगाने में कामयाब हो जाती हैं किन्तु छोटे डिजिटल संस्थान खबर जारी कर देते हैं जिन पर नियंत्रण सभी सरकारें लगाने के प्रयत्न में हैं ,छोटे अखबार ,पत्रिकाएं निकालना अब आर्थिक रूप से नुकसानदायक हो गया है अतः छोटे पत्रकारिता संस्थान डिजिटल मीडिया की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं इस माध्यम में संस्थान अवश्य छोटे हैं किन्तु उनकी पहुँच बढ़ गयी है और सरकारें चिंतित हो गयी है ,लोकतंत्र के लिए यह जहाँ अच्छी खबर है वही राजनैतिक दलों के लिए चिंता की लकीरें खींचने वाली खबर है ………