नई दिल्ली- गुरुवार रात ढाई घंटे तक मास्को में विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच चली वार्ता के बाद शुक्रवार तड़के सुबह दोनो देशों ने जो संयुक्त साझा बयान जारी किया है। उससे साफ तौर पर यह नहीं माना जा सकता कि पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य तनाव शीघ्र खत्म होने जा रहा है।
दोनों मंत्रियों के बीच सैन्य तनाव खत्म करने के लिए पांच सूत्रीय फार्मूले पर सहमति बनी है, जिसका लब्बो लुआब यही है कि अभी हर स्तर पर बातचीत का दौरा जारी रखा जाएगा। हालांकि ग्राउंड लेवल पर जहां दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे के कुछ सौ मीटर पर तैनात हैं, वहां सीधे तौर पर संदेश देने की कोई बात नहीं है। चीन की तरफ से इस बात का कोई पक्का वादा नहीं है कि वह अपने सैनिकों को मई, 2020 से पहले वाली स्थिति में लौटने को कहेगा.
संयुक्त घोषणा पत्र में पहला फार्मूला यह है कि मौजूदा तनाव को भी पूर्व में दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच बनी सहमति और आपसी मतभेद को बड़े विवाद में तब्दील नहीं करने के वादे के मुताबिक सुलझाया जाएगा। दूसरा फार्मूला है कि, पूर्वी लद्दाख का तनाव दोनों देशों के परस्पर हित के मुताबिक नहीं है। ऐसे में दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत जारी रहनी चाहिए, ताकि तनाव दूर हो सके व सैनिकों की वापसी हो सके।
तीसरा फार्मूला चीन-भारत सीमा विवाद को सुलझाने के लिए मौजूदा समझौतों को पालन करने को लेकर है। दोनो देश ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जो सीमा विवाद को बिगाड़े। चौथा, सीमा विवाद का हल निकालने के लिए विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत को जारी रखी जाएगी। सनद रहे कि यह बातचीत एनएसए अजीत डोभाल व विदेश मंत्री वांग यी की अगुवाई में होती है। पांचवा फार्मूला यह है कि, जैसे ही तनाव कुछ कम होगा दोनो देश विश्वास बहाली के लिए कुछ और ठोस कदम उठाएंगे ताकि शांत-अमन बहाल हो सके।