नई दिल्ली। जिन लोगों की टैक्सेबल इनकम यानी जिस आमदनी पर टैक्स बनता है, 5 लाख रुपये से ज्यादा है, उनके लिए सरकार ई-रिटर्न अनिवार्य बनाने जा रही है। ऐसे लोगों को अब इनकम टैक्स ऑफिस जाने के बजाय ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करना होगा। अभी तक 10 लाख रुपये से ज्यादा की टैक्सेबल इनकम वाले लोगों के लिए ही ई-फाइलिंग का नियम है। नया नियम इसी साल जून से लागू हो जाएगा।
सीबीडीटी के सूत्रों के अनुसार, इन बदलावों को लागू करने के लिए इनकम टैक्स कानून की धाराओं में कुछ संशोधन करने होंगे। इस बारे में नोटिफिकेशन इस महीने जारी कर दिया जाएगा।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की चेयरमैन डॉ. पूनम किशोर सक्सेना ने मंगलवार को बताया कि जिनकी टैक्सेबल इनकम पांच लाख रुपये से ज्यादा है, उनके लिए ई-फाइलिंग जरूरी बनाया जाएगा। इसके जरिए तकनीक का इस्तेमाल करके टैक्सपेयर्स और असेसिंग ऑफिसर के बीच सीधे संपर्क को कम किया जाएगा। उन्हें आयकर दफ्तरों में जाकर रिटर्न फाइल नहीं करना होगा। सक्सेना ने बताया कि सरकार इसी साल से वेल्थ टैक्स के रिटर्न के लिए भी ई-फाइलिंग अनिवार्य बनाने जा रही है। सरकार का मकसद लोगों की संपत्ति का सही तरीके से आकलन करना है ताकि वेल्थ टैक्स कलेक्शन बढ़ाया जा सके।
रेवेन्यू सेक्रेटरी सुमति बोस ने बताया, ‘टैक्स डिपार्टमेंट टैक्स बेस को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। रिटर्न फाइल नहीं करने वाले पैन होल्डर्स को टारगेट किया जा रहा है। डिपार्टमेंट ऐसे 35,000 टैक्सपेयर्स को नोटिस भेज चुका है। वह और 35,000 ऐसे लोगों को नोटिस भेज रहा है। फाइनैंस बिल 2013 में एक प्रोविजन है, जिसमें वेल्थ टैक्स रिटर्न के लिए ई-फाइलिंग की बात कही गई है।’ रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने उस सख्त प्रोविजन को भी सही बताया है, जिसमें टैक्स चोरी रोकने के लिए सर्विस टैक्स डिफॉल्टर्स को अरेस्ट करने का प्रावधान शामिल है।
टैक्स चोरों पर नजर
सरकार को फायदा यह होगा कि उसके पास टैक्स रिटर्न का डेटाबेस तैयार हो जाएगा। टैक्सपेयर्स की ओर से फॉर्म में भरे गए इनकम और अन्य डेटा की जांच में आसानी होगी। टैक्स चोरी जल्द पकड़ में आएगी। इस तरह उन पर कार्रवाई भी जल्द की जा सकेगी।
सीबीईसी के चेयरपर्सन प्रवीण महाजन ने कहा, ‘सर्विस टैक्स के मामले में बीते कुछ समय में प्रोविजंस के दुरुपयोग के ऐसे कई मामले मिले हैं। ऐसे मामले भी मिले हैं, जिनमें लोगों से पैसा वसूलने के बाद उसे सरकार को नहीं दिया गया।’ इस तरह से 200 से 400 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी की गई। पिछले साल 17 लाख रजिस्टर्ड सर्विस प्रोवाइडर्स में से सिर्फ 7 लाख ने रिटर्न फाइल किए।
फाइनैंस बिल 2013 में सेक्शन 91 के तहत खास मामलों में व्यक्ति की गिरफ्तारी का प्रावधान है। इसमें वसूला गया टैक्स जमा नहीं करने पर भी गिरफ्तारी का प्रावधान है। बिल पास होने पर 50 लाख रुपए से ज्यादा के सर्विस टैक्स को डिपॉजिट नहीं करने पर 7 साल तक की जेल की सजा हो सकती है।
उन्होंने कहा, ‘अरेस्ट करने का अधिकार कमिश्नर को दिया गया है। इसके लिए पर्याप्त सेफगार्ड हैं। प्रोविजन की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी। इसलिए इसे लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।’ बिल में यह भी कहा गया है कि 50 लाख रुपए से ज्यादा के एक्साइज और कस्टम ड्यूटी चोरी के मामलों को गैर-जमानती बनाया जाएगा। 2012-13 के दौरान कस्टम कलेक्शन 1.65 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। इसके लिए तय टारगेट 1.87 लाख करोड़ रुपए है।
ई-फाइलिंग का तरीका
ई-रिटर्न फाइल करने के लिए पहले आयकर विभाग की वेबसाइट से लॉगइन आईडी बनानी होगी। इसके लिए अपनी पैन आदि डिटेल्स देकर अप्लाई करना होगा। आईडी बनने के बाद वेबसाइट पर अपनी कैटिगरी का रिटर्न फॉर्म सिलेक्ट करके उसमें अपनी इनकम, इनवेस्टमेंट्स, छूट आदि ब्योरे भरें। अगर आपने डिजिटल सिग्नेचर बनवा रखा है तो इसे फॉर्म में अटैच करें। फॉर्म को ऑनलाइन सबमिट करते ही आपको इसकी एक्नॉलिजमेंट (प्राप्ति रसीद) मिलेगी। अगर आपने डिजिटल सिग्नेचर अटैच नहीं किया तो फॉर्म का प्रिंट लेकर बेंगलुरु स्थित सेंट्रल प्रोसेसिंग सेल (सीपीसी) डाक से भेजना जरूरी होगा, तभी आपको रिफंड मिलेगा।
डिजिटल सिग्नेचर बनाने के लिए सरकार ने टीसीएल, एमटीएनएल जैसी 7-8 कंपनियों को मान्यता दे रखी है। यह सिग्नेचर एक साल के लिए वैध होता है।
टैक्सपेयर्स को फायदा
– करदाता घर बैठे इंटरनेट के जरिए अपने रिटर्न दाखिल कर सकेंगे।
– इसके लिए इनकम टैक्स ऑफिस में लाइन में नहीं लगना होगा।
– रिटर्न में आंकड़ों की गड़बड़ी का भी तुरंत पता चल जाएगा।
– ई-रिटर्न की जांच जल्दी होगी, जिससे रिफंड भी जल्दी मिल सकेगा।