राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2020-21) द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण भारत एनीमिया अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है. NFHS-4 में ऐसे बच्चों का प्रतिशत 40.8 था जो NFHS-5 में घटकर 32.6 प्रतिशत रह गया है,वहीँ
ग्रामीण इलाके के 72.4 प्रतिशत बच्चे एनीमिक हैं।
भोपाल- ग्रामीण भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में एनीमिया के मामलों में वृद्धि हुई है। एनीमिया से पीड़ित बच्चे में पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन नहीं होता है। हीमोग्लोबिन एक प्रकार का प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं को शरीर में अन्य कोशिकाओं तक ऑक्सीजन ले जाने की अनुमति देता है।
राज्यवार आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण मध्य प्रदेश में 5 साल से कम उम्र के 72.7 फीसदी बच्चे एनीमिक हैं। इसके बाद राजस्थान (72.4 फीसदी), हरियाणा (71.5 फीसदी), पंजाब (71.1फीसदी) और झारखंड (67.9 फीसदी) का नंबर आता है।
NFHS-5 के पहले चरण के आंकड़ों के अनुसार, 6-59 महीने की उम्र के गुजरात में 81.2 प्रतिशत, जम्मू और कश्मीर में 73.5 प्रतिशत, तेलंगाना में 72.8 प्रतिशत बच्चे एनीमिक हैं। NFHS-5 के दूसरे चरण के आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 81.7 प्रतिशत, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव में 76.8 ग्रामीण बच्चे एनीमिक पाए गए। NFHS-4 में जारी आकंड़ो के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 6 से 59 महीने के बीच के ग्रामीण बच्चों में एनीमिया का प्रतिशत 41.2 था जो NFHS-5 में बढ़कर 66.2 प्रतिशत हो गया है। यह राज्य में 2015-16 और 2020-21 के बीच 5 साल से कम उम्र के ग्रामीण बच्चों में 60 प्रतिशत की वृद्धि है। तमिलनाडु में बच्चों में एनीमिया की दर NFHS-4 में 52.5 प्रतिशत थी जो NFHS-5 में बढ़कर 60.4 प्रतिशत हो गई है। इसी तरह, ओडिशा में 45.7 प्रतिशत से बढ़कर 65.6 प्रतिशत हो गई है। यह राज्य के ग्रामीण बच्चों में एनीमिया के स्तर में 44 प्रतिशत की वृद्धि है।
इस बीच, NFHS-5 के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि झारखंड में पांच साल से कम उम्र के 42.3 प्रतिशत ग्रामीण बच्चे अविकसित हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश (41.3 फीसदी), मध्य प्रदेश (37.3 फीसदी), छत्तीसगढ़ ( 35.7 फीसदी), राजस्थान (32.6 फीसदी) का नंबर आता है।
अनिल कुमार सिंह (धर्मपथ के लिए)