दस साल में 102 पाइंट की कमी, एक साल में ही 33 पाइंट की गिरावट
मध्यप्रदेश में मातृत्व सुरक्षा संबंधी कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन के फलस्वरूप मातृ मृत्यु-दर में उल्लेखनीय गिरावट आयी है। विगत 6 मई को रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इण्डिया द्वारा जारी वार्षिक स्वास्थ्य सर्वे बुलेटिन 2011-12 के अनुसार मध्यप्रदेश में मातृ मृत्यु-दर में एक वर्ष में 33 पाइंट और विगत 10 वर्ष की तुलना में 102 पाइंट की गिरावट आयी है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस 11 अप्रैल, 2013 को शुरू किये गये ममता अभियान में मातृ मृत्यु-दर को वर्ष 2013-14 में और घटाकर 200 तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।
वर्ष 2001-03 में मध्यप्रदेश में मातृ मृत्यु-दर 379 प्रति लाख जीवित जन्म थी, जो वर्ष 2011-12 में घटकर 277 हो गयी है। वर्ष 2010-11 के वार्षिक स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार प्रदेश में मातृ मृत्यु-दर 310 थी, जो वर्ष 2011-12 में 33 पाइंट गिर गयी।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में मातृ स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिये अनेक प्रभावी कदम उठाये गये हैं। संस्थागत प्रसव को प्रभावी रूप से बढ़ावा दिया गया है। प्रदेश में 10 साल पहले 26 प्रतिशत संस्थागत प्रसव होते थे, जो अब बढ़कर 81 प्रतिशत से अधिक हो गये हैं। प्रदेश में 24×7 प्रसूति सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये सीमॉक और बीमॉक को क्रियाशील किया जा रहा है। इसके लिये मानव संसाधन की पूर्ति, अधोसंरचना विकास, निःशुल्क औषधि और सामग्री, जाँचें, रेफरल परिवहन और भोजन की व्यवस्था शासकीय संस्थाओं में की जा रही है। इसके अलावा ग्राम-स्तर पर ग्राम आरोग्य केन्द्र की स्थापना कर गर्भवती महिलाओं की गुणवत्तापूर्ण प्रसव-पूर्व जाँच के लिये हर स्तर पर निरंतर मॉनीटरिंग की जा रही है। इससे जटिल प्रकरणों की पहचान ग्राम-स्तर पर ही संभव हो सकी है और प्रकरणों को सही समय पर शासकीय संस्था में रेफर किया जाता है।
प्रदेश में मातृ मृत्यु-दर की गिरावट में सर्वाधिक कमी इंदौर, उज्जैन और ग्वालियर संभाग में आयी है। इंदौर संभाग में 67 पाइंट, उज्जैन में 62 और ग्वालियर में 60 पाइंट की गिरावट आयी है। इन संभागों में मातृ मृत्यु-दर घटकर क्रमशः 202, 206 और 215 हो गई है।