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अपने पढ़ने के तरीके में करिये सुधार,जानिये कैसे

August 27, 2022 9:27 pm by: Category: फीचर Comments Off on अपने पढ़ने के तरीके में करिये सुधार,जानिये कैसे A+ / A-

स्कूल, कॉलेज या प्रतियोगिता परींक्षाओं की पढ़ाई हो, अच्छे परिणाम लाने के लिए जरूरी है पढ़ाई का सही तरीका अपनाना। छोटे बच्चों के पैरेंट्स को भी इन्हें जानना चहिए ताकि वे अपने बच्चों में सही तरीके से पढ़ाई करने की आदत डलवा सकें।

पढ़ाई करना ‘सीखने’ पर आधारित एक मानसिक-मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसलिए पढ़ाई का सही तरीका विकसित करने के लिए इसे ध्यान मेंं रखना जरूरी है। यह प्रक्रिया अगर स्वस्थ और मजबूत हो तो सीखना आसान होता है, और सीखी हुई बातें दिमाग में देर तक बनी रहती हैं। सीखने की यह प्रक्रिया में सीखने वाले का केवल मन शामिल नहीं होता बल्कि इसमें उसके समग्र मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की भी बड़ी भूमिका होती है। बाहरी वातावरण की भी निर्णायक भूमिका होती है।

पढ़ाई का सही तरीका वही है जिसमें सीखने की प्रक्रिया के इन तीनों प्रमुख कारकों का सही संतुलन हो। छात्र के मन में सीखने की सहज इच्छा न हो तो कुछ भी किया जाए उसका मन पढ़ने में नहीं रमेगा। किसी भी तरह की मानसिक या शारीरिक समस्या मन के एकग्र होने में बाधा डालती है। बीमार अवस्था में मस्तिष्क को कम ऊर्जा मिलती है जिस कारण सीखने की प्रक्रिया में दिमाग सक्रिय भाग नहीं ले पाता।
इसी तरह वातावरण अगर प्रेरक हो, शांत और ऊर्जावान माहौल हो तो छात्र के सीखने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।

सीखने की प्रक्रिया (Learning Process) के इन महत्वपूर्ण कारकों को समझने के बाद आइए संक्षेप में जाने उन बिंदुओं को जिनके आधार पर पढ़ाई का सही तरीका विकसित किया जा सकता है-

1. पढ़ने का सही तरीका : सीखने की रुचि विकसित कीजिए
इसे छात्र के पढ़ाई करने का आधारभूत कारण होना चाहिए। सीखने की रुचि पढ़ाई करने की सबसे बड़ी वजह होती है। छात्र में मन में सीखने की ललक पैदा कर दी जाए तो समझिए हमने आधी सफलता पा ली। यह बात बच्चों पर विशेष रूप से लागू होती है। हमारा मन सहज ही उस तरफ अधिक आकर्षित होता है जिधर हमारी रुचि वाली चीजें होती हैं। कुदरती तौर पर हर बच्चा सीखना चाहता है, लेकिन पढ़ाई का बोझिल किताबी तरीका पढ़ाई और सीखने के बीच के सुखद रिश्ते को कमजोर कर देता है।

2. सीखने के रोचक तरीके अपनाइए
याद कीजिए, हम सबने अपनी जिंदगी में ‘पढ़ाई’ नामक शब्द के आने से बहुत पहले छोटे बच्चे के रूप में सीखना शुरू कर दिया था। सीखने के ये तरीके होते हैं- देखकर सीखना, सुनकर सीखना, चीजों को करते हुए और चुनौतियों से निबटते हुए सीखना। पढ़कर सीखना और लिखकर सीखना ये दो पारंपरिक तरीके हैं, जो हमारी जिंदगी में बाद में शामिल होते हैं। पढ़ाई में केवल इन्हीं पर आश्रित रहने से सीखने की प्रक्रिया बोझिल हो जाती है।

इसलिए इनके साथ अन्य तरीकों को शामिल करना जरूरी हो जाता है। कोर्स से संबंधित सब्जेक्ट्स पर, कोशिश कीजिए कुछ ऑडियो-विजुअल सामग्री जुटाने की, और उन्हें देखिए और सुनिए। इस तरीके को पढ़ाई का हिस्सा मानकर स्टडी-रुटीन में शामिल कीजिए। कोर्स से जुड़ी हुई बातों पर कुछ व्यावहारिक गतिविधियों में भाग लेने के मौके तलाशिए। उदाहरण के तौर पर, बायोलॉजी की किताब में शामिल बातों को खुली प्रकृति में जाकर समझने का प्रयास; और हिस्ट्री के चैप्टर्स में शामिल टॉपिक्स को आत्मसात करने के लिए उनसे जुड़े ऐतिहासिक स्थलों, स्मारकों की यात्रा करना और म्यूजियम जाना।

3. पढ़ने का सही तरीका : एकाग्र होकर पढ़िए

सीखने की कोई भी प्रक्रिया हो, या जिस किसी भी तरीके से पढ़ाई की जाए, पूरे ध्यान देकर और एकाग्र मन से किया जाए। किताब पढ़ते हुए हमेशा ध्यान टॉपिक पर होना चाहिए, दूसरी किसी बात पर नहीं। जितनी भी देर पढ़ें केवल एकाग्र होकर ही पढ़ें। किताब खोलकर पढ़ने की कोशिश में कुछ और सोचने में लग जाना एकदम गलत आदत है। इससे न केवल आपका कीमती वक्त बरबाद होता है बल्कि आप जिंदगी भर के लिए एक गलत और अनप्रॉडक्टिव आदत का शिकार बन जाते हैं।

बिना एकाग्र हुए आप चाहे जितना पढ़ लें वह आपके काम नहीं आने वाला। न आप टॉपिक को समझ पाते हैं और न ही आपके दिमाग में वह देर तक टिक पाता है। इस आदत से आप अनजाने में अपनी याददाश्त को भी कमजोर बना देते हैं जिसका नुकसान जीवन के हर क्षेत्र में भुगतना पड़ता है।

4. पढ़ने के लिए शांत जगह ढूंढ़िए

एकाग्र होकर पढ़ने के लिए जरूरी है कि आप जहां पढ़ाई करें उस जगह पर पूरी शांति हो, वहां पढ़ाई के अलावा कोई दूसरी गतिविधि न चल रही हो। प्रायः हमारी आदत होती है किताब लेकर कहीं भी बैठ जाने की, जैसे घर के ड्राइंग रूम में जहां घर के अन्य लोग इकट्ठे होते हैं और हर तरह की बातें चल रही होती हैं। इसी तरह, टीवी खोलकर उसके सामने किताब लेकर बैठना भी अपने आप से धोखा करना है। पढ़ने की सबसे अच्छी जगह है आपका अपना कमरा जहां आप अकेले एकांत में बैठकर देर कर एकाग्र होकर पढ़ सकते हैं।

5. पढ़ने का सही तरीका : पढ़ाई के घंटे निर्धारित करें और उनके बीच छोटे-छोटे ब्रेक लीजिए
पढ़ाई एक बहुत सुंदर और रोचक क्रिया है। केवल नंबर लाने की लालच में घंटों-घंटों लगातार किताबें खोले रखकर इसे बोझिल न बनाएं। अंतरालाओं का पालन करें और बीच के समय में रिलैक्स करें।

पढ़ाई करने का एक सही रुटीन बनाइए जो आपको सूट करता हो, दूसरे की देखादेखी नहीं। पढ़ाई करने के दिन भर के कुल घंटे को कई अपनी सुविधा से कई सेशन में बांट लें। जैसे 3 धंटे सुबह 3 घंटे दोपहर और 3 घंटे रात को। फिर एक सेशन में छोटे-छोटे ब्रेक लें। इन ब्रेक्स के दौरान में खुली हवा जाना, टहलना, अच्छा म्यूजिक सुनना या गहरी सांस लेकर ध्यान करना बहुत उपयोगी होता है।

6. पढ़ने का सही तरीका : रट कर याद रखने की बजाए समझ कर पढ़िए
पढ़ने का सबसे अनिवार्य शर्त है कि जो कुछ पढ़ा जाए पूरी तरह समझ कर पढ़ा जाए। कोई भी टॉपिक जबतक समझ न आ जाए आगे नहीं बढ़ना चाहिए। हर चैप्टर कई टॉपिक्स में, कई पन्नों में और कई पैराग्राफों में फैला होता है। हर पैराग्राफ के कई लाइनें होती हैं और उन लाइनों में फैक्ट्स होते हैं। उन्हें ध्यानपूर्वक पढ़कर समझना चाहिए। यहां तक किसी लाइन का कोई शब्द अगर समझ में न आए तो पहले रुककर उसे समझना चाहिए फिर आगे बढ़ना चाहिए।

शब्दों को समझने के लिए तुरंत डिक्शनरी की सहायता लेने में आलस्य न करें। इंटरनेट की सहायता लें। मोबाइल फोन आज हर किसी के पास होता है। उसका सदुपयोग करें। टॉपिक की जो भी बात समझ में न आए तो उसे चुनौती की तरह लीजिए और अनेक माध्यमों की मदद से उसे समझने की कोशिश कीजिए। लेकिन, एक टॉपिक को बिना समझे दूसरी पर छलांग मत लगाइए। एक बार समझने में मिहनत कर ली जाए तो आगे की पढ़ाई आसान हो जाती है।

7. पढ़ाई का सही तरीका : नोट्स बनाकर पढ़ें, चार्ट और मैप का उपयोग करें
पढ़ाई का सही तरीका
सब्जेक्ट कोई भी, कोई भी टॉपिक हो नोट्स बनाकर पढ़ने से याद रखने और समझने में जबरदस्त फायदा होता है। कम समय में किसी टॉपिक का रिवीजन करना भी इन नोट्स को पढ़कर आसान हो जाता है। इसी तरह, हर संभव टॉपिक पर कोशिश करें कि उनसे जुड़े चार्ट, चित्र और मैप को पढ़ाई के प्रॉसेस में शामिल किया जाए। अपनी स्टडी टेबल के सामने दीवार पर आप ऐसे चार्ट और मैप लगा सकते हैं।

8. कॉन्सेप्ट क्लियर रखिए यानी अवधारणाओं को समझिए
सब्जेक्ट कोई भी हो या कोई भी टॉपिक, उसकी कुछ बेसिक कॉन्सेप्ट्स या आधारभूत अवधारणाएं होती हैं। टॉपिक में इनका वही महत्व है जो मकान में उसकी नींव की होती है। इसलिए जो भी पढ़ें उसमें कॉन्सेप्ट को समझने का पूरा ध्यान रखें।। कॉन्सेप्ट अगर अच्छी तरह समझ में आ जाए तो उस टॉपिक पर कितना भी घुमा-फिराकर सवाल किया गया हो, उनका उसका जवाब देना आसान होता है। पढ़ाई का सही तरीका इसके बिना अधूूूूूरा हैैै।

9. नियमित पढ़ने और रिवीजन की आदत डालिए
पढ़ाई को आसान बनाने का एक बहुत बढ़िया उपाय है कि जो भी सब्जेक्ट पढ़ा जाए नियमित पढ़ा जाए। रोज नियम बनाकर निश्चित समय पर पढ़ना चाहिए। भले ही किसी किसी दिन एक विषय को अधिक देर पढ़ना पड़े लेकिन एक नजर बाकी विषयों पर भी डाल लेना चाहिए। इससे हमारे दिमाग को सभी विषयों के साथ जुड़े रहने में मदद मिलती है और हम चीजों को देर तक याद रख पाते हैं।

यदि इस तरह थोड़ा-थोड़ा रोज हर विषय को पढ़ने और रिवीजन करते रहने की आदत से हम किसी भी टॉपिक को जब तक चाहें तब तक याद रख सकते हैं। इसका एक अनोखा फायदा यह भी है कि छात्र के ऊपर परीक्षा के दिनों में कोई बड़ा बोझ नहीं पड़ता। ऐसे छात्र परीक्षा के दिनों में सिर्फ नॉर्मल तैयारी करके परीक्षा में अच्छा परफॉर्म कर सकते हैं।

10. किताबी ज्ञान को जीवन से जोड़िए
किताब पढ़ते हुए हम अनेक छोटे-बड़े टॉपिक्स से गुजरते हैं। मान लीजिए, हम फीजिक्स में प्रेशर (दाब) के बारे में पढ़ रहे हैं या ज्यॉग्रफी में इस बारे में कि मिट्टी का कटाव कैसे होता है। बच्चों को रसोई में खाना पकाने की प्रक्रिया से फीजिक्स के प्रेशर को बड़ी सुंदरता से समझाया जा सकता है। बरसात में घर के बाहर किसी प्राकृतिक ढाल पर पानी की व्यवहार को समझाकर अपरदन (erosion) या मिट्टी के कटाव के बारे में ठोस तरीके से समझा जा सकता है।

हमेशा कोशिश रखनी चाहिए कि प्रत्यक्ष जीवन में घटनाओं से उनको संबंधित करते चलें। हमारा घरेलू जीवन और बाहर की प्रकृति और परिवेश सही मायने में रोज खुली रहने वाली लेबोरेट्री या प्रयोगशाला की तरह है।

पढ़ाई का यह एप्रोच बड़ी आसानी से कॉन्सेप्ट बनाने में मदद करता है और हम सब्जेक्ट से पूरी तरह जुड़ पाते हैं। यह सही है कि छात्रों को यह आदत खुद डालनी चाहिए, लेकिन स्कूली बच्चों के मामले में टीचर्स और पैरेंट्स को चाहिए कि वे सीखने के इस एप्रोच पर भरपूर बल दें।

पढ़ाई का सही तरीका वह है जिसमें हम स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन का भी पूरा ख्याल रखते हैं। नीचे दी गई बिंदुओं को अपनाकर पढ़ाई करने से आप छोटी बड़ी हर सफलता के रास्ते पर आपके कदम बेहद मजबूती से पड़ते हैं-

पढ़ाई का सही तरीका : आपकी पढ़ाई को कारगर और उपयोगी बनाने वाली इन बातों को जरूर अपनाइए

1. सही पोषणयुक्त डाइट
पढ़ना एक दिमागी क्रिया है, तो जाहिर है कि एक स्टूडेंट की डाइट शारीरिक मिहनत करने वाले एक मजदूर की डाइट से अलग होगी। विद्यार्थी को दिमागी पोषण के लिए मिनरल और विटामिन से भरपूर खाना चाहिए होता है। बच्चों को शुरुआत से ही दूध, फल, हरी सब्जियां, अंकुरित दाने, फलों के रस जैसी चीजों की ओर प्रेरित करना चाहिए। इनमें भरपूर विटामिन और मिनरल्स होते हैं जो मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम के लिए बहुत जरूरी होते हैं।

जंक फूड, अधिक कार्बोहाइड्रेट वाले डाइट, चिप्स-बिस्किट जैसी पैकेटबंद चीजें और स्ट्रीट-फूड की आदत से बचना केवल स्टूडेंट लाइफ में नहीं बल्कि जीवन भर के जरूरी है। घरेलू और पारंपरिक खाना को सम्मान दीजिए और शुरुआत से ही बच्चों को इनके साथ मजबूती से जोड़िए। पढ़ने वालों के लिए खाने की क्वांटिटी का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है। अधिक मात्रा में पेट भर-भर कर खाया हुआ भोजन दिमाग को सुस्त बनाता है।

2. कसरत, योग और प्राणायाम
कसरत या हल्का व्यायाम न केवल हमारे शरीर को चुस्त और स्वस्थ रखते हैं। मस्तिष्क को सही रक्त संचार मिलता है और मन स्फूर्ति और उत्साह से भरता है। प्राणायाम से खून को भरपूर ऑक्सीजन मिलता है और मस्तिष्क सहिए संपूर्ण शरीर का ब्लड-सर्कुलेशन

योग और प्राणायाम को भी व्यायाम का हिस्सा बनाएं। न केवल शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए इन्हें अपनाना बहुत जरूरी है बल्कि इनसे मन को शांत और एकाग्र रखने में भारी सफलता मिलती है।

याद रखिए, एकाग्र मन के बिना जिंदगी में कोई सफलता नहीं मिल सकती। चाहे आप कितनी भी मिहनत कर लेकिन अगर आपना मन शांत और एकाग्र नहीं तो आपकी सफलता हमेशा अधूरी होगी। इनके बिना आप कभी अपनी सफलता का पूरा आनंद नहीं उठा पाएंगे।

3. पूरी नींद लें
नींद हमारे मन और शरीर के लिए कुदरती औषधि (मेडिकेशन) है। नींद हमारी मानसिक और शारीरिक शक्तियों को रिचार्च करती है। नींद की कटौती कर अधिक घंटे पढ़कर अधिक जान लेने या याद रखने की कोशिश एक बेकार का भ्रम है। इससे आपका बहुमूल्य वक्त बरबाद होता है और आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

इसलिए उचित घंटे की नींद में कभी कमी न करें। औसतन 7 घंटे की नींद जरूरी है। दोपहर में 15-30 मिनट की झपकी (पावर नैप) ली जा सकती है। यह आपको तरोताजा रखने में मदद करती है और याददाश्त बढ़ाती है।

4. प्रतिदिन प्रार्थना करने की आदत डालें
टेक्नोलॉजी और तेज रफ्तार वाले जमाने में आपको यह पुरातनवादी और दकियानूसी सोच लग सकता है। ..लेकिन, यही वह बिंदु है जहां सबकुछ होते भी हम जिंदगी से मात खा जाते हैं।

प्रार्थना मन को शांति देती है। जीवन उतना ही नहीं जितना हम प्रत्यक्ष देख पाते हैं। हमारा जीवन अनेक अज्ञात कारकों पर भी टिका होता है। जब आप यह मानकर चिंतन करते हैं कि कोई विराट शक्ति ब्रह्मांड और जीवन का संचालन करती है और आप उससे जुड़े हुए हैं तो आपके अंदर अनेक पॉजिटिव रासायनिक परिवर्तन होने लगते हैं। हमारे शरीर और दिमाग के स्तर पर होने वाले ये सकारात्मक परिवर्तन हमारे मस्तिष्क को अधिक ग्रहणशील (receptive) बनाते हैं।

दिन भर में जब चाहें इसके लिए समय निकालें और जीवन को संचालित करने वाली उस विराट सत्ता का ध्यान करें, उसके साथ खुद के जुड़े होने को महसूस करें।

जाहिर है पढ़ाई ‘सीखने’ की एक मानसिक प्रक्रिया है और पढ़ाई का सही तरीका वह जिसमें सीखने की प्रक्रिया सहज और सुचारू हो। तो, इसको इसी रूप समझना चाहिए और पढ़ने के पारंपरिक बोझिल तरीके से बचना चाहिए। आखिर क्या कारण है कि ट्रेडिशनल तौर पर हमारे समाज में बच्चों के ऊपर पढ़ने के लिए सख्ती करने की परंपरा रही है? और क्या इससे उतना लाभ हुआ जितना होना चाहिए? नहीं। तो अब समय है, पढ़ने के पारंपरिक तरीकों से हटकर नए रुझान अपनाने का और पढ़ाई को एक सुंदर रोचक गतिविधि में बदल देने का!

ऊपर जिन बिंदुओं की चर्चा की गई वे केवल बच्चों या विद्यार्थियों के लिए नहीं बल्कि किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए उपयोगी है। यूं भी पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है।

ऊपर की सलाह हमने ‘कीजिए’, ‘करें’ शब्दों के साथ पढ़ने वाले को संबोधित करने के अर्थ में लिखी है। लेकिन छोटे बच्चों के पैरेंट्स और ध्यान दें, इन बिंदुओं को समझकर उन्हें खुद से अपने बच्चों पर लागू करने में मदद करनी होगी।

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