मप्र के पत्रकार श्याम सुन्दर गोयल एक महीने से अधिक का भारत भ्रमण मोटरसाइकिल से कर रात नौ बजे भोपाल स्थित अपने किराए के घर पहुँचते हैं तो उन्हें वहां अपने ताले के ऊपर दूसरा ताला जड़ा हुआ मिलता है ,चूँकि सामान अंदर था उन्होंने आस-पास के लोगों से पूछा सभी ने इसके प्रति अनभिज्ञता जताई,श्याम सुन्दर ने जैसे ही ताला तोड़ना चाहा उनका मकान-मालिक वहां आ गया और श्याम के साथ मार-पीट कर दी,श्याम सुन्दर अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस बुलाते हैं लेकिन माजरा कुछ और निकलता है ,एक दिन पहले ही मकान-मालिक द्वारा थाने में शिकायती आवेदन दे दिया गया था और पुलिसकर्मी श्याम को भोपाल के ऐशबाग थाने ले जाते हैं,श्याम का मोबाइल छीन लिया जाता है ,भद्दी गालियां दी जाती हैं,विभिन्न धाराओं में फंसाने की धमकी दी जाती है एस आई पांडे,प्रधान-आरक्षक राघवेंद्र चौहान इन्हें अपना वीभत्स रूप दिखाते हैं ,फर्जी पत्रकार की संज्ञा से सुशोभित करते हैं और मकान-मालिक मोनू बंसल के पक्ष में कुछ कागजातों पर हस्ताक्षर करवा लेते हैं.
भोपाल-पत्रकार श्याम सुन्दर रात्रि किसी होटल में शरण लेते हैं अपने एक पत्रकार साथी को बताते हैं सुबह उन्हें सीने में तेज दर्द उठता है वे अस्पताल जाते हैं पता चलता है मार-पीट के कारण उन्हें अंदरूनी चोटें आयी हैं,डाक्टर उन्हें आराम की सलाह देते हैं.
श्याम सुन्दर अपनी पीड़ा सोशल मीडिया पर बयान करते हैं,उनके मित्रों को पता चलता है और गृह-मंत्री नरोत्तम मिश्रा से भाजपा कार्यालय में उनकी प्रेस-कांफ्रेंस के बाद मिल कर उनके संज्ञान में मामला लाना तय होता है.
नरोत्तम-मिश्रा अपनी कांफ्रेंस ख़त्म कर जब बाहर आते हैं तब पत्रकारों ने मामले से अवगत करवाया लेकिन आश्चर्य गृह-मंत्री इस मामले से पल्ला झाड़ आगे बढ़ जाते हैं वे आत्म-मुग्ध दीखते हैं,प्रसन्न दीखते हैं लेकिन पत्रकार की पीड़ा से उन्हें कोई सरोकार नहीं दिखता।
कुछ बड़े संस्थानों के पत्रकार उनकी गाडी में साथ आते भी हैं और साथ जाते भी है,लेकिन पुलिस प्रताड़ना से पीड़ित पत्रकार का दर्द उन्हें समझ नहीं आता.
यहाँ उनका हाथ पकड़ा रॉयल प्रेस क्लब के साथी पंकज भदौरिया ने और कुछ साथियों के साथ उन्हें ले थाना ऐशबाग पहुंचे,वहां थाना प्रभारी मनीष सिंह ने पूरी घटना सुनने के बाद अपने स्टाफ के व्यवहार के लिए स्वयं माफी मांगी पत्रकार श्याम सुन्दर से गले लगकर मिले और माफ़ी मांगी,उनके निर्देश पर मोनू बंसल के विरुद्ध FIR दर्ज की गयी.
इस पूरी घटना में मप्र पुलिस के कर्मचारियों सहित मप्र के गृह-मंत्री नरोत्तम मिश्रा का गैर- जिम्मेदाराना रवैया सामने आया,जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूर्व में निर्देशित कर चुके हैं की आम आदमी अपने आप को सुरक्षित महसूस करें लेकिन प्रदेश के थानों में पीड़ितों से दुर्व्यवहार की घटनाएं आम हो चुकी हैं.