जम्मू शहर के शालीमार मार्ग पर ऐतिहासिक रणवीरेश्वर मंदिर का निर्माण 1883 ई में महाराजा रणबीर सिंह ने करवाया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के मध्य में स्थित शिवलिंग साढ़े सात फीट ऊंचा है। अन्य बारह पारदर्शी शिवलिंग 15 से 38 सेंटीमीटर ऊंचाई के हैं। मंदिर के दीर्घा में एक हजार शिवलिंग स्थापित हैं, जो पत्थर से बने हुए हैं।
यहां प्रत्येक शनिवार और सोमवार को भक्तों की भीड़ रहती है। विभिन्न राज्यों से भी श्रद्धालु यहां माथा टेकने आते हैं।1शहर के शालीमार मार्ग पर ऐतिहासिक रणवीरेश्वर मंदिर का निर्माण 1883 ई में महाराजा रणबीर सिंह ने करवाया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के मध्य में स्थित शिवलिंग साढ़े सात फीट ऊंचा है। अन्य बारह पारदर्शी शिवलिंग 15 से 38 सेंटीमीटर ऊंचाई के हैं। मंदिर के दीर्घा में एक हजार शिवलिंग स्थापित हैं, जो पत्थर से बने हुए हैं। यहां प्रत्येक शनिवार और सोमवार को भक्तों की भीड़ रहती है। विभिन्न राज्यों से भी श्रद्धालु यहां माथा टेकने आते हैं।
मंदिर में स्थापित भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां महाराजा रणबीर सिंह ने राजस्थान के प्रसिद्ध मूर्तिकारों से तैयार करवाई थीं। इसके अलावा साढ़े सात फीट ऊंचा शिवलिंग नर्मदा नदी से निकला गया है, जिसे ट्रेन से जम्मू लाया गया था। महाराजा स्वयं इस शिवलिंग को आरएसपुरा से रथ पर अपने साथियों के साथ भजन-कीर्तन करते खींचते हुए जम्मू लाए। उन दिनों जम्मू में ट्रेन आरएसपुरा तक ही आती थी। इस भव्य मंदिर के निर्माण में करीब दो साल का समय लगा। मंदिर के अंदर बनाए गए चित्रों में भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान राम की भव्य लीलाओं की झलक देखने को मिलती है। मंदिर में स्थापित भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां महाराजा रणबीर सिंह ने राजस्थान के प्रसिद्ध मूर्तिकारों से तैयार करवाई थीं। इसके अलावा साढ़े सात फीट ऊंचा शिवलिंग नर्मदा नदी से निकला गया है, जिसे ट्रेन से जम्मू लाया गया था। महाराजा स्वयं इस शिवलिंग को आरएसपुरा से रथ पर अपने साथियों के साथ भजन-कीर्तन करते खींचते हुए जम्मू लाए। उन दिनों जम्मू में ट्रेन आरएसपुरा तक ही आती थी। इस भव्य मंदिर के निर्माण में करीब दो साल का समय लगा। मंदिर के अंदर बनाए गए चित्रों में भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान राम की भव्य लीलाओं की झलक देखने को मिलती है।
ऐतिहासिक रणवीरेश्वर मंदिर के महंत ऋषिवन जी ने मंदिर से जुड़ी कथा के बारे में बताया कि महाराजा रणबीर सिंह ने मंदिर का निर्माण श्री नाद गिरि जी महाराज से प्रेरित होकर शुरू करवाया था। मंदिर परिसर में नाद गिरि जी महाराज की समाधि भी निर्मित है। उन्होंने बताया कि मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका था और शिवलिंग स्थापित करने की तैयारी की जा रही थी, तभी महाराजा रणबीर सिंह का स्वास्थ्य खराब हो गया। महाराजा ने अपने भाई राजा राम सिंह को पूजा में शामिल होकर शिवलिंग को स्थापित करने के लिए कहा। महाराज की आज्ञा पर राजा राम सिंह पूजा में शामिल हुए परंतु जैसे ही शिवलिंग को जलहारी पर स्थिापित करने का समय आया तो कोई भी उसे उठा नहीं पाया। इस बात की सूचना महाराजा को दी गई। बीमार होने के बावजूद महाराजा रणबीर सिंह स्वयं मंदिर पहुंचे। उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी और विधिवत पूजा अर्चना करने के उपरांत शिव भक्तों की मदद से अपने हाथों से शिवलिंग को जलहारी पर स्थापित किया।